वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी ने बताया सनातन धर्म में छबील सेवा का महत्व।
कुरुक्षेत्र, 18 जून : जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी ने मंगलवार को दर्जनों शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सत्संग किया। निर्जला एकादशी होने के कारण वे अनेक जल सेवा एवं शरबत की छबीलों में भी गए। उन्होंने सनातन संस्कृति में छबीलों तथा भंडारों का महत्व बताया। महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि सेवा का भाव प्राचीनकाल से ही भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। सनातन धर्म में तो सेवा को धर्म का सार बताया गया है। प्राणी मात्र और प्रकृति की सेवा का भाव सनातन धर्म की पूजा पद्धति और मान्यताओं में समाहित है। उन्होंने कहा कि सेवा के भी कई श्रेष्ठ रूप वर्णित हैं। इनमें मानव की सेवा माधव (भगवान) की सेवा के समतुल्य मानी गई है। कहा जाता है मानवता की सेवा करने वाले हाथ उतने ही धन्य होते हैं जितने परमात्मा की प्रार्थना करने वाले अधर। सेवाभाव ही मानव जीवन का वास्तविक सौंदर्य और श्रृंगार है। इस अवसर पर निर्जला एकादशी सेवा में जागीर मोर, नरेश पंचाल, गुरदेव पंचाल, रोशन शर्मा, कैलाश ठाकुर, बबलू ठाकुर, राजेंद्र, प्रदीप कश्यप, पवन पावा, डा. सोनू, शिव चरण पंचाल ,गोगी, रोहतास सैनी, रिंकु सैनी, बिट्टू शर्मा, सुरेश शर्मा व संजय बारू इत्यादि भी शामिल रहे।
निर्जला एकादशी पर सेवा करते महंत राजेंद्र पुरी श्रद्धालुओं के साथ।