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निसंतान दंपत्तियों के लिए नई उम्मीद बना श्री कृष्ण आयुष विवि का आयुर्वेदिक अस्पताल

निसंतान दंपत्तियों के लिए नई उम्मीद बना श्री कृष्ण आयुष विवि का आयुर्वेदिक अस्पताल

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

आयुर्वेदिक इलाज से कई दंपत्तियों के घर गूंजी किलकारी।

कुरुक्षेत्र,6 जून : श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के आयुर्वेद अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान (आयुर्वेदिक अस्पताल) ने उन दंपत्तियों के लिए नई उम्मीद की किरण जगाई है जो वर्षों से संतान सुख से वंचित रहे हैं। बदलती जीवनशैली, असंतुलित आहार और तनाव के चलते बढ़ती बांझपन की समस्या के समाधान में आयुर्वेद अहम भूमिका निभा रहा है। अस्पताल के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की विशेष उपचार प्रणाली के माध्यम से कई जोड़ों को माता-पिता का सुख मिला है। विभाग की प्रोफेसर वैद्य सुनीति तंवर के अनुसार पीसीओडी, ट्यूब ब्लॉकेज और बार-बार गर्भपात जैसी समस्याओं का आयुर्वेदिक औषधियों से इलाज किया जा रहा है, कई मामलों में सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं।
केस 1 अंबाला की महिला को आयुर्वेदिक उपचार से संतान की प्राप्ति
वैद्य सुनीति तंवर ने बताया कि 28 वर्षीय महिला की 10 वर्ष पूर्व शादी हुई थी। साल 2023 में पहले संतान की असमय मृत्यु के बाद उसे बांझपन व ट्यूब ब्लॉकेज की समस्या हो गई, जिसकी वजह से गर्भधारण में काफी दिक्कत आ रही थी। 26 मार्च 2023 को महिला इलाज के लिए आयुर्वेदिक अस्पताल पहुंची। यहां उत्तर बस्ती और अन्य आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग से 11 अगस्त 2024 को ट्यूब खुली और 2 सितंबर 2024 को महिला गर्भवती हुई। डॉ.सुनीति ने बताया कि इंफेक्शन के कारण महिला की एक ट्यूब बंद हो गई थी।
केस 2 गर्भपात की समस्या से निजात।
वैद्य तंवर के मुताबिक, कैथल निवासी 25 वर्षीय महिला अस्पताल में उपचार कराने पहुंची। जिसकी शादी 2017 में हुई थी, लेकिन पहले व दूसरे माह तक गर्भपात हो जाता था। उक्त महिला का साल 2022 में आयुर्वेदिक उपचार शुरू हुआ और अब वह दूसरे बच्चे की मां बनने वाली है।
केस 3, 10 वर्षों की प्रतीक्षा हुई समाप्त।
डॉ. सुनीति बताती है कि भिवानी की 32 वर्षीय महिला जोकि 10 सालों से संतान सुख से वंचित थी। वह साल 2022 में आयुर्वेदिक अस्पताल के गायनी विभाग में अपनी जांच कराने पहुंची। उक्त महिला ने लगभग एक साल तक आयुर्वेदिक अस्पताल पहुंच अपना नियमित उपचार शुरू कराया और एक वर्ष बाद 2023 में गर्भधारण में सफलता मिली।
बांझपन के कई कारण: डॉ. सुनीति।
डॉ. सुनीति तंवर बताती हैं कि PCOD (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम), अंडाशय में रसौली, हार्मोनल असंतुलन,अंडा नहीं बनना,सफेद पानी आना, मासिक धर्म की अनियमितता जैसी दिक्कतों के कारण बांझपन की समस्या होती है। अगर समस्या पुरानी न हो तो 3 से 6 माह में ही अच्छे परिणाम देखे जा सकते हैं,लेकिन कुछ मामलों में 1 साल या इससे ज्यादा समय भी लग सकता है।

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