कर्णप्रयाग विधानसभा: कांगेस में भी बगावती सुर तेज, सुरेश बिष्ट नाराज, निर्दलीय लड़ेंगे चुनाव,

कर्णप्रयाग/गैरसैंण: जिले की महत्वपूर्ण सीट कर्णप्रयाग पर उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के टिकट वितरण से घमासान मचा हुआ है। इस सीट पर कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी माने जा रहे सुरेश कुमार बिष्ट को टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया तो कांग्रेस में ऊपर से लेकर नीचे तक हड़कंप मचा हुआ है। अपने वरिष्ठ नेता को टिकट नहीं मिलने से नाराज गैरसैंण ब्लॉक की पूरी कांग्रेस कमेटी ने सामूहिक इस्तीफे दे दिये हैं। इससे कांग्रेस हाईकमान भी हिल गया है।

दरअसल कांग्रेस ने कर्णप्रयाग सीट से मुकेश नेगी को टिकट दिया है। मुकेश दो बार गौचर नगर पालिका के अध्यक्ष रहे हैं। मुकेश नेगी को टिकट मिलने के बाद गैरसैंण ब्लॉक के कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता अब वरिष्ठ नेता सुरेश कुमार बिष्ट के पक्ष में लामबंद हो गए हैं। उनका कहना है कि टिकट सुरेश कुमार बिष्ट को मिलना चाहिए था। सुरेश कुमार बिष्ट को टिकट नहीं मिलने से नाराज गैरसैंण ब्लॉक की पूरी कांग्रेस कमेटी ने ही सामूहिक इस्तीफा दे दिया है।

कर्णप्रयाग विधानसभा सीट में दो ब्लॉक आते हैं। पहला गैरसैंण और दूसरा कर्णप्रयाग ब्लॉक। दोनों ब्लॉक को मिलाकर इस सीट पर करीब 96 हजार मतदाता हैं। अगर ब्लॉक के हिसाब से बात करें तो गैरसैंण ब्लॉक में 55 हजार के करीब मतदाता हैं। कर्णप्रयाग ब्लॉक में 41 हजार के करीब वोटर हैं। वोटों के इसी गणित के हिसाब से सुरेश कुमार बिष्ट का टिकट का दावा मजबूत था।

बीजेपी ने कर्णप्रयाग सीट पर अनिल नौटियाल को टिकट दिया है। अनिल नौटियाल कर्णप्रयाग ब्लॉक से ताल्लुक रखते हैं। मुकेश नेगी भी कर्णप्रयाग ब्लॉक से ही आते हैं। ये गणित भी सुरेश कुमार बिष्ट के फेवर में जा रहा था। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि कांग्रेस चुनाव समिति ने ना जाने अपना कौन सा गणित लगाया कि सुरेश कुमार बिष्ट का टिकट कट गया।

कर्णप्रयाग सीट से टिकट नहीं मिलने से नाराज वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरेश कुमार बिष्ट ने क्षेत्र में लौटकर कार्यकर्ताओं से मीटिंग की। सभी कार्यकर्ताओं ने उन्हें सुझाव दिया कि अब निर्दलीय चुनाव लड़ना चाहिए। इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश कुमार बिष्ट ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। इससे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में हड़कंप मचा हुआ है। सुरेश कुमार बिष्ट को मनाने के लिए पार्टी के बड़े नेता लगातार फोन कर रहे हैं।

कर्णप्रयाग सीट पर सिर्फ कांग्रेस में ही बगावत नहीं है। बीजेपी भी बगावत से हलकान है। अनिल नौटियाल को टिकट मिलने के बाद बीजेपी नेता टीका प्रसाद मैखुरी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। इससे बीजेपी में भी हड़कंप है। टीका प्रसाद मैखुरी ने बाकायदा डोर-टू-डोर कैंपेन भी शुरू कर दिया है।
उधर गैरसैण में बीजेपी के संस्थापक कहे जाने वाले बाग सिंह रावत के पुत्र और गैरसैंण से जिला पंचायत सदस्य बलवीर रावत के द्वारा भी निर्दलीय उम्मीदवारी जताए जाने की चर्चा तेज है। बलवीर का ये कदम भी बीजेपी के लिए मुश्किल पैदा करेगा। कर्णप्रयाग सीट से ही टिकट की मांग कर रहे बीजेपी के राकेश कुमार डिमरी, पंकज डिमरी और रामचंद्र गौड़ जैसे युवा और वरिष्ठ नेताओं का क्या रुख रहेगा, वह भी प्रचार प्रसार के दौरान स्पष्ट हो जाएगा। हालंकि इन लोगों के द्वारा अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया सामने नही आई है।

बता दें कि चमोली की कर्णप्रयाग विधानसभा सीट में टिकट आवंटन होने से पूर्व भाजपा और कांग्रेस में दावेदारों की लंबी सूची थी, जिससे बीजेपी और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष कर्णप्रयाग सीट पर किसी भी प्रत्याशी का चयन करना गले की हड्डी बनी थी। दो विकासखंडों कर्णप्रयाग और गैरसैण में बंटी कर्णप्रयाग विधानसभा सीट में बीजेपी से घोषित उम्मीदवार अनिल नौटियाल पूर्व में दो बार विधानसभा सीट का नेतृत्व कर चुके हैं। वहीं नौटियाल के द्वारा वर्ष 2012 में बीजेपी के घोषित उम्मीदवार हरीश पुजारी के खिलाफ केतली चुनाव चिन्ह पर निर्दलीय चुनाव लड़ा गया था। जिससे उस दौरान बीजेपी प्रत्याशी की हार तो हुई, लेकिन अनिल नौटियाल भी निर्दलीय के तौर पर चुनाव नहीं जीत पाए थे। बीजेपी की आपसी लड़ाई का सीधा फायदा कांग्रेस के उम्मीदवार डा. अनुसूया प्रसाद मैखुरी को मिला था और वह कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे।

कर्णप्रयाग सीट पर ही कम समय में अपनी बेहतर उपस्थिति दर्ज कराने वाले उत्तराखंड, यूपी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के शीर्ष पदों पर पदाधिकारी रहे रमेश सिंह गड़िया जो कि मूल थराली विधानसभा सीट स्थित देवाल ब्लॉक के निवासी हैं, लेकिन थराली विधानसभा सीट आरक्षित होने से रमेश गढ़िया कर्णप्रयाग विधानसभा सीट में लगातार भ्रमण कर अपनी राजनैतिक जमीन तलाश रहे थे।

प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की फोटो के साथ कर्णप्रयाग विधानसभा क्षेत्र में लगे उनके होर्डिंग, बैनर, पोस्टर लोगों के बीच खूब चर्चाओं में रहे थे। यहां तक कि युवाओं के बीच अपनी एक अच्छी पैठ बनाने को लेकर कर्णप्रयाग विधानसभा सीट के गांव-गांव में क्रिकेट किट और कैरम बोर्ड का भी वितरण उनके द्वारा किया गया था। राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चायें तेज रही कि रमेश गड़िया यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और महाराष्ट्र के राज्यपाल व बीजेपी के वरिष्ठ नेता भगत सिंह कोश्यारी के काफी नजदीकी, करीबी हैं। ऐसे में रमेश गड़िया के समर्थकों द्वारा कर्णप्रयाग सीट से उनका टिकट बीजेपी से तय माना जा रहा था।

लेकिन अब रमेश गड़िया को भी टिकट न मिलने से रमेश गड़िया और उनके साथ टिकट आवंटन से पूर्व गांव भ्रमण कर रही विद्यार्थी परिषद की टीम बीजेपी उम्मीदवार अनिल नौटियाल के साथ कितनी सक्रिय रहेगी यह भी अभी स्पष्ट नहीं है।

कर्णप्रयाग सीट से ही बीजेपी से दावेदारी कर रहे एक ऐसे उम्मीदवार भी थे जो पिछले साल कोरोना संक्रमण काल से निरंतर क्षेत्र में बने हुए थे। बीजेपी राष्ट्रीय मीडिया टीम के नेता और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के करीबी सतीश लखेड़ा को टिकट न मिलना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग यह भी कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के बेहद खास अनिल बलूनी के खास सहयोगी का टिकट कटना आश्चर्यजनक है। जब से बीजेपी ने कर्णप्रयाग सीट से अनिल नौटियाल को प्रत्याशी घोषित किया है, ऐसा बताया जा रहा है कि तब से ही सतीश लखेड़ा का मोबाइल नंबर बंद जा रहा है। बताया यह भी जा रहा है कि वह बेंगलुरु में अपना माइग्रेन का उपचार करा रहे हैं और जल्द बीजेपी के चुनाव प्रचार में भाग लेंगे। लेकिन सियासी खबरें यह भी आ रही हैं कि लखेड़ा का भी टिकट काटे जाने के बाद बीजेपी और कांग्रेस पार्टी सहित अन्य दलों में उनके समर्थक उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं। हालांकि अनिल नौटियाल को टिकट मिलने पर सतीश लखेड़ा ने फेसबुक पोस्ट पर उन्हें बधाई देते हुए मिल-जुलकर चुनाव लड़ने का भरोसा दिया था।

वहीं अगर क्षेत्रीय दल यूकेडी की बात की जाए तो लंबे समय से क्षेत्र में पार्टी का परचम लहरा रहे पत्रकार उमेश खंडूरी का टिकट अंतिम समय में काटकर बलवंत सिंह नेगी को दिए जाने से खंडूरी व्यथित बताए जा रहे थे। किंतु अब पुनः यूकेड़ी ने बलवंत सिंह नेगी का टिकट काटकर खंडूरी को टिकट दे दिया है। लेकिन अब बलवंत सिंह नेगी निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं। उनके निर्दलीय लड़ने पर भाजपा के परंपरागत वोट बैंक पर हमला होगा और बीजेपी के उम्मीदवार को यहां से भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अब बात अगर बीजेपी के मौजूदा विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी की करें तो उन्होंने भी बीजेपी से टिकट कटने के बाद अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने बड़ा निर्णय लेने की बात कही है। अगर वह निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लेते हैं तो गैरसैंण से अनिल नौटियाल का वोट बैंक प्रभावित होगा। क्योंकि नौटियाल की पूर्व से गैरसैंण क्षेत्र में अधिक सक्रियता है। वहीं अगर विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी टिकट कटने की नाराजगी में बीजेपी से बगावत कर कांग्रेस उम्मीदवार मुकेश नेगी या गैरसैंण से ही टिकट न मिलने से नाराज बगावती रुख अख़्तियार कर चुके वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुरेश कुमार बिष्ट का निर्दलीय चुनाव लड़ने पर समर्थन करते हैं तो भाजपा के लिए कर्णप्रयाग सीट से चुनाव जीतना बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

अब बात अगर अब कर्णप्रयाग विधानसभा सीट में कांग्रेस पार्टी की करें तो यहां भी गौचर से पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष रहे मुकेश नेगी का कांग्रेस पार्टी से टिकट फाइनल होने के बाद से अंदर खाने हालात ठीक नही हैं। कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता भुवन नौटियाल का रुख क्या होगा यह समय बताएगा, क्योंकि नौटियाल पूर्व विधायक शिवानंद नौटियाल के समय से ही कर्णप्रयाग विधानसभा सीट के बहुत प्रभावी नेता रहे हैं। उन्होंने ही कांग्रेस नेता मनीष खंडूरी के कर्णप्रयाग से चुनाव लड़ने की इच्छा का सबसे कड़ा विरोध किया था। अब गैरसैण से ही कांग्रेसी नेता सुरेश कुमार बिष्ट ने भी टिकट कटने के बाद पार्टी के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया,

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साग़र मलिक उतराखंड प्रभारी(वी वी न्यूज़)

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