मां की अराधना में लीन साधक ममता देवी,हाथ की तलहटी पर स्थापित की कलश
फारबिसगंज (अररिया) संवाददाता
शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के साधकों की हठधर्मिता एक से बढ़कर एक शारदीय नवरात्र में देखने को मिलती है।ऐसे ही एक हठधर्मी साधक है ममता देवी, जिन्होंने अपने हाथ में कलश को स्थापित कर मंदिर में बैठ मां दुर्गा की आराधना में लीन है।फारबिसगंज के सहबाजपुर स्थित छिन्नमस्ता मंदिर में कठिन साधना में लीन है,क्योंकि छिन्नमस्ता भगवती के दस महाविद्याओं में से एक विधा है। इसलिए विद्या वैभव की प्राप्ति को लेकर भक्त के आने का सिलसिला न केवल शारदीय नवरात्र बल्कि सालों भर रहता है।वर्षों से मंदिर में नवरात्र को कोई ना कोई साधक अपने गोदी या सीने पर कलश को स्थापित कर मां भगवती की अराधना करते आ रहे हैं।
सहबाजपुर निवासी गौरी शंकर झा की पत्नी ममता देवी अपने हाथ की तलहटी पर कलश को स्थापित की है। हाथ की तलहटी को अपने गोद में रख पिछले तीन दिनों से मां की अराधना में तल्लीन है।हठधर्मी साधक ममता देवी के सहयोग मंदिर के पुजारी अमरेश झा और पंडित विजय कुमार झा समेत मंदिर निर्माण समिति के पदाधिकारी गण कर रहे हैं। पुजारी अमरेश झा ने बताया कि यह छिन्नमस्ता मंदिर दो सौ साल से अधिक पुराना है और इस मंदिर में आपरूपी स्वयमेव प्रकृटीत भगवती हैं। मंदिर के प्रांगण में एक बहुत विशाल पीपल का वृक्ष है,जो इस मंदिर के पुरातन होने का गवाह है। मंदिर के बारे में मान्यता यह है कि जो भक्त मैया के दरबार में सच्चे मन से आते हैं, उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
ममता देवी की साधना को देखने के लिए दूर-दूर से मां के भक्त मंदिर पहुंच रहे हैं और उनके अन्न- जल त्याग कर कठोर तपस्या की मुरीद हो रहे हैं।