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मध्य प्रदेश /रीवा शराब ठेकेदारों के बीच बना सिंडीकेट, एकदाम पर पूरे जिले में बिकेगी शराब
ब्यूरो चीफ/ राहुल कुशवाहा रीवा मध्य प्रदेश.8889284934
जिले में शराब के दाम 1 दिसंबर से बढ़ा दिऐ गये हैं ! अब बढ़े दाम और एक कीमत पर ही पूरे जिले में शराब बिकेगी ! ऐसे में सुरा प्रेमियों को जेब ज्यादा ढीली करनी होगी! दरअसल यह बदलाव शराब ठेकेदारों के बीच बनने वाले सिंडीकेट से हुआ है! नवागत सहायक आबकारी आयुक्त अनिल जैन ने गत दिवस ठेकेदारों की एक बैठक आयोजित की थी! जिसमें शराब एक रेट पर बेचे जाने के निर्देश दिए गए थे! साथ बैठक में उन्होंने निर्देश दिए कि ऐसा नहीं करने पर शराब ठेकेदारों पर कार्यवाही की जाएगी! विभाग के विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि अनिल जैन ने कुछ दिन पहले ही जिले में सहायक आबकारी आयुक्त के रूप में पदभार ग्रहण किया है ! इसके बाद से ही वह अपने अनुसार शराब कारोबार संचालित करने का दबाव ठेकेदारों पर बनाने लगे हैं पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने जिले के सभी 77 कंपोजिट शराब दुकानों को चलाने वाले ठेकेदारों को बुलाया था इस दौरान उन्होंने सीधे शब्दों में कहा है कि जिले में शराब एक ही रेट पर बेची जाए यदि ठेकेदारों को घाटा हो रहा है तो शराब के दाम बढ़ा दे लेकिन किसी भी दुकान में शराब के दामों में भिन्नता नहीं मिलनी चाहिए! ऐसा हुआ तो संबंधित ग्रुप के खिलाफ कार्यवाही करने से पीछे नहीं हटेंगे ! 1 सप्ताह के भीतर व्यवस्था लागू हो जानी चाहिए नहीं तो शराब ठेकेदार कार्यवाही के लिए जिम्मेदार होंगे! नवागत सहायक आबकारी आयुक्त के निर्देश पर सभी शराब कारोबारी एकजुट होकर शराब के रेट बढ़ाकर एवं पूरे जिले में एक रेट पर शराब बेचने पर सहमति बना कर आज से बढ़ी हुई कीमत पर शराब दुकानों में शराब बेचना शुरू कर दिया है! अब देखना यह होगा कि यह सिंडीकेट कितने दिनों तक एकजुट रहता है!
रीवा जिले में शराब दुकानों में पिछली बार सिंडिकेट टूटने के बाद शराब कारोबारियों ने अपने-अपने रेट पर शराब बेचने का काम शुरू कर दिया !
आपसी प्रतिस्पर्धा के चलते कम रेट पर शराब बिकनी शुरू हो गई ! पुलिस, और आबकारी विभाग से सांठगांठ कर शराब कारोबारियों ने पूरे जिले में फैले अपने पैकारो को शहर के हर गली, चौराहों पर शराब बेचने का खुली छूट दे दी! जहां एक पैकार 1 दिन में 4 पेटी शराब बेचता था वह रेट कम होने की वजह से 25 पेटी माल बेचना शुरू किया! जिले एवं शहर के हर गली चौक चौराहों पर पैकारो में इजाफा हुआ तो शराब भी गली गली बिकनी शुरू हो गई! रीवा शहर एवं जिले के थानों में पदस्थ कुछ चुनिंदा पुलिसकर्मियों के संरक्षण में यह अवैध कारोबार फल फूल रहा है ! पुलिस एवं आबकारी विभाग के सूत्रों ने बताया कि शराब कारोबारियों द्वारा अपने अवैध पैकारी के अड्डों को बचाए रखने के लिए एक निश्चित रकम थाना प्रभारी एवं स्टाफ के नाम पर दी जाती है! शराब कारोबारी अगर तय दिनांक को पैसा नहीं पहुंचाते तो पुलिसकर्मी स्वयं ही अपने हिस्से की रकम मांग लेते हैं! पुलिस विभाग एवं आबकारी विभाग के कुछ चुनिंदा अधिकारी एंव आरक्षकों के संरक्षण में यह अवैध कारोबार चल रहा है!
अभी तक पुलिस एवं आबकारी विभाग के कुछ घाघ उप निरीक्षक और आरक्षक पूरे जिले में शराब के कारोबार को मैनेज कर रहे थे इनके द्वारा ही वरिष्ठ अधिकारियों तक चढ़ोत्तरी पहुंचती थी लेकिन अब इन सब को किनारे कर दिया गया है ऐसे में यह उपनिरीक्षक परेशान है! जिले में शराब कारोबार को सिंडिकेट बनाने के लिए मेजबान की जरूरत होगी लेकिन यह मेजबानी किस ग्रुप के हाथ में जाएगी इसे लेकर संशय बरकरार है कई ग्रुपों ने अपने आप को इस काबिल बताया लेकिन सभी ग्रुपों के सहमति आपस में नहीं बन पा रही ज्ञात हो कि इसके पहले भी शराब ठेकेदार ने सिंडिकेट बनाया था लेकिन 1 सप्ताह भी नहीं चल पाया टूट गया! कुछ शराब कारोबारी को जहां करोड़ों का फायदा हो रहा है वही कुछ ऐसे भी शराब कारोबारी हैं जिन्हें करोड़ों को घटा होना इस वर्ष तय माना जा रहा है!
शराब माफिया और आबकारी विभाग के गठजोड़ से हो रहा अवैध कारोबार
शराब माफियाओं और आबकारी विभाग के गठजोड़ से ही जिले में बड़े पैमाने पर अवैध शराब का कारोबार चल रहा है। यह कारोबार करीब दो दशक के चल रहा है। जब भी बड़ी मात्रा में शराब की बरामदगी और माफियाओं पर कार्रवाई हुई तो वह पुलिस ने ही की। आबकारी महकमा शराब माफियाओं पर कभी हाथ नहीं डालता। जब भी शासन का दबाव पड़ता है तो गरीबों को गिरफ्तार करके कच्ची शराब की बरामदगी करके आबकारी महकमा कोरम पूरा कर लेता है।
यह जिला अवैध शराब के कारोबार का गढ़ रहा है। यहां आज से नहीं दो दशक पहले से यह अवैध कारोबार हो रहा है।
अवैध कारोबार के माफिया, राजशाही ठाटबाट
जिले में दर्जन भर शराब माफिया ऐसे हैं, जिन्होंने इसी अवैध कारोबार से आलीशान बंगला बनाने के साथ ही राजशाही की जिदगी जी रहे हैं। इन माफियाओं को सफेद पोश सियासियों का भी संरक्षण मिला है। कुछ तो खुद सफेदपोश नेता का चोला ओढ़े कर इस शराब कारोबार को संचालित कर रहे हैं! मंत्री,सांसद, विधायक से लेकर संगठन के ओहदेदार पदों पर शराब माफिया आसीन हैं! ऐसा नहीं है कि शराब माफियाओं और उनके अवैध कारोबार के बारे में आबकारी विभाग के अफसरों को जानकारी नहीं है। वे सब कुछ जानते हुए अनजान बने हैं, इसकी वजह आबकारी महकमे का शराब माफियाओं से गठजोड़ है। आबकारी महकमा बड़े शराब माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता। उसके निशाने पर वह गरीब रहते हैं, जो महुए की शराब चोरी छिपे बनाकर बेचते हैं। इन्हीं गरीबों की धरपकड़ करके और 40-50 लीटर कच्ची शराब बरामद करके आबकारी महकमा अपना कोरम पूरा कर लेता है।