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दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा स्टेटस मैनेजमेंट विषय पर कार्यक्रम का किया गया आयोजन
फिरोजपुर 22 अगस्त {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा टायनी टाट्स स्कूल श्री गंगानगर में “स्ट्रैस मैनेजमेंट” विषय पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें विशेष रूप से पधारे गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी डॉ. सर्वेश्वर जी ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव, डिप्रेशन, टेंशन, कुछ ऐसे शब्द हैं जो हमारी ज़िंदगी का अभिन्न अंग बनते जा रहें हैं। नौबत ये आन पड़ी है कि दिन-भर की भागदौड़ के बाद भी रात को सोने के लिए लोग नींद की गोलियों का सहारा लेते हैं।
कैसी विडंबना है ये? आज के इंसान ने खाने के लिए विभिन्न व्यंजन तो जुटा लिए, पर वह पैसों से भूख नहीं कमा पाया। आज हमने सोने के लिए मखमली गद्दे तो खरीद लिए, पर आँखों में नींद नहीं खरीद पाए। आज हमने तन के लिए सुख-सुविधाएं तो इकट्ठी कर ली, पर हमारे मन का चैन कहीं खो गया। आज बेशक हमने बहुत तरक्की कर ली, बहुत कुछ अर्जित कर लिया, लेकिन परिणाम क्या है? दुःख, अवसाद, और डिप्रेशन। और अंततः इसी डिप्रेशन का शिकार हुआ युवा-वर्ग आत्महत्या जैसे घृणित कृत्य करने में भी संकोच नहीं करता।
आखिर कैसे इस डिप्रेशन रूपी सुरसा का मुख बन्द किया जाए? कैसे अवसाद व तनाव के अंधकार का भेदन किया जाए? इसके लिए ज़रूरत है आत्म-दर्शन के सनातन प्रकाश की। ज़रूरत है आत्म-ज्योति के जागरण की।
गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी अक्सर कहते हैं कि अगर किसी कक्ष में सालों से अंधकार व्याप्त हो तो उसमें विभिन्न प्रकार के ज़हरीले जीव-जन्तु जैसे साँप, बिच्छू, मकड़ी इत्यादि अपना घर बना लेते हैं। अब अगर हम इन्हें कक्ष से बाहर निकालना चाहते हैं तो हमें एक-एक को पकड़ने की ज़रूरत नहीं है। मात्र एक कार्य करने की आवश्यकता है। उस कक्ष में प्रकाश कर दीजिए। देखते ही देखते ये सब जीव अपने आप बाहर चले जाएंगे। इसी प्रकार हमारे भीतर भी अंधकार व्याप्त है। हम जब आँखें बंद करतें हैं तो हमें केवल अंधेरा ही दिखता है। इसी अज्ञानता के अंधकार के कारण ही हमारे अंदर तनाव-डिप्रेशन जैसे साँप, बिच्छू घर कर गए हैं। जिस दिन हमारे अंदर भी पूर्ण गुरु की कृपा से आत्मा का प्रकाश झिलमिलाएगा, अवसाद-तनाव भी छूमंतर हो जाएगा। बचेगा तो केवल शांति, आनन्द व उल्लास।
इस अवसर पर संस्थान की ओर से स्वामी धीरानंद जी भी उपस्थित रहे।