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भागवत पीठ में विराट सन्त-विद्वत सम्मेलन के साथ हुआ सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत जयंती एवं श्रीराधाष्टमी महोत्सव का समापन

भागवत पीठ में विराट सन्त-विद्वत सम्मेलन के साथ हुआ सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत जयंती एवं श्रीराधाष्टमी महोत्सव का समापन

सेंट्रल डेस्क संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
ब्यूरो चीफ – डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, दूरभाष – 9416191877

वृन्दावन : रुक्मिणी विहार रोड़ (निकट केशव धाम) स्थित भागवत पीठ आश्रम में सत्य सनातन सेवार्थ संस्थान (रजि.) के द्वारा ब्रज विभूति परिव्राजकाचार्य स्वामी ब्रजरमणाचार्य महाराज व विद्वत शिरोमणि भागवत भूषण आचार्य पीठाधिपति स्वामी किशोरीरमणाचार्य महाराज की पावन स्मृति में चल रहा सप्त दिवसीय 49वां श्रीमद्भागवत जयंती एवं श्रीराधाष्टमी महोत्सव विभिन्न धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यक्रमों के साथ संपन्न हुआ।इस अवसर पर आयोजित विराट संत-विद्वत सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए आचार्य कुटी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामप्रपन्नाचार्य महाराज एवं श्रीमज्जगद्गुरु स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा कि श्रीराधा तत्व प्रेम का वह परम दिव्य भाव है, जो श्रीकृष्ण के साथ मिलकर आनंद और भक्ति का अद्भुत अनुभव कराता है। कुछ परंपराओं में कृष्ण और राधा को एक ही पूर्णतम परब्रह्म के दो रूप माना गया है, जो भक्तों को आनंद प्रदान करने के लिए अलग-अलग लीलाएँ करते हैं।
श्रीनाभापीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज एवं संत प्रवर स्वामी गोविंदानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि वर्तमान में सनातन धर्म पर जो कुठाराघात किया जा रहा है, उसके लिए हम सभी को एकत्र होकर आगे आना होगा।यदि हम जातियों ने बंटे रहे,तो एक दिन भारत से ही विलोप हो जायेंगे।भारत देश सनातनियों का देश है और हमें हर हाल में इसकी रक्षा करनी होगी।
आचार्य/भागवत पीठाधीश्वर भागवत प्रभाकर मारुति नंदनाचार्य “वागीश” महाराज एवं युवराज श्रीधराचार्य महाराज ने कहा कि आचार्य/भागवत पीठ धर्म व अध्यात्म का प्रमुख केंद्र है।यहां पर सत्य सनातन सेवार्थ संस्थान (रजि.) के द्वारा वर्ष में तीन आयोजन (फाग महोत्सव, झूलन महोत्सव एवं श्रीमद्भागवत जयंती/श्रीराधाष्टमी महोत्सव) अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ प्रख्यात संतों, विद्वानों एवं धर्माचार्यों की उपस्थिति में मनाए जाते हैं
गौरी गोपाल आश्रम के संस्थापक अनिरुद्धाचार्य महाराज एवं धर्मरत्न स्वामी बलरामाचार्य महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण कोई साधारण ग्रन्थ नही है, बल्कि स्वयं अखिल कोटि ब्रह्माण्ड नायक परब्रह्म परमेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का वांग्मय स्वरूप है। इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीराधा-कृष्ण विद्यमान हैं। इसीलिए इसका आश्रय लेने वाले व्यक्ति के तीनों तापों का नाश हो जाता है।साथ ही उसे प्रभु की दुर्लभ भक्ति प्राप्त होती है।
कार्यक्रम के अंतर्गत सत्य सनातन सेवार्थ संस्थान (रजि.) के द्वारा धर्म के क्षेत्र में श्रीराम कथा मर्मज्ञ संत विजय कौशल महाराज, शिक्षा के क्षेत्र में कान्हा माखन ग्रुप ऑफ स्कूल के चेयरमैन अनिल अग्रवाल एवं संगीत कला के क्षेत्र में भक्तिमती उप्रेती सिस्टर्स (उत्तराखंड) आदि को “प्रज्ञा रत्न” की उपाधि से अलंकृत किया गया। तत्पश्चात् प्रवचन प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह एवं दक्षिणा आदि प्रदान कर पुरुस्कृत किया गया।
संत-विद्वत सम्मेलन में आचार्य ललित किशोर व्यास महाराज, श्रीहरदेव पीठाधीश्वर स्वामी नारायणाचार्य महाराज, भजन गायक बनवारी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानन्द महाराज, केडी मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन और प्रमुख समाजसेवी रामकिशोर अग्रवाल, मथुरा-वृंदावन नगर निगम के उप-सभापति मुकेश सारस्वत, संत रामदास महाराज (अयोध्या), श्रीदाम किंकर महाराज, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री, आचार्य वल्लभ महाराज, राजेश पाण्डेय, प्रख्यात साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, पूर्व प्राचार्य डॉ. राम सुदर्शन मिश्रा, डॉ. राधाकांत। शर्मा, श्याम सुन्दर ब्रजवासी, आचार्य घनश्याम दुबे, आचार्य विष्णुकांत शास्त्री, पण्डित भरत शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन आचार्य नरोत्तम शास्त्री ने किया एवं महोत्सव के समन्वयक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने सभी का आभार व्यक्त किया।महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ।

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