Uncategorized

साध्वी ऋतंभरा के 60वें जन्मदिवस पर “दोहों में दीदी मां” पुस्तक का लोकार्पण

सेंट्रल डेस्क संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, संवाददाता – डॉ. गोपाल चतुर्वेदी दूरभाष – 94161 91877

प्रख्यात साहित्यकार डॉ. उमाशंकर “राही” ने 121 दोहों में विस्तार से लिखी है साध्वी ऋतंभरा की संघर्षमय जीवन-यात्रा।

वृन्दावन,27 अक्टूबर : पिछले दिनों वात्सल्य ग्राम की संस्थापिका एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वात्सल्य मूर्ति, पद्म विभूषण, दीदी-मां साध्वी ऋतंभरा के 60वें जन्मदिवस पर सम्पन्न हुए।उनके षष्ठी पूर्ति महोत्सव में “दोहों में दीदी मां” पुस्तक का लोकार्पण अत्यन्त धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ।इस पुस्तक के लेखक हैं प्रख्यात कवि एवं वात्सल्य ग्राम के प्रवक्ता डॉ. उमाशंकर “राही”।
“दोहों में दीदी मां” के रचियता डॉ. उमाशंकर “राही” ने कहा कि इस पुस्तक में दीदी मां साध्वी ऋतंभरा की संघर्षमय जीवन यात्रा का 121 दोहों में विस्तृत वर्णन है।इस पुस्तक का प्रकाशन दीदी मां के सदगुरुदेव युगपुरुष स्वामी परमानंद महाराज के शुभ आशीर्वाद व उनकी प्रमुख शिष्या महामंडलेश्वर साध्वी सत्यप्रिया गिरि के सहयोग से ही संभव हो सका है।
उन्होंने बताया कि पद्म विभूषण दीदी-मां साध्वी ऋतंभरा का व्यक्तित्व व कृतित्व अत्यन्त महान व विशाल है। उन पर जितना भी लिखा जाय, वो कम है। फिर भी हमने उनके विराट स्वरूप को 121 दोहों में समेटने का प्रयास किया है। क्योंकि हिन्दी काव्य में दोहा ही एक मात्र ऐसा छंद है, जिसमें कम शब्दों में अधिक कहने की सामर्थ्य है।इस पुस्तक की भाषा अत्यन्त सहज, सरल व रोचक है।जिससे प्रत्येक व्यक्ति उसे पढ़ व समझ सकता है।यह पुस्तक दीदी मां की मां श्रीमती कलावती व पिता श्री प्यारेलाल को समर्पित है।इस पुस्तक का प्रकाशन वात्सल्य प्रकाशन, अग्रसेन आवास, इंद्र प्रस्थ विस्तार, नई दिल्ली से हुआ है।
ज्ञात हो कि उच्च शिक्षा प्राप्त डॉ. उमाशंकर “राही” विश्व प्रसिद्ध प्रख्यात साहित्यकार हैं।उनकी रचनाएं समूचे विश्व की विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रायः प्रकाशित होती रहती हैं।साथ ही वे कई दूरदर्शन केन्द्रों व आकाशवाणी केन्द्रों से भी जुड़े हुए हैं।उन्होंने पिछले कई दशकों से वात्सल्य ग्राम के प्रवक्ता के रूप में कार्य करते हुए दीदी मां साध्वी ऋतंभरा की जीवन-यात्रा को निकट से देखा व समझा है। इसलिए वे उन पर लिखी पुस्तक में दीदी मां का सटीक व प्रभावशाली विवेचन कर सके हैं।उनकी इससे पूर्व “सच्चे पाताशाह”, “चमकौर का युद्ध” व ” जीवन के रंग-दोहों के संग” आदि पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।साथ ही उन्हें साहित्य भूषण, काव्य श्री, संकल्प गरिमा, काव्य रत्न, काव्य गौरव, राष्ट्र गौरव, जागृति भूषण एवं साहित्य सेवा आदि सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Compare Listings

Title Price Status Type Area Purpose Bedrooms Bathrooms
plz call me jitendra patel