बिहार:कालाजार उन्मूलन की ओर अग्रसर हो रहा पूर्णिया

कालाजार उन्मूलन की ओर अग्रसर हो रहा पूर्णिया

  • जिला में पिछले चार साल में तीन चौथाई तक कम हुए कालाजार के मरीज
  • एक दिन में भी हो सकता है कालाजार का उपचार
  • नियमित छिड़काव, सर्वे एवं मोनिटरिंग से कम हो रहा कालाजार
  • ग्रामीण स्तरों तक स्वास्थ्य कर्मी व स्थानीय डॉक्टरों को मिला है कालाजार उन्मूलन के लिए प्रशिक्षण
  • संक्रमित बालू मक्खी के काटने से होता है कालाजार

पूर्णिया

बालू मक्खी के काटने से होने वाला कालाजार संक्रमण जिले में खत्म होने के कगार पर है। पिछले चार सालों में इसके मरीजों की संख्या में तीन चौथाई तक की कमी आई है। इसके पीछे लोगों को कालाजार से बचाव के लिए जागरूक करने के साथ ही नियमित रूप से इसे रोकने के लिए चलाया गया छिड़काव अभियान मुख्य है। इतना ही नहीं बढ़ते समय के साथ स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसके उपचार में भी विकास किया गया है। अब एक दिन में ही आवश्यक दवाई का उपयोग कर लोग कालाजार का खात्मा कर सकते हैं। सिविल सर्जन डॉ. एस. के. वर्मा ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य विभाग के अथक प्रयास से यह संभव हो सका है। इसके लिए विभाग द्वारा आशा, सेविका, एएनएम आदि के साथ स्थानीय सामान्य चिकित्सकों को भी प्रशिक्षण दिया गया है. जिससे कि वे समय पर कालाजार मरीजों की पहचान कर उन्हें इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में रेफर कर सकें और उनका सही समय पर ईलाज हो सके।

पिछले चार साल में तीन चौथाई तक कम हुए कालाजार के मरीज :
जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल अधिकारी डॉ. आर. पी. मंडल ने बताया कि कालाजार बीमारी दो तरह का होता है- पेट का कालाजार (भीएल) और चमड़ी का कालाजार (पीकेडीएल)। पिछले चार साल में जिले में दोनों ही तरह के कालाजार संक्रमित मरीजों में तीन चौथाई तक कमी आई है। डॉ. मंडल ने बताया कि जिले में 2018 में 165 भीएल और 73 पीकेडीएल क मरीज पाए गए थे। 2019 में इसकी संख्या 103 (भीएल) व 48 (पीकेडीएल) और 2020 में 64 (भीएल) व 21 (पीकेडीएल) हो गई थी। वर्ष 2021 के अंत तक जिले में भीएल के 45 मरीज व पीकेडीएल के 31 मरीज पाए गए हैं. जिनका उपचार चल रहा है। बहुत जल्द जिले में कालाजार संक्रमण का खात्मा किया जा सके इसके लिए विभाग द्वारा आवश्यक कार्यवाही की जा रही है।

एक दिन में भी हो सकता है कालाजार का उपचार :
डॉ. आर. पी. मंडल ने बताया कि समय पर कालाजार का इलाज कराने से एक दिन में भी इसका इलाज संभव है। पेट के कालाजार (भीएल) से संक्रमित मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा ‘अम्बिसोन’ की दवा दी जाती है. जिसका सेवन करने से लोग कालाजार से मुक्त हो सकते हैं। वहीं चमड़ी के कलाजर (पीकेडीएल) से संक्रमित मरीज को ‘मल्टीफोसिन’ की दवा दी जाती है जिसका 28 दिन तक सेवन करने से लोग कालाजार से मुक्त हो सकते हैं। यह दवा पूर्णिया जिले के चारों अस्पतालों में उपलब्ध है जिसमें राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल धमदाहा व बनबनखी एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अमौर शामिल है। डॉ. मंडल ने बताया कि अस्पतालों में कालाजार का इलाज के बाद सभी मरीजों को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत 7100 रुपये पेट के कालाजार मरीज को जबकि 4000 रुपये चमड़ी के कालाजार मरीज को सहयोग राशि के रूप में दी जाती है।

नियमित सर्वे, मोनिटरिंग व छिड़काव से नियंत्रित किया जा रहा कालाजार :
भीडीसीओ रवि नंदन सिंह ने कहा कि कालाजार को समाप्त करने के लिए जिले में नियमित रूप में सर्वे व मोनिटरिंग किया जाता है। इस दौरान पाए गए कालाजार के मरीजों को तत्काल चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जाती है। हर छः माह में जिले में कालाजार से बचाव के लिए छिड़काव अभियान भी चलाया जाता है। भीडीसीओ रवि नंदन सिंह ने बताया कि संक्रमित बालू मक्खी के काटने से किसी भी उम्र के व्यक्ति को कालाजार की समस्या हो सकती है। इसके प्रमुख लक्षणों में पेट दर्द, बुखार, भूख न लगना, खून की कमी, ज्यादा पसीना होना, त्वचा का रंग गहरा होना, मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना आदि होता है। ऐसे लक्षणों के होने से लोगों को नजदीकी अस्पताल में अपनी जांच करवानी चाहिए। जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर व्यक्ति को अस्पताल से आवश्यक मेडिसिन दी जाती है जिससे कालाजार का उपचार संभव होता है।

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