वृद्धावस्था खोया हुआ युवापन नहीं है, बल्कि अवसर और शक्ति का एक नया चरण है:स्वामी विज्ञानानंद जी

स्वामी विज्ञानानंद जी आज सीनियर सिटीजन कॉन्सिल वृद्ध आश्रम पहुंचे।
फिरोज़पुर 30 सितंबर 2025 [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]=
सीनियर सिटीजन कॉन्सिल वृद्ध आश्रम* में आज विशेष रूप से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी विज्ञानानंद जी पहुंचे। स्वामी जी ने वहां सभी सज्जनों का मार्ग दर्शन करते हुए कहा कि आयु, विद्या, यश और बल ये चारों अनमोल उपहारों को प्राप्त करने के केन्द्र माता-पिता, वृद्धजन एवं गुरुजन हैं।वृद्धावस्था आना प्राकृतिक परिवर्तन की एक क्रमिक, सतत प्रक्रिया है जो प्रारंभिक वयस्कता काल से ही आरंभ हो जाती है। प्रारंभिक प्रौढ़ावस्था के दौरान, शरीर की बहुत सी क्रियाक्षमताएं धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। लोग किसी खास आयु में ज़्यादा उम्र के लोग या बुज़ुर्ग नहीं होते। इसलिए भारतीय संस्कारों में अपने बुजुर्गों के प्रति सदैव सेवा-सम्मान बनाये रखने की परम्परा है। महापुरुषों, संत जनों की सेवा करना श्रेष्ठ है, पर घर में बैठे हुए माता-पिता बुजुर्ग की सेवा, सहायता सम्मान सर्वश्रेष्ठ धर्मों में एक है। जरा सोचिए बचपन में जिन्होंने लाड-प्यार से पालकर आपको बड़ा किया, वे बुढ़ापे में अपना सम्मान पाकर कितना खुश होते होंगे। आज विश्व स्तर पर सर्वाधिक आवश्यक है घर-परिवार के बीच बुजुर्गों के प्रति प्रेम, स्नेह-सम्मान भरे व्यवहार को बढ़ाना। बुजुर्गों के लिए औषधि से अधिक आवश्यक है उनके प्रति स्नेह, सम्मान भरे व्यवहार को बढ़ाना। हमारी भारतीय परम्पराओं में दिये गये सूत्र इसके लिए अधिक कारगर साबित हो रहे हैं। इनके प्रयोग से बुजुगों में ऊर्जा संचरित होती है और वे दीर्घजीवी, आरोग्यपूर्ण जीवन की अभिलाषा से भर उठते हैं। जबकि अपनो द्वारा उपेक्षा से उनका मनोबल गिरता है, बीमारी घेरने लगती है। रोग घेरते हैं। मनु स्मृति में वर्णन है कि तुम अपने बड़ों का आशीर्वाद लो, निश्चित रूप से बड़ों के आशीर्वाद से तुम्हारी आयु बढे़गी। सच यह भी है कि उन बुजुर्गों में इससे आरोग्यता, प्रसन्नता, उल्लास बढ़ता है।
स्वामी जी ने बताया कि बुढ़ापा खोया हुआ युवापन नहीं है, बल्कि अवसर और शक्ति का एक नया चरण है। आप कभी भी इतना बूढ़े नहीं होते कि आप कोई नया लक्ष्य निर्धारित कर सकें या कोई नया सपना देख सकें। सुंदर युवा लोग प्रकृति की दुर्घटनाएं हैं, लेकिन सुंदर वृद्ध लोग कला की कृतियाँ हैं। चूंकि वृद्धावस्था की सबसे बडी विशेषता यह कि कि वृद्ध मनुष्य के पास अनुभवों का खजाना होता है और यह खजाना उसने जमाने की ठोकर खाकर, अच्छे लोगों की और बुरे लोगों की संगति से प्राप्त किया होता है। इसलिए किसी कार्य को करने के पहले अगर सफल होना चाहते है तो वृद्धों की सलाह भी ले लेना चाहिए। आवश्यकता है कि इस अवस्था के आने से पहले ब्रह्म ज्ञान से प्राप्त आत्म शक्ति जा जागरण कर अपने परम लक्ष्य को पा कर जीवन से मृत्यु की यात्रा को सफल बनाना।
ध्यान देने योग्य है सीनियर सिटीजन कॉन्सिल के प्रधान प्रदीप जी व पूर्व प्रधान सतपाल खेहरा ने आज स्वामी जी का अभिवादन किया साथ ही सभी वृद्धजनों ने भविष्य में भी स्वामी जी को ऐसे कार्यक्रम करने का आग्रह भी किया।