अंधेपन, लकवे, हृदयघात के सबसे अधिक मामले डायबिटीज की देन है,,,,,,, डा आसिफ रशीद
थोड़ी सी जागरूकता व अनुशासित जीवनशैली से बचा जा सकता है डायबिटीज से
अररिया
आम तौर पर लोगों का यह धारणा है कि चीनी खाने से डायबिटीज हो जाती है,जबकि ऐसा नहीं है। चीनी खाने से शुगर का डायरेक्ट कोई ताल्लुक नहीं है। डायबिटीज के मरीज को उनके जीवन शैली को किस प्रकार जीना है । इनके बारे में एक्स मेडिकल ऑफिसर, जेएनयू नई दिल्ली व जिला मुख्यालय स्थित गाछी टोला वॉर्ड नंबर 24 के निकट डा एम ए रशीद मेमोरियल पॉलीक्लिनिक के मशहूर चिकित्सक ( जेनरल फिजिशियन एवं शिशु रोग विशेषज्ञ) डा आसिफ रशीद ने बताया कि आजकल के बदलते खानपान और लाइफस्टाइल की वजह से डायबिटीज एक आम समस्या हो गई है। यह स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है। इससे बचाव के लिए जागरूकता पैदा करना होगा। इसलिए डब्लूएचओ लोगों को हर वर्ष जागरूक करता है और इससे होने वाले नुकसान, इसके सही इलाज और सावधानी को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाता है।
दुनिया में हर 5 सेकंड में एक व्यक्ति डायबिटीज के कारण अपनी जान गंवाता है. प्रत्येक 70 सेकंड में पैरों (डायबिटीज फुट) में होने वाली बीमारी गैंगरीन के चलते एक टांग काटनी पड़ती है। 50 से 70 प्रतिशत पीड़ितों को यह नहीं मालूम कि उन्हें डायबिटीज है। अंधेपन, लकवे, ह्रदयाघात के सबसे अधिक मामले डायबिटीज की देन हैं। डायबिटीज एक आजीवन रहने वाली बीमारी है। यह एक मेटाबॉलिक डिसॉर्डर है, जिसमें मरीज़ के शरीर के रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर बहुत अधिक होता है। जब, व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता है और शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं कर पाती हैं। जैसा कि, इंसुलिन का बनना शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है ,क्योंकि यह रक्त से शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज़ का संचार करता है। इसीलिए, जब इंसुलिन सही मात्रा में नहीं बन पाता तो पीड़ित व्यक्ति के बॉडी मेटाबॉलिज्म पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।
हम जो भोजन करते हैं उससे, शरीर को ग्लूकोज प्राप्त होता है, जिसे कोशिकाएं शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में उपयोग करती हैं। यदि शरीर में इंसुलिन मौजूद नहीं होता है, तो वे अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाती हैं और ब्लड से कोशिकाओं को ग्लूकोज नहीं पहुंचा पाती हैं। जिसके कारण ग्लूकोज ब्लड में ही इकट्ठा हो जाता है और ब्लड में अतिरिक्त ग्लूकोज नुकसानदायक साबित हो सकता है। आमतौर पर डायबिटीज़ 3 प्रकार का होता है- टाइप-1 डायबिटीज,टाइप-2 डायबिटीज और,जेस्टेशनल डायबिटीज, जो कि प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली हाई ब्लड शुगर की समस्या है।
डायबिटीज के कारण क्या हैं ?
डा आसिफ रशीद ने बताया कि
जब शरीर सही तरीके से रक्त में मौजूद ग्लूकोज़ या शुगर का उपयोग नहीं कर पाता। तब, व्यक्ति को डायबिटीज़ की समस्या हो जाती है।
आमतौर पर डायबिटीज के मुख्य कारण
उन्होनें कहा कि इंसुलिन की कमी,परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज़ होना
(अनुवांशिक) ,बढ़ती उम्र,हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल,एक्सरसाइज ना करने की आदत,हार्मोन्स का असंतुलन,हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रेस, नींद की कमी, चिंता ,तनाव, खान-पान की ग़लत आदतें।
डायबिटीज़ के लक्षण क्या हैं ?
पीड़ित व्यक्ति के शरीर में बढ़े हुए ब्लड शुगर के अनुसार उसमें डायबिटीज़ के लक्षण दिखाई देते हैं। ज्यादातर मामलों में अगर व्यक्ति प्री डायबिटीज या टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित हो तो, समस्या की शुरूआत में लक्षण दिखाई नहीं पड़ते। लेकिन, टाइप-1 डायबिटीज के मरीज़ों में डायबिटीज़ लक्षण बहुत तेजी से प्रकट होते हैं और ये काफी गंभीर भी होते हैं। टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मुख्य लक्षण ये हैं-बहुत अधिक प्यास लगना,बार-बार पेशाब आना,भूख बहुत अधिक लगना,अचानक से शरीर का वजन कम हो जाना या बढ़ जाना,थकान,चिड़चिड़ापन,
आंखों के आगे धुंधलापन,घाव भरने में बहुत अधिक समय लगना,स्किन इंफेक्शन,ओरल इंफेक्शन्स,वजाइनल इंफेक्शन्स।
डायबिटीज का निदान क्या है
डा आसिफ रसीद कहते हैं कि डायबिटीज या मधुमेह के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। जागरुकता भी जरूरी है। डायबिटीज़ के निदान के लिए इस प्रकार के कुछ टेस्ट कराने की सलाह दी जा सकती है। एच बी ए 1 सी टेस्ट इस प्रकार का टेस्ट टाइप 2 डायबिटीज़ के लिए किया जाता है। जिसमें, मरीज़ को हर 3 महीने में एक बार ब्लड टेस्ट कराना होता है और उसका एवरेज ब्लड ग्लूकोज़ लेवल जांचा जाता है। एच बी ए1सी टेस्ट में 5 से 10 तक के अंकों में ब्लड में ग्लूकोज़ का स्तर मापा जाता है। अगर टेस्ट रिपोर्ट में 5.7 से नीचे का आंकड़ा दिखाया जाता है तो वह नॉर्मल होता है। लेकिन अगर किसी का एच बी ए1सी लेवल 6.5% से अधिक दिखायी पड़ता है तो वह, डायबिटीज़ का मरीज़ कहलाता है।
डायबिटीज़ का उपचार क्या है
डायबिटीज टाइप-1 डायबिटीज के बारे में बताया कि इसका कोई स्थायी उपचार नहीं है इसीलिए, व्यक्ति को पूरी ज़िंदगी टाइप-1 डायबिटीज का मरीज़ बनकर रहना पड़ता है। ऐसे लोगों को इंसुलिन लेना पड़ता है, जिसकी मदद से वे अपनी स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। लेकिन, टाइप-2 डायबिटीज के लक्षणों से बिना किसी दवा के प्रतिदिन एक्सरसाइज, अच्छी नींद,संतुलित भोजन, समय पर नाश्ता और वजन को नियंत्रित करके छुटकारा पाया जा सकता है। सही डायट की मदद से टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा कुछ ओरल एंटीबायोटिक्स दवाएं टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ने से रोकने में मदद करती हैं।
डायबिटीज से बचाव के उपाय क्या हैं
डायबिटीज़ एक गंभीर बीमारी है जिससे, आपको आजीवन में परेशानियां हो सकती हैं। डायबिटीज़ से पीड़ित व्यक्ति को स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। लेकिन, कुछ सावधानियां बरतकर डायबिटीज की बीमारी से बचा जा सकता है। मीठा कम खाएं। शक्कर से भरी और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करने से बचें। एक्टिव रहें, एक्सरसाइज करें, सुबह-शाम टहलने जाएं, पर्याप्त व प्रचूर मात्रा में पानी ज़्यादा पीएं, सात से आठ घंटा नींद लें, मीठे शर्बत और सोडा वाले ड्रिंक्स पीने से बचें। आइसक्रीम, कैंडीज़ खाने से भी परहेज करें। वजन घटाएं और नियंत्रण में रखें। स्मोकिंग और अल्कोहल लेने से परहेज करें। हाई फाइबर डायट खाएं,प्रोटीन का सेवन भी अधिक मात्रा में करें। विटामिन डी की कमी ना होने दें। क्योंकि, विटामिन डी की कमी से डायबिटीज़ का ख़तरा बढ़ता है। उन्होनें कहा कि
एक साथ अधिक मात्रा में खाने के बदले थोड़ी थोड़ी मात्रा में कई बार खाएं। पांच दिनों तक लगातार 30 से 40 मिनट तेज कदमों के साथ
पैदल चलें।