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प्रेम ही नफरत को खत्म कर सकता है : संत डा. स्वामी चिदानंद ब्रह्मचारी

प्रेम ही नफरत को खत्म कर सकता है : संत डा. स्वामी चिदानंद ब्रह्मचारी।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

नफरत से बदला लेने की भावना पैदा होती है।

कुरुक्षेत्र, 21 मार्च : देश के विभिन्न राज्यों सहित विश्व स्तर पर भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न गीता का प्रचार प्रसार कर रहे अंतर्राष्ट्रीय गीता मिशन ओडिशा के अध्यक्ष संत डा. स्वामी चिदानंद ने कहा कि संसार में नफरत भरी पड़ी है। कुछ देश युद्ध की आग में झुलस रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि वास्तव में नफरत ने कभी भी नफरत को खत्म नहीं किया है। केवल प्रेम ही नफरत को खत्म कर सकता है। नफरत से बदला लेने की भावना पैदा होती है और बदला लेने से और भी नफरत पैदा होती है। संत डा. स्वामी चिदानंद ने कहा कि दुख का एक चक्र शुरू हो जाता है जो लगातार चलता रहता है। आज दुनिया में कई जगह इस सच्चाई का दुखद सबूत देखने को मिलता है। घृणा क्रोध का एक चरम रूप है। क्रोध बहुत से दुखों का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि जब क्रोध पर काबू नहीं पाया जा सकता है और वह हिंसा में बदल जाता है, तो नुकसान बहुत स्पष्ट है। जब क्रोध की यह गंदगी बहुत प्रबल हो जाती है, तो उसे अच्छाई या बुराई, सही या गलत, पति, पत्नी, बच्चों का कोई बोध नहीं रहता है। क्रोध के विनाशकारी प्रभावों के बारे में अक्सर जो बात नजरअंदाज की जाती है, वह है इससे होने वाला नुकसान। संत डा. स्वामी चिदानंद ने कहा कि एक नफरत है, जिसको पल भर में महसूस कर लिया जाता है और एक प्रेम है जिसका यकीन दिलाने के लिए सारी जिंदगी भी कम पड़ जाती है। हमारी समस्याओं का हल सिर्फ़ हमारे ही पास होता है दूसरों के पास तो हमारी समस्याओं के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ सुझाव होते है।
संत डा. स्वामी चिदानंद।

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