कैदियों का भविष्य संवारेगी जैविक खेती- जेल अधीक्षक
जलालाबाद- : कन्नौज संवाददाता मतीउल्लाह
जिला कारागार के बंदी जेल में जैविक खाद से खेती किया करेंगे। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। एक संस्था के सदस्यों ने बंदियों को जेल में जैविक खाद से खेती करने के गुर सिखाएगे बंदियों को बताया गया कि कैसे कितनी लागत से खेती की जानी है।
जिला करागार में खेती की जमीन है। जेल के बंदियों से इस जमीन में खेती कराई जाती है। जेल में हजार से ऊपर बंदी है, जो बंदी जिस काम में निपुण होता है उसे वही काम दिया जाता है। खेती में रुचि लेन वाले जेल के बंदियों को एक ट्रस्ट से जिला जेल में तक बंदियों को जैविक खाद से खेती करने के गुर सिखाए। इसके लिए 30 से 40 बंदियों का अलग से चयन किया जाएगा इस खेती से बंदियों को भी फायदा होगा। जेल अफसरों को सुझाव दिया कि जैविक खाद से खेती करने के लिए जेल में जल्द ही गाय पाली जाएं। गाय के गोबर से खेती की जाए। गोबर के साथ अन्य जैविक सामग्री का भी खेती में प्रयोग हो। जेल अधीक्षक पीके त्रिपाठी के मुताबिक जेल में जैविक खाद से खेती करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
फसलों में डाला जाने वाला कीटनाशक भी जैविक विधि से ही तैैयार होगा। गाय के गोबर, मूत्र, गुड़, बेसन और फलों के छिलके से कीटनाशक तैयार किए जाएंगे। हानिकारक पेस्टीसाइट के बजाए ये कीटनाशक फसलों पर छिड़के जाएंगे। एक देशी गाय एक हेक्टेअर जमीन में जैविक खेती करा सकती है। देशी गाय के गोबर और मूत्र बहुत उर्वरक होता है। अगर इसे सही तरह से प्रयोग किया जाए तो खेतों में रासायनिक खाद डालने की जरूरत ही नहीं होगी