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छः दिवसीय सीएमइ कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र : श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय एवं श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के रोग निदान एवं विकृति विज्ञान विभाग द्वारा छः दिवसीय चिकित्सकों के लिए निरंतर चिकित्सा कार्यक्रम (सीएमइ) का शुभारंभ कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। रोग निदान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. दिप्ति पाराशर ने गणमान्य अतिथियों, वक्ताओं और सीएमइ में देशभर से आए हुए सभी शिक्षकों का स्वागत किया। इस कार्यशाला में देशभर से 30 से अधिक प्रशिक्षु आए हुए हैं। इसके साथ ही हर दिन रोग निदान विषय पर विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिया जाएगा।
कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम निरंतर होने चाहिए। इससे न केवल ज्ञान का आदान-प्रदान होता है बल्कि मूलभूत विषय के अनछुए पहलुओं की भी जानकारी मिलती है। जो शिक्षकों के लिए ज्ञानवर्धक होते हैं। संहिता आयुर्वेद का मूल आधार है। इन्हें से आयुर्वेद के 14 विषय का जन्म हुआ है। संहिताएं पढ़कर आयुर्वेदिक चिकित्सा की गुथियों को सुलझाया जा सकता है। जैसे अगर निदान पढ़ाना है तो संहिताओं द्वारा पढ़ाया जाए उससे विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। कोविड काल में आयुर्वेद का विश्व भर में प्रचार हुआ है। देशभर के लोग आयुर्वेद की शक्ति से अवगत हुए हैं। मगर अभी भी आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार कम है। आयुर्वेद के सभी विषयों में ओपीडी और आईपीडी होनी ही चाहिए। श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में सभी विभागों द्वारा ओपीडी की जाती है। प्रतिदिन लगभग छः सौ से अधिक मरीजों को योग्य डॉक्टरों द्वारा देखा जाता है। जो हर्ष का विषय तो है इसके साथ ही आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति जन-जन तक पहुच रही है। कुलसचिव नरेश भार्गव ने कहा कि जीवन की भागदौड़ में हम सब इतने व्यस्त हो जाते हैं कि एक-दूसरे का हाल-चाल जानना तो दूर हंसना भी भूल जाते हैं। इसलिए इस तरह के ओरिएंटेशन कार्यक्रम रखे जाते हैं। जब एक विषय पर कुछ विद्वान चिंतन-मनन करते हैं तो उसका लाभ भावी चिकित्सकों को भी मिलता है। इस अवसर पर श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के प्राचार्य एवं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. देवेंद्र खुराना ने कहा कि यह कार्यक्रम शिक्षकों एवं शिक्षण प्रणाली में नवीनतम, प्रवीणता एवं कुशलता लाने के लिए भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है। जिसका मकसद विषयों में नवीनता लाना है। विषय विशेषज्ञों को युगानुसार विषयों में परिवर्तन लाना चाहिए। तभी ज्ञान में उपाधि मिलती है। जब आप पढ़ते हैं तभी करते हैं और जब करते हैं तभी गढ़ा जा सकता है। कार्यक्रम के अन्त में डॉ. सुनिल गोदारा ने सभी गणमान्यों का धन्यवाद प्रकट किया। इस अवसर पर डॉ. आशीष मेहता, डॉ. रणधीर सिंह, डॉ. राजेंद्र चौधरी, डॉ. सतीश वत्स और डॉ. रविंद्र अरोड़ा मौजूद रहे।