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जांजगीर-चांपा – 19/08/2023/– मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले लक्ष्मण ने कभी नहीं सोचा था कि उनका भी पक्का आशियाना बनेगा और अपने परिवार के साथ वह रह सकेंगे, लेकिन उनके ख्वाबों को हकीकत में बदलने का काम प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) ने करके दिखाया। आज आवास को पाकर उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं, उनकी जो चाह मन में थी उसे हकीकत में देखकर पूरा परिवार गदगद है।
यह कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है बलौदा विकासखण्ड की ग्राम पंचायत जर्वे में रहने वाले लक्ष्मण केंवट की। टूटे-फूटे मकान में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहने वाले लक्ष्मण को हमेशा एक ही चिंता थी कि उनके पास भी दूसरों की तरह पक्का मकान हो, लेकिन जितनी उनको मजदूरी मिलती है, उससे उनके परिवार का गुजारा ही बमुश्किल हो पाता था, ऐसे में मकान बनाने की कल्पना करना उनके लिए कठिन था। पक्का मकान बनाने की चिंता और टूटे-फूटे मकान को देखकर जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ रही थी। हर दिन यही सपना लिये रोज उठते थे कि कभी वह भी दिन आएगा जब उनका परिवार अच्छे सुव्यवस्थित आवास में रहने लगेगा। समय बदला और वह आया भी, उनका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में आया तो उनको लगने लगा कि अब वह दिन दूर नहीं जब वह अपने पक्के आवास में पहुंचेंगे। उनके मकान की स्वीकृति वर्ष 2020-21 में दी गई। लक्ष्मण ने देर किये बिना ही पुराने मकान को तोड़कर नया मकान बनाना शुरू किया। आवास के लिए मिली पीएम योजना की राशि उन्हें वरदान साबित हुई। धीरे-धीरे करके उन्होंने मकान बना लिया और बारिश के दिनों में जो परेशानियों के साथ गुजरना पड़ता था, उससे मुक्ति मिली। पीएम आवास योजना से मिली जानकारी के अनुसार लक्ष्मण केंवट पिता भूवनलाल केंवट को 1 लाख 20 हजार रूपए की स्वीकृति के साथ एक एक करके किश्त आवास बनाने के लिए दी गई। इसके साथ ही उनके आवास में शौचालय का निर्माण किया गया और महात्मा गांधी नरेगा से 90 दिन की मजदूरी भी उन्हें मिली। जैसे-जैसे किस्त आती गई वैसे-वैसे मकान का निर्माण पूर्ण होता गया। मकान बना तो लक्ष्मण को लगा कि उनकी मन की मुराद पूरी हो गई। आज वह आवास में खुशहाली के साथ अपनी पत्नी, दो बच्चे, बहू एवं उनके बच्चों के साथ रहने लगे हैं। उनका कहना है कि पीएम आवास उनके पूरे परिवार या कहें कि हम जैसे गरीबों का सहारा बनकर वरदान साबित हो रही है।