Uncategorized

सीमा से अधिक सहना भी खतरनाक है, अधर्म है : डा. स्वामी चिदानंद ब्रह्मचारी। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

चुप रहना समझदारी है, पर मौन रहकर अन्याय सहना अपराध है।

कुरुक्षेत्र, 2 मार्च : देश के विभिन्न राज्यों सहित विश्व स्तर पर भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न गीता का प्रचार प्रसार कर रहे अंतर्राष्ट्रीय गीता मिशन ओडिशा के अध्यक्ष डा. स्वामी चिदानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि मूर्ख व्यक्ति के सामने मौन रहने से अच्छा उत्तर और कुछ भी नहीं हो सकता है। परंतु जीवन में सदैव चुप रहना उचित नहीं होता है। गीता में कहा गया है जहां पाप को बल बढ़ रहा हो, जहां छल-कपट हो रहा हो वहां पर मौन रहने से अधिक गंभीर अपराध और कुछ नहीं हो सकता है। संत डा. स्वामी चिदानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि कभी-कभी हम सबके जीवन में एक समस्या अवश्य आती है कि हम किसी ताकतवर के समक्ष मौन हो जाते हैं। ऐसा क्यों, उसकी ताकत से बचने के लिए हम मौन रह जाते हैं। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि नौ सौ निन्यानवे अपशब्द सहने वाले भगवान श्री कृष्ण आगे की एक भी न सुन सके-चक्र से शिशुपाल का वध कर बैठे। इससे यह तय नहीं होता कि पहले कहे गए अपशब्दों को प्रकट रूप से ही सह लेते थे और अंत से कुछ असहिष्णु थे। संत डा. स्वामी चिदानंद ने कहा कि ऐसा सोचा जा सकता है, क्योंकि ऐसे हम सब हैं। अगर हम चौथी गाली पर बिगड़ उठते हैं, तो हम भलीभांति जानते हैं कि बिगड़ तो हम पहली ही गाली पर गए थे। लेकिन तीन तक साहस रखा, तीन तक सहिष्णुता थी, फिर हम चूक गए, फिर हमारी सहिष्णुता और न सह सकी। तो चौथी गाली पर हम प्रकट हो गए। लेकिन इस से उलटा भी हो सकता है। और भगवान श्री कृष्ण बड़े विपरीत हैं। ठीक हमारे जैसे आदमी नहीं हैं। बड़ा सवाल भगवान श्री कृष्ण के लिए यह नहीं है कि उनकी सहिष्णुता चुक गई, बड़ा सवाल यह है कि अब सामने का जो आदमी है, अब उसकी सीमा आ गई। अब इससे ज्यादा सहे जाना सहिष्णुता का सवाल नहीं है, इससे ज्यादा सहे जाना बुराई को बनाए रखने का सवाल है। इससे ज्यादा सहे जाना अब अधर्म को बचाना होगा।
संत डा. स्वामी चिदानंद ब्रह्मचारी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button