वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर में निरंतर हो रहा है कार्तिक मास पूजन।
कुरुक्षेत्र, 27 अक्तूबर : मारकंडा नदी के तट पर श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में संत महापुरुषों के सान्निध्य में निरंतर कार्तिक मास पूजन हो रहा है। साथ ही अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी द्वारा कार्तिक मास महात्म्य कथा भी सुनाई जा रही है। रविवार को भगवान शिव के परम भक्त ऋषि मारकंडेय का पूजन एवं अभिषेक करने के उपरांत महंत जगन्नाथ पुरी ने कथा में नारद जी के प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि इंद्र देव तथा अन्य देवता भय-कंपित होकर भागते-भागते बैकुंठ में भगवान विष्णु जी के पास पहुंचे। देवताओं ने अपनी रक्षा के लिए उनकी स्तुति की। देवताओं की उस दीन वाणी को सुनकर करुणा के सागर भगवान विष्णु ने उनसे कहा कि हे देवताओं तुम भय को त्याग दो। मैं युद्ध में शीघ्र ही राक्षस जालंधर को देखूंगा। कथा में बताया कि भगवान गरुड़ पर जा बैठे, तब समुद्र-तनया लक्ष्मी जी ने कहा कि हे नाथ यदि मैं सर्वदा आपकी प्रिया और भक्ता हूँ तो मेरा भाई आप द्वारा युद्ध में नहीं मारा जाना चाहिए। इस पर विष्णु जी ने कहा अच्छा, यदि तुम्हारी ऐसी ही प्रीति है तो मैं उसे अपने हाथों से नहीं मारूंगा परन्तु युद्ध में अवश्य जाऊँगा क्योंकि देवताओं ने मेरी बड़ी स्तुति की है। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि भगवान विष्णु युद्ध के उस स्थान में जा पहुंचे जहां जालंधर विद्यमान था। जालंधर और विष्णु का घोर युद्ध हुआ। विष्णु के तेज से कम्पित देवता सिंहनाद करने लगे फिर तो अरुण के अनुज गरुड़ के पंखों की प्रबल वायु से पीड़ित हो दैत्य इस प्रकार घूमने लगे जैसे आँधी से बादल आकाश में घूमते हैं। तब अपने वीर दैत्यों को पीड़ित होते देखकर जालंधर ने क्रुद्ध हो विष्णु जी को उद्धत वचन कहकर उन पर कठोर आक्रमण कर दिया। कथा के उपरांत महंत जगन्नाथ पुरी ने प्रसाद वितरित किया। इस मौके पर स्वामी संतोषानंद, स्वामी विकास महाराज, बिल्लू पुजारी, प. मोहन दास, नाजर सिंह, सुक्खा सिंह, दलीप, विजयंत, कर्म चंद्र, संध्या, निशा, कांता रानी एवं मीना कुमारी इत्यादि भी मौजूद रहे।
महंत जगन्नाथ पुरी।