देहरादून (उत्तराखंड) में छात्र- नौजवानों पर हुये लाठीचार्ज के विरोध में व सबको योग्यतानुसार रोजगार की मांग को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से प्रधानमंत्री को दिया ज्ञापन
दीपक शर्मा ( संवाददाता)
बरेली : दामोदर स्वरूप पार्क में धरना देकर माननीय प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से प्रेषित किया गया। कार्यक्रम में परिवर्तनकामी छात्र संगठन, इंक़लाबी मज़दूर केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन व क्रांतिकारी किसान मंच के कार्यकर्ता शामिल रहे।
धरने के दौरान सभा में बोलते हुए पछास के कैलाश ने कहा कि लगातार बढ़ती जा रही बेरोज़गारी व सरकारी भर्तियों में पेपर लीक व भ्रष्टाचार के विरोध में छात्र – नौजवानों का आक्रोश लगातार सामने आ रहा है। सरकारी भर्तियों में लगातार हो रहे पेपर लीक व भ्रष्टाचार की जाँच तथा नक़ल विरोधी कानून बनाने की मांग को लेकर देहरादून में सत्याग्रह कर रहे छात्रों- नौजवानों पर उत्तराखंड की भाजपा सरकार द्वारा किया गया लाठीचार्ज निंदनीय है। उत्तराखंड की धामी सरकार पेपर लीक व भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के बजाय युवाओं की आवाज को दबाने पर तुली है।
भ्रष्टाचार मुक्त भारत का नारा देने वाली भाजपा के शासन काल में शायद ही कोई भर्ती बिना धांधली के सम्पन्न हुयी हो। उत्तराखंड, यू पी सहित देश का कोई भी राज्य ऐसा नही है जो बिना धांधली के परीक्षाएं आयोजित कर पा रहा है। नक़ल माफिया या भ्रष्टाचारी बिना सरकारी संरक्षण व मिलीभगत के यह सब कर पाने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। उत्तराखंड व मध्य प्रदेश (व्यापम) में नक़ल माफियाओं का भाजपा से सम्बन्ध जग जाहिर हो चुका है। सत्ता के संरक्षण व पकडे जाने पर न्यूनतम कार्यवाही से नक़ल माफियाओं के हौंसले बुलंद हैं। इसीलिये पेपर दर पेपर नकल व धांधली का सिलसिला जारी है।
इमके के डी. सी. मौर्या ने कहा कि केंद्र व राज्यों में लगभग 60 लाख सरकारी पद रिक्त हैं। जिनमें स्थायी भर्ती के बजाय पदों को ही खत्म करने या ठेका- संविदा के जरिये भर्ती कर यह सरकार छात्र- युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। हर वर्ष 2 करोड़ रोजगार देने का वादा कर सत्ता में आयी मोदी सरकार सबसे ज़्यादा रोज़गार ख़त्म करने वाली साबित हुई है। इसीलिए इस सरकार ने बेरोज़गारी के आंकड़े जुटाना व जारी करना बंद कर दिया है।
निजी क्षेत्र में कार्यरत मज़दूरों- नौजवानों पर भी इस सरकार ने नयी श्रम संहिताओं के जरिये हमला बोला है। ठेका- संविदा, नीम, एफ टी ई जैसी पूंजीपरस्त नीतियों के जरिये यह सरकार नौजवानों के स्थायी रोज़गार के सपने व भविष्य को अंधकार में धकेल रही है। चौतरफा निजीकरण, उदारीकरण, विनिवेशीकरण की जनविरोधी नीतियों को आगे बढ़ाया जा रहा है। छात्र- नौजवानों व समाज के अन्य लोगों को इसके खिलाफ़ आवाज़ बुलंद करनी होगी।
सभा व ज्ञापन में निम्नलिखित मांगे रखी गयी-
- देहरादून में बेरोज़गार युवाओं पर लाठीचार्ज के दोषी पुलिसकर्मियों को बर्ख़ास्त किया जाये।
- सभी भर्ती घोटालों की निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाये।
- केंद्र व राज्यों में रिक्त लगभग 60 लाख सरकारी पदों पर तत्काल स्थायी नियुक्तियां की जायें।
- हर किसी को योग्यतानुसार रोज़गार दिया जाये। रोज़गार न मिलने तक 10,000 रूपये प्रतिमाह जीवन निर्वाह हेतु बेरोजगारी भत्ता दिया जाये।
- संविदा, ठेका, एफ़ टी ई, नीम जैसी योजनाओं पर रोक लगाकर सभी नियुक्तियां स्थायी की जायें।
धरने व ज्ञापन की कार्यवाही में पृथ्वी, मोईद, दिशा, सतेंद्र, कृष्णपाल, मोहित, निशा, कृष्णा, रामसेवक, सर्वेश मौर्या, उपेश आदि लोग शामिल रहे।