यौन उत्पीड़न भेदभाव का एक गंभीर रूप है, और इसे बरदाश्त नहीं करना चाहिएः प्रो. शुचिस्मिता

यौन उत्पीड़न भेदभाव का एक गंभीर रूप है, और इसे बरदाश्त नहीं करना चाहिएः प्रो. शुचिस्मिता।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

यौन उत्पीड़न, लैंगिक समानता, जीवन और स्वतंत्रता को लेकर महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन प्रो. वनिता ढींगरा।
केयू के शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 विषय पर विस्तार व्याख्यान का आयोजन।

कुरुक्षेत्र, 8 दिसम्बर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान द्वारा गुरूवार को डॉ. आरके सदन में कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 विषय पर विस्तार व्याख्यान का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की मुख्यातिथि केयू की आंतरिक शिकायत कमेटी की अध्यक्षा तथा संगीत विभाग की अध्यक्षा प्रो. शुचिस्मिता ने कहा कि यौन उत्पीड़न वैसे अवांछनीय यौन व्यवहार अथवा यौन प्रकृति वाले मौखिक या शारीरिक आचरण को कहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति के काम काज में अनुचित हस्तक्षेप होता है या फिर काम का माहौल भयपूर्ण, शत्रुतापूर्ण या अपमानजनक बन जाता है। यौन उत्पीड़न भेदभाव का एक गंभीर रूप है, और इसे बरदाश्त नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह काम में समानता का अवमूल्यन है, और काम करने वालो ंकी इज्ज़त, गरिमा और सलामती के खिलाफ है। भारत ने इस दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 पारित किया है। इससे पहले प्रो. शुचिस्मिता, प्रो. अमीषा सिंह व प्रो. वनिता ढींगरा द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती को पुष्प अर्पित करते हुए किया गया तथा कुलगीत के बाद कार्यक्रम की शुरूआत की गई।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता समाज कार्य विभाग की विभागाध्यक्षा प्रो. वनिता ढींगरा ने इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय लैंगिक संवेदनशीलता को गंभीरता से लेते हुए काम कर रहा है और लैंगिक समानता को बढ़ावा दे रहा है। कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन, लैंगिक समानता, जीवन और स्वतंत्रता को लेकर महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है। कार्यस्थल पर महिलाओं के अनुरूप वातावरण न होने की स्थिति में उनके वहां कार्य करना मुश्किल हो जाता है और अगर ऐसे में यौन उत्पीड़न होता है तो महिलाओं की भागीदारी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस वजह से देश की महिलाओं, आर्थिक सशक्तिकरण और उनके समावेशी विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कार्यक्रम के समापन अवसर पर संस्थान की प्राचार्य प्रो. अमीषा सिंह ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के अंत में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बेटी के महत्व का संदेश दिया गया। इस अवसर पर शिक्षकों, गैर शिक्षक कर्मचारियों व विद्यार्थियों सहित करीब 300 लोग मौजूद थे।

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