पत्रकारों के उत्पीड़न को लेकर जर्नलिस्ट काउंसिल ने भरी हुंकार

पत्रकारों के उत्पीड़न को लेकर जर्नलिस्ट काउंसिल ने भरी हुंकार
दीपक शर्मा (जिला संवाददाता)
बरेली : पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमले और फर्जी मुकदमों को लेकर जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक वर्चुअल मीटिंग करके इस पर नाराजगी व्यक्त की और सरकार से मांग की है कि पत्रकारों को कार्य करने हेतु सुरक्षित एवं भय मुक्त माहौल सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाए ताकि पत्रकार निर्भीक होकर अपने कार्य को कर सके और समाज की अच्छाइयों एवं बुराइयों को उपलब्धता के आधार पर व्यक्त कर सकें क्योंकि पत्रकार समाज का आईना होता है। इस अवसर पर जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के एक सैकड़ा से अधिक राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक पदाधिकारियों के साथ-साथ अन्य साथियों ने भी हिस्सा लिया और अपने विचार व्यक्त किए।
सर्वप्रथम इस सभा का आरंभ जर्नलिस्ट काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अनुराग सक्सेना के द्वारा पत्रकारों पर हो रहे फर्जी मुकदमो और उत्पीड़न को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए किया गया, डॉक्टर सक्सेना ने कहा कि आज जब छोटे अखबार अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं तब सरकार को ई पेपर को मान्यता देना अति आवश्यक हो गया है। अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रीय पदाधिकारी राजू चारण ने कहा कि असंगठित पत्रकारों को संगठित होकर एक साथ आवाज उठानी पड़ेगी, तभी उनकी समस्याओं का समाधान हो सकेगा और इसके लिए जर्नलिस्ट काउंसिल आफ इंडिया से बेहतर और कोई मंच नहीं हो सकता। राष्ट्रीय पदाधिकारी हरिशंकर परासर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पत्रकारिता समाज का आईना है और इस आईने को साफ सुथरा ही रहने देना चाहिए। बिहार राज्य के प्रभारी कुणाल भगत ने कहा कि अब तो पत्रकार का शोषण आम बात हो गई है परंतु जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ़ इंडिया इसको कतई बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके लिए जिस भी प्रकार के संघर्ष की आवश्यकता होगी किया जाएगा।इसी प्रकार से कई राज्यों के पदाधिकारी एवं राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा सर्वप्रथम वरीयता में रखते जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ़ इंडिया अपनी आवाज उठाती रही है और सदैव उठाती रहेगी। इस अवसर पर संगठन के पदाधिकारीयों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए उनसे अपील की है कि जिले के पत्रकारों के साथ-साथ स्थानीय पत्रकारों को भी तवज्जो दी जाए और उनको भी मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू की जाए। क्योंकि यदि स्थानीय पत्रकार अपने कर्तव्य को अच्छे से नहीं निभा पायेंगे तो जिले के पत्रकार या वरिष्ठ पत्रकारों का समाचार संकलन असंभव हो जाएगा। देश में लाखों की संख्या में उपस्थित स्थानीय पत्रकार ही अपने जान को जोखिम में डालकर गली-गली से समाचारों का संकलन करता है जो अखबारों की सुर्खियां बनते हैं। इसलिए उनके हित में सोचना अति आवश्यक है।




