जीवा को गोली मारने वाले 25 साल के विजय की कहानी, सात साल पहले किशोरी को लेकर हुआ था फरार

संवाददाता :खुशहाल अहमद महराजगंज

Jeeva Murder: जीवा को गोली मारने वाले 25 साल के विजय की कहानी, सात साल पहले किशोरी को लेकर हुआ था फरार

सार
लखनऊ कोर्ट में पश्चिम यूपी के अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या करने का आरोपी विजय यादव जौनपुर के एक गांव का रहने वाला है।  वह जरायम की दुनिया में कैसे पहुंचा, इसकी जानकारी न तो गांव के लोगों को है और न ही परिवार में किसी को कोई जानकारी। 

विस्तार
लखनऊ के सिविल कोर्ट में पश्चिम यूपी के अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या करने का आरोपी बदमाश विजय यादव (25) जौनपुर के केराकत कोतवाली क्षेत्र का रहने वाला है। आजमगढ़ जिले की सीमा से सटा सुल्तानपुर उसका पैतृक गांव है। बुधवार शाम को इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों में चर्चा शुरू हो गई।
पुलिस ने उसके घर पर पहुंचकर पारिवारिक पृष्ठभूमि की जानकारी ली। पता चला कि विजय 2016 में एक किशोरी के भगाने के मामले में कुछ महीने तक हवालात में रहा है। हालांकि अब उस मामले में सुलह हो चुकी है। 2020 में उस पर महामारी एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ था।
तीन साल से मुंबई में था विजय यादव
आजमगढ़ जिले के देवगांव थाना क्षेत्र की सीमा से महज एक किमी पहले स्थित केराकत के सुल्तानपुर गांव निवासी श्यामा यादव के चार पुत्रों में विजय दूसरे नंबर का है। परिवार से मिली जानकारी के अनुसार, बड़ा भाई दिल्ली में रहकर एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है। विजय मुंबई में रहता था। वह जरायम की दुनिया में कैसे पहुंचा, इसकी जानकारी न तो गांव के लोगों को है और न ही परिवार में किसी को कोई जानकारी। विजय के दो भाई छोटे पढ़ाई करते हैं।
तीन साल से मुंबई में था विजय यादव
आजमगढ़ जिले के देवगांव थाना क्षेत्र की सीमा से महज एक किमी पहले स्थित केराकत के सुल्तानपुर गांव निवासी श्यामा यादव के चार पुत्रों में विजय दूसरे नंबर का है। परिवार से मिली जानकारी के अनुसार, बड़ा भाई दिल्ली में रहकर एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है। विजय मुंबई में रहता था। वह जरायम की दुनिया में कैसे पहुंचा, इसकी जानकारी न तो गांव के लोगों को है और न ही परिवार में किसी को कोई जानकारी। विजय के दो भाई छोटे पढ़ाई करते हैं।

ममेरी बहन की शादी के लिए मुंबई से आया था
परिवार से मिली जानकारी के अनुसार विजय यादव मुंबई के एक पाइप बनाने वाली कंपनी में काम करता था। वहां से मार्च में घर आया। दो-तीन दिन के बाद ही बताया कि लखनऊ में कुछ काम है, वहां जाना है। वहां से 10 मई को मामा की पुत्री की शादी में शामिल होने के लिए गांव बीरमपुर, थाना केराकत आया था।
शादी में शिरकत करने के बाद 11 मई को फिर लखनऊ चला गया, उसके बाद परिवार में किसी से संपर्क नहीं हुआ। उसकी मां निर्मला ने बताया कि 15 मई को जब वह मायके गई थीं, तभी विजय का फोन आया था, उसके बाद मोबाइल फोन बंद बताता रहा।

बीकॉम पास विजय पर 2016 में लगा था पॉक्सो एक्ट
विजय ने 2012 में हाईस्कूल की परीक्षा पास की थी। उसके बाद जौनपुर से इंटर और यहीं के मो. हसन पीजी कॉलेज से बीकॉम किया है। उस समय विजय के पिता श्याम की देवगांव आजमगढ़ में मिठाई की दुकान थी। दुकान पर विजय भी कभी कभार जाता था। वहीं पर किसी किशोरी से संपर्क हो गया और दोनों भाग गए।
किशोरी के परिजनों की तहरीर पर देवगांव थाने में ही पॉक्सो एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ, करीब तीन माह के बाद मुंबई से पुलिस ने दोनों को बरामद किया। उसके बाद उसे हवालात में रखा गया। विजय की मां निर्मला ने बताया उस मामले में करीब छह माह बाद वह घर आया था। अब सुलह हो चुकी है।
कोई बड़ा आपराधिक रिकॉर्ड नहीं
सीओ केराकत गौरव शर्मा ने कहा कि अभी तक विजय यादव के खिलाफ दो मुकदमे सामने आए हैं। पहला, आजमगढ़ के देवगांव में पॉक्सो एक्ट और दूसरा, 2020 में महामारी एक्ट के तहत केराकत में दर्ज किया गया था। फिलहाल कोई बड़ा आपराधिक रिकॉर्ड सामने नहीं आया है। लखनऊ की टीम पूछताछ कर रही है। वहां से यदि कोई इनपुट मिलता है तो उसी के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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