कुरुक्षेत्र की भूमि से पूरे विश्व को दिया जा रहा है प्राकृतिक खेती का संदेश : नवीन जिंदल


कुरुक्षेत्र की भूमि से पूरे विश्व को दिया जा रहा है प्राकृतिक खेती का संदेश : नवीन जिंदल
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग के तहत 2481 करोड़ की योजना जारी।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के सभागार में आयोजित तीन दिवसीय कृषि-तकनीकी प्रदर्शनी एवं स्टार्टअप कॉन्क्लेव का शुभारंभ।
पशुपालकों और युवाओं के लिए भी आयोजित करेंगे सेमिनार।
प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री और सैनिकों पर गर्व।
कुरुक्षेत्र, 9 मई : सांसद नवीन जिंदल ने कहा कि कुरुक्षेत्र की भूमि से पूरे विश्व को प्राकृतिक खेती का संदेश दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री की पहल को गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और पद्मश्री डा. हरिओम आगे बढ़ा रहे हैं। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा तब मिलेगा जब किसानों में जुनून होगा। खेती से दुनिया आगे बढ़ रही है। कृषि के माध्यम से किसान खुद के साथ-साथ समाज और देश को मजबूत बना सकता है। कुशल, समृद्ध एवं नया भारत बनाने का सपना साकार होगा।
सांसद नवीन जिंदल शुक्रवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के सभागार में आयोजित तीन दिवसीय कृषि- तकनीकी प्रदर्शनी एवं स्टार्टअप कॉन्क्लेव के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी-तीन गुनी हो। इसके लिए केंद्र व प्रदेश सरकार अनेक योजनाओं को लाकर प्रयास कर रही है। सभी काम सरकारें नहीं कर सकती, इसके लिए किसानों को भी आगे आना होगा। अपनी खेती के तरीके को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि बहुत लोग अपने शरीर और परिवार का पूरा ख्याल रखते हैं। ऐसे लोग नेचुरल उत्पादों का प्रयोग करते हैं। जो रासायनिक उत्पादों से काफी अधिक महंगा है। किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती के अंतर को भी समझने की जरूरत है।
सांसद नवीन जिंदल ने कहा कि किसानों ने लगाए गए तीन दिवसीय सेमिनार में प्रगतिशील किसान और उन्नत किसान नई तकनीकों को लेकर आए हैं। किसानों को उनसे बात करनी चाहिए। उनसे जानकारी हासिल करके आगे बढऩे का काम करना चाहिए। जिन किसानों को रसायनों के प्रयोग से पैदा हुई फसल के नुकसान का पता लग जाता है, आगे उन्हें ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए। इसके लिए किसानों को सबसे पहले अपने परिवार के लिए प्राकृतिक खेती करना शुरू करना चाहिए। इसके बाद वो अपनी खेती को बढ़ा सकते हैं। इस सेमिनार से किसानों को बहुत कुछ नया सीखने को मिलेगा। इसके बाद भी किसान कृषि विज्ञान केन्द्रों में जाकर नई तकनीकों की जानकारी हासिल कर सकते हैं। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वो खेती को फैशन के तौर पर करते हुए प्राकृतिक खेती की तरफ रुख अपनाएं।
इस मौके पर पूंडरी विधायक सतपाल जाम्बा, भाजपा के जिलाध्यक्ष तेजिन्द्र सिंह गोल्डी, भाजपा नेता सुभाष कलसाना, पद्मश्री डा. हरिओम, कृषि उपनिदेशक डा. कर्मचन्द, जिला परिषद चेयरमैन कंवलजीत कौर, नगर परिषद चेयरमैन माफी ढांडा, जिला परिषद कैथल चेयरमैन कर्मबीर कौल, पूर्व विधायक तेजवीर सिंह, भाजपा नेता रविंद्र सांगवान, मंडल अध्यक्ष जगदीप सांगवान, राहुल ढींगडा सहित अन्य गणमान्य मौजूद रहे।
पशुपालकों और युवाओं के लिए भी आयोजित करेंगे सेमीनार
सांसद नवीन जिंदल ने कहा कि समाज में बहुत काम करने की जरूरत है। जिस तरह अब किसानों के लिए 3 दिन का सेमीनार आयोजित किया है। इसी प्रकार का सेमीनार पशुपालकों और युवाओं के लिए भी आयोजित किया जाएगा। पशुपालकों को अपने घर में पाले जाने वाली गाय-भैंसों की नस्लों और उनकी पुरानी पीढिय़ों की जानकारी भी होनी चाहिए। इसी तरह युवाओं के लिए स्टार्टअप व अन्य तकनीकों की जानकारी होनी जरूरी है। सरकार द्वारा हर वर्ग के लिए काम किया जा रहा है। अब उसके सही प्रयोग की जरूरत है।
प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री और सैनिकों पर गर्व।
सांसद नवीन जिंदल ने कहा कि हमें अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु, रक्षा मंत्री राजनाथ और सैनिकों पर गर्व है। भारत ने आतंकवाद को करारी चोट दी है। वैसे तो भारत देश पड़ोसी देशों के साथ हमेशा शांति चाहता है, लेकिन पाकिस्तान की हरकतें ठीक नहीं है। पहलगाम में पाकिस्तान ने निर्दोष, निहत्थे लोगों पर हमला किया है। ऐसे हमलों पर देश चुप बैठने वाला नहीं है। एक-एक व्यक्ति की मौत को हिसाब लिया जा रहा है। देश का नेतृत्व झुकेगा नहीं। सभी को देश के नेतृत्व पर पूरा विश्वास है। उन्होंने देश के सैनिकों का साहस बढ़ाने के लिए भारत माता का जयकारा लगवाया।
नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग के तहत 2481 करोड़ की योजना जारी।
पद्मश्री डा.हरिओम ने कहा कि प्रधानमंत्री ने नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग के तहत 2481 करोड़ की योजना जारी की है। प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने के लिए सांसद नवीन जिंदल ने संसद में मुद्दा उठाने के बाद किसानों जो जागरूक करने की मुहिम शुरू कर दी है। पिछले वर्ष देश के 12 वैज्ञानिकों ने रिसर्च के बाद एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया कि खाद्य सुरक्षा को 75 प्रतिशत गेहूं व धान की फसल से पूरा किया जाता है। रिपोर्ट में आगे बताया कि वर्ष 1970 से अब तक गेहूं व धान की फसल के पोषक तत्वों में 45 प्रतिशत तक गिरावट आ चुकी है और आने वाले 15 वर्षों में गेहूं व धान दोनों फसल खाने योग्य नहीं बचेगी। जमीनी पानी का स्तर और गुणवत्ता दोनों की खराब होती जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 21 जिलों में नाइट्रेट व क्लोराइड बहुत ज्यादा मात्रा में बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि अब प्राकृतिक खेती को अपनाने का समय आ गया है। इसको करने के लिए किसानों को ट्रेनिंग लेनी होगी, क्योंकि पोषक तत्वों का संतुलन होना जरूरी है। किसानों को प्राकृतिक खेती को सबसे पहले अपने घर के लिए करना शुरू करना होगा। जो उपजाऊ भूमि हमारे पूर्वजों ने हमें सौंपी थी आगे चलकर अपने बच्चों को भी वैसी ही भूमि सौंपने का प्रयास किया जाए। जो प्राकृतिक खेती से ही संभव हो सकता है।