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कुरुक्षेत्र के जग ज्योति दरबार महंत राजेंद्र पुरी सहित देश के अनेक संतों का मां ज्वाला जी के दरबार में हुआ संगम।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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मां ज्वाला जी के दरबार में सनातन वैदिक राष्ट्र निर्माण के संकल्प के लिए कुरुक्षेत्र से शुरू हुए मां बगलामुखी और महादेव के महायज्ञ का दूसरा चरण सम्पूर्ण हुआ।
राष्ट्र एक शरीर है एवं धर्म उसकी आत्मा है : महंत राजेंद्र पुरी।
कुरुक्षेत्र, 15 दिसम्बर : कुरुक्षेत्र के जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी सहित देश के अनेक संत महापुरुषों का मां ज्वाला जी के दरबार में संगम हुआ। यह 5 दिवसीय मां बगलामुखी व महादेव के महायज्ञ और 2 दिवसीय श्रीमद भगवत गीता ज्ञान यज्ञ के आयोजन का अवसर था। वीरवार को मां ज्वाला जी के दरबार में श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज और जग ज्योति दरबार से महंत राजेंद्र पुरी के मार्गदर्शन व बालयोगी ज्ञान नाथ की अध्यक्षता में चल रहे 5 दिवसीय मां बगलामुखी व महादेव के महायज्ञ और 2 दिवसीय श्रीमद भगवत गीता ज्ञान यज्ञ का सनातन वैदिक राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ समापन हो गया। इस समापन कार्यक्रम में मां ज्वाला जी के पुजारियों, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा व गोरख डिब्बी के संतों ने यज्ञ स्थल पर आकर आयोजकों और संत महापुरुषों का सम्मान किया। महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि हिन्दुओं को समझना चाहिए कि राष्ट्र एक शरीर है और धर्म उसकी आत्मा है। जैसे धर्म विहीन राष्ट्र मृत होता है वैसे ही राष्ट्र विहीन धर्म का भी कोई अस्तित्व नहीं होता। ये बात हर हिन्दू समझ ले कि सनातन वैदिक राष्ट्र के निर्माण के बिना अब सनातन धर्म का कोई भविष्य नहीं है। अगर हिन्दुओं की यह अंतिम शरणस्थली भी उनसे छीन गई तो हिन्दुओं का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। उन्होंने मां बगलामुखी और महादेव से हिन्दुओं को इस महान लक्ष्य के लिए सद्बुद्धि और सामर्थ्य देने की प्रार्थना की। श्रीमद भगवत गीता ज्ञानयज्ञ में भक्तजनों को सम्बोधित करते हुए महंत राजेन्द्र पुरी ने कहा कि श्रीमद भगवत गीता हमें बताती है कि धर्म और अधर्म की लड़ाई शाश्वत है। परन्तु धर्म कभी भी अधर्म से पराजित नही हो सकता। दुष्ट राक्षस जब मानवता पर अत्याचार करते हैं तो वो परमपिता परमात्मा की सर्वव्यापी और सार्वभौमिक सत्ता को भूल जाते हैं। अपने स्वार्थ,क्रूरता और अहंकार के वशीभूत होकर महाविनाश को आमंत्रित करते हैं। इसलिए सनातन के मानने वालों को अपने सब संशय त्याग कर धर्म की रक्षा के लिए सब कुछ बलिदान करने के लिए तैयार रहना ही चाहिए। कार्यक्रम का संचालन यति सत्यदेवानंद महाराज ने किया। कार्यक्रम में निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णा भारती, बालयोगी ज्ञान नाथ महाराज सहित अनेक संत विद्वानों ने श्रीमद भगवत गीता पर अपने विचार रखे।
संत महापुरुष एवं श्रद्धालु यज्ञ में आहुतियां देते हुए।