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कलयुग में सत्य से बढ़कर कोई धर्म नहीं, भागवत पुराण से मिलती है सभी पापों से मुक्ति : कृष्ण चंद्र ठाकुर

श्री जयराम विद्यापीठ में गीता जयंती महोत्सव पर चल रही संगीतमयी भागवत कथा में भजनों पर झूम उठे श्रद्धालु

कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक 26 नवम्बर : ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ में भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न हुई पावन श्री गीता के जन्मोत्सव गीता जयंती महोत्सव के अवसर पर श्री जयराम विद्यापीठ परिसर में देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के सान्निध्य में आयोजित भागवत पुराण की कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से विख्यात कथावाचक कृष्ण चंद्र शास्त्री ठाकुर ने संगीतमयी शैली में कहा कि भागवत मानव जीवन की अपनी कथा है। धर्म के चार चरणों की कल्पना की जाए तो इसमें सत्य, दान, दया और पवित्रता ही आते हैं। कलयुग में इनमें से सिर्फ एक चरण बचता है वह है सिर्फ सत्य। सत्य से बढ़कर कोई धर्म नहीं होता और असत्य से बढ़कर कोई पाप नहीं है। कथा में कृष्ण चंद्र शास्त्री ठाकुर ने कहा कि भगवान विश्वास में ही समाया है। भागवत का सीधा अर्थ भगवान का मंदिर, भगवान का उपदेश, भगवान का प्रेमी और भगवान का भक्त है। यहां कथा आरंभ होने से पहले परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी एवं श्रद्धालुओं ने भागवत पुराण का पूजन किया। कथा वाचक ने बताया कि भागवत कथा सुनने से मानव के पाप क्षीण हो जाते हैं। कृष्ण चंद शास्त्री ने आत्मदेव ब्राह्मण की कथा का भक्तों को रसपान कराया। उनके साथ में कथावाचक ने राजा परीक्षित की कथा का सुंदर वर्णन किया। कथा को सुनने के लिए भारी संख्या में कथा प्रेमी एवं श्रद्धालु पहुंचे। कथा में कृष्ण चंद शास्त्री ने आत्मदेव ब्राह्मण की कथा सुनाते हुए उनके दोनों पुत्रों धुंधकारी और गोकर्ण के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि धर्म पर चलने और अधर्म पर चलने से क्या लाभ होता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। दूसरे दिन की कथा के समापन पर कथा के श्रद्धालुओं ने व्यासपीठ पर भागवत पुराण की आरती की। संगीतमयी कथा में आचार्य कृष्ण चंद्र शास्त्री ठाकुर के भजनों पर कई बार श्रद्धालु झूमने पर मजबूर हुए। कथा में कुलवंत सैनी, पूर्व सरपंच राजेश शर्मा, विक्रम श्योकंद, केके कौशिक, टेक सिंह लौहार माजरा, राजेश सिंगला, मुनीश मित्तल, ईश्वर गुप्ता, हरप्रीत सिंह चीमा, संगीता शर्मा, संतोष यादव, देवी शर्मा इत्यादि भी मौजूद रहे।
जयराम विद्यापीठ में भागवत पुराण की कथा करते हुए विश्वविख्यात कथावाचक कृष्ण चंद्र शास्त्री ठाकुर एवं उपस्थिति।

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