देहरादून: एक बार फिर उत्तराखंड की राजनीति में हरक सिंह रावत चर्चा में है। इस बार चर्चा का विषय यह है कि वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं।जिन्होंने अपने बेटे को टिकट दिलाने की बजाय अपने बहू को टिकट दिलवाया है। यह पहला अवसर है कि इतने कद्दावर नेता ने अपना टिकट दरकिनार कर अपनी बहू को आगे बढ़ाया है। जिस प्रकार से लोग बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बात करते हैं। महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं तो लोग अपने बेटे या बेटियों के लिए यह बात करते थे आज तक।लेकिन यह पहला अवसर है कि किसी ससुर ने अपनी बहू के लिए इस प्रकार फील्डिंग लगाई। इस टिकट के कारण उन्होंने बीजेपी भी छोड़नी पड़ी उसके बाद उस दूसरी पार्टी कांग्रेस में गए। और अपना टिकट भी दांव पर लगा दिया। लेकिन वह अपनी बहू को टिकट दिलाने में कामयाब रहे। उनकी इस निर्णय की सोशल मीडिया में बहुत जबरदस्त तरीके से रिस्पांस मिल रहा है। और जो लोग उस दिन तक हरक सिंह रावत को गरिया रहे थे। इस पार्टी में जाते हैं दूसरी पार्टी बदलते हैं। और हरक सिंह के कैरियर का क्या होगा तमाम तरीके की बात थी। लेकिन आज चर्चा का केंद्र यह हो गया है कि वह पहले ऐसे व्यक्ति बन गए हैं।जिनको अपनी बहू को बढ़ाने को लेकर इस प्रकार की बातें सामने आ रही है।
अनुकृति और हरक सिंह रावत के बेटे तुषित रावत की शादी 2018 में हुई। दोनों परिवारों के बीच पहले से ही अच्छे संबंध थे। लैंसडाउन में अनुकृति खासी सक्रिय रही हैं और हरक सिंह रावत का चुनाव प्रचार संभालती थीं।
अनुकृति गुसाईं ने 2013 में उन्होंने मिस इंडिया दिल्ली का खिताब जीता था। उसी साल मिस इंडिया प्रतियोगिता में पांचवें स्थान पर रहीं। उन्होंने वर्ष 2014 में मिस इंडिया पैसिफिक वर्ल्ड और वर्ष 2017 में मिस इंडिया ग्रैंड इंटरनैशनल में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
अनुकृति गुसाईं ने पहले ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर आत्मविश्वास से भरपूर अनुकृति ने कहा था कि मुझे तो चुनाव लड़ना ही है, अब देखना यह है कि कौन सी पार्टी मुझे टिकट देती है। ऐसे में दबाव सीधा पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत पर आ गया था।
27 साल की अनुकृति महिला उत्थान एवं बाल कल्याण संस्थान नाम का एनजीओ चलाती हैं। लैंसडाउन में उन्होंने अच्छा-खासा काम किया है जिसकी बदौलत ही वह इस सीट से दावेदारी पेश की हैं।