कथा के अंतिम दिवस में कथा व्यास ने सुनाया श्री कृष्ण व रुक्मिणी विवाह प्रसंग

(पंजाब) फिरोजपुर 26 दिसंबर [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]=
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से अरोड़वंश धर्मशाला रायसिंह नगर में पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथामृत का आयोजन किया गया। कथा में राजेश अरोड़ा और विवेक गोदारा ने परिवार सहित पूजन करवाया।
कथा के अंतिम दिवस में श्री कृष्ण व रुक्मिणी जी के विवाह प्रसंग को प्रस्तुत करते हुए श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री मनस्विनी भारती जी ने बताया कि मानव जीवन श्री कृष्ण और रुक्मिणी जी के मिलन का एक दुर्लभ अवसर है। श्री कृष्ण भाव परमात्मा तथा रुक्मिणी अर्थात आत्मा। लेकिन आज का मानव अपने इस वास्तविक लक्ष्य से अनभिज्ञ है। मननशील प्राणी होते हुए भी वह उस तत्व पर विचार ही नहीं करता जिस पर मनन करके उसे जीवन का लक्ष्य मिल सकता है। क्योंकि रुक्मिणी जी प्रभु से जब तक दूर थी तब तक दुखी व अशांत थी। लेकिन जैसे ही पंडित जी को भेजकर कृष्ण को प्रार्थना की कि वह आकर उन्हें स्वीकार करें। तो कृष्ण जी को प्राप्त कर उनका जीवन आनंद से भर उठा। मानव भी आज अपने ही भीतर बैठे परमात्मा को ना जानने से दुखी व अशांत है। लेकिन वह उसे तब तक नहीं जान सकता जब तक उसके जीवन में एक ब्रह्मनिष्ठ गुरु का आगमन नहीं होता। यह सृष्टि का अटल नियम है कि जिसे भी परमात्मा रूपी रहस्य की पुष्टि हुई उसके जीवन में पहले पूर्ण गुरु का आगमन हुआ। जो मानव के अंतःकरण में व्याप्त अंधकार व ईश्वर संबंधी संदेहों को प्रकाश व आत्मज्ञान के माध्यम से तिरोहित कर दे वही पूर्ण ब्रह्म सद्गुरु है। इसलिए भगवान श्री कृष्ण का रुक्मिणी जी का विवाह प्रसंग हमें यही प्रेरणा दे रहा है कि यह कोई बाहरी मिलन नहीं अपितु अंतर जगत में परमात्मा व आत्मा का मिलन है। जो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अनिवार्य है। साध्वी जी ने कहा कि जब पूर्ण गुरु मानव के जीवन में आते हैं तो हमारा दिव्य चक्षु खोलकर हमारे भीतर उस ईश्वर का साक्षात्कार करवा देते है।
कथा में साहिल सेठी,नवदुर्गा भजन मण्डली से सुदेश गुप्ता,डॉ आशा कालड़ा, लश्री सनातन धर्म मंच, मां की छाया मन्दिर कमेटी एवं बजरंग सेना गो रक्षा दल के सदस्य विशेष तौर पर पहुंचकर प्रभु के आशीर्वाद को प्राप्त किया।अरोड़वंश महिला कार्यकारणी से पूनम गोसाईं एवं उनके सदस्यों ने संत समाज को वस्त्र प्रदान कर आशीर्वाद प्राप्त किया। विनोद इच्छापूजानी ने अरोड़वंश के सदस्यों के साथ कथा व्यास जी एवं स्वामी धीरानंद जी को राजस्थानी पगड़ी पहनाकर उन्हें सम्मानित किया। मां की छाया महिला मंडल ने सन्त समाज को माल्यार्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किया।कथा में उपस्थित सभी संस्थाओं ने कथा के आयोजन की प्रशंसा की। संस्थान की ओर से स्वामी धीरानंद जी ने शहर के सभी धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं को कथा में सहयोग देने के लिए धन्यवाद किया।



