जालौन: गावहिं छवि अवलोकि सहेली, सियॅं जयमाल राम उर मेली

‘गावहिं छवि अवलोकि सहेली, सियॅं जयमाल राम उर मेली’

🤡 धनुर्भंग लीला में रावण-वाणासुर व लक्ष्मण-परशुराम संवादों का आनंद लिया दर्शकों ने

🤡 बिदूषक दूल्हा और नाऊ कक्का की हास्य विनोद से भरीं प्रस्तुतियों ने खूब गुदगुदाया

रिपोर्टर :- अविनाश शाण्डिल्य के साथ बिबेक द्विवेदी Vv न्यूज चैनल कोंच जालौन

कोंच। कोंच रामलीला में रविवार रात धनुर्भंग लीला का बेजोड़ मंचन किया गया जिसमें महाराज जनक की प्रतिज्ञानुसार देश देशांतर के राजा धनुष तोड़ने रंगभूमि में आते हैं लेकिन अंततः राम ने धनुष तोड़ा और सीता ने उनके कंठ में जयमाल डाली। रावण-वाणासुर और लक्ष्मण-परशुराम संवादों का मैदान में उपस्थित हजारों दर्शकों ने आनंद उठाया। बिदूषक दूल्हा और नाऊ कक्का की हंसी ठठ्ठे की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया।
गल्ला व्यापारियों की संस्था धर्मादा रक्षिणी सभा द्वारा संचालित रामलीला के 170वें महोत्सव में रविवार की रात धनुर्भंग लीला का शानदार मंचन किया गया। मिथिला नरेश महाराज जनक घोषणा करते हैं कि जो भी शिव धनुष पिनाक की प्रत्यंचा चढ़ाएगा उसके साथ वह अपनी तनया सीता का विवाह करेंगे। निर्धारित तिथि पर जनकपुर की रंगशाला में देश देशांतर के राजे महाराजे और राजकुमार सीता को वरण करने के उद्देश्य से एकत्रित होते हैं। राक्षसराज रावण और दानवराज वाणासुर भी रंगभूमि में आते हैं। दोनों के बीच हुए तीखे वाक् युद्ध को दर्शकों ने खूब सराहा। लीला में मनोरंजन के लिए बिदूषक दूल्हा और नाऊ कक्का की ऊटपटांग हरकतें दर्शकों को गुदगुदाने में सफल रही। रंगभूमि में उपस्थित कोई राजा महाराजा जब धनुष को तिल भर भी न हिला सके तो जनक अपनी प्रतिज्ञा को लेकर विलाप करने लगते हैं और पृथ्वी को वीर विहीन जब बताते हैं तो लक्ष्मण उनकी बात पर कुपित हो उठते हैं। वह कहते हैं कि जिस सभा में रघुवंश का एक छोटा बालक भी अगर उपस्थित है तो यह कहने का साहस कोई कैसे कर सकता है कि पृथ्वी वीरों से खाली है। गुरु विश्वामित्र का आदेश पाकर राम धनुष उठा लेते हैं और जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास करते हैं, धनुष टूट जाता है। जनकनंदिनी सीता सखियों के संग आकर राम के कंठ में जयमाल डाल देती हैं। चारों तरफ से पुष्प वर्षा होने लगती है। पिनाक ध्वंस की घोर गर्जना सुनकर जमदग्नेय परशुराम वहां आ जाते हैं। लक्ष्मण और परशुराम के मध्य हुए गर्मागर्म संवादों का भी दर्शकों ने आनंद लिया। जनक की भूमिका सिद्धहस्त रंगकर्मी राजकुमार हिंगवासिया, विश्वामित्र का सुशील दूरवार मिरकू महाराज, परशुराम रमेश तिवारी, सुनयना सूरज शर्मा, शतानंद संतोष त्रिपाठी, रावण रूपेश सोनी, वाणासुर संजय सिंघाल, चतुर सखी अतुल चतुर्वेदी, बिदूषक दूल्हा बप्पी लहरी, नाऊ कक्का कल्लू याज्ञिक, सुमति अनिल अग्रवाल, विमति ध्रुव सोनी, राजाओं की भूमिका में जवाहर अग्रवाल, नीरज अग्रवाल आदि रहे। सांकेतिक विभाग की कमान दिनेश मानव, नीरज द्विवेदी, नंदराम स्वर्णकार, अभिषेक रिछारिया ‘पुन्नी’ ने संभाल रखी थी। रामलीला समिति के अध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल मोंठ वाले, मंत्री संजय सोनी, कोषाध्यक्ष सुधीर सोनी खूजा वाले, अभिनय विभाग के मंत्री सुधीर आदि विभिन्न व्यवस्थाओं में लगे थे।

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कोंच रामलीला में आज ‘राम वन गमन लीला’

कोंच। रामलीला अभिनय विभाग के अध्यक्ष रमेश तिवारी व मंत्री सुधीर सोनी ने जानकारी देते हुए बताया कि कोंच रामलीला की सबसे सशक्त प्रस्तुति मानी जाने वाली लीला ‘राम वन गमन’ का मंचन 27 सितंबर मंगलवार को रात ठीक आठ बजे से रामलीला रंगमंच पर किया जाएगा। उन्होंने लोगों से अधिकाधिक संख्या में रामलीला देखने पहुंचने का आग्रह किया है।

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