सूर्यांश का जीवन रक्षक बना पोषण पुनर्वास केन्द्र

सूर्यांश का जीवन रक्षक बना पोषण पुनर्वास केन्द्र

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बच्चों का सही पोषण करें ज़िन्दगी रोशन: जिला पोषण विशेषज्ञ*

सही पोषण न मिलने पर बच्चों का विकास होता प्रभावित

कन्नौज

कन्नौज ब्लाक के ग्राम रंगीनपुर्वा के रहने वाले अयोध्या प्रसाद के तीसरे बच्चे सुर्यान्श की उम्र डेढ़ वर्ष की है। लेकिन वज़न और ऊंचाई के अनुसार उसका वजन सामान्य से कम था । सुर्यान्श 26 जून 2022 को एनआरसी में भर्ती करवाया गया। जहां उसका इलाज चला।भर्ती होने के समय उसका वजन 6.400 किलोग्राम था, लेकिन 15 दिन बाद यानि 13 जुलाई 2022 को जब उसे डिस्चार्ज किया गया।तब उसका वजन 7.340 किलोग्राम हो गया। बच्चे की स्थिति दिन-प्रतिदिन अच्छी हो रही है। 
सुर्यान्श की मां सत्यवती बताती है कि सूर्यांश का स्वभाव दिन पर दिन चिड़चिड़ा होता जा रहा था और उसे खाना खाने की इच्छा बिल्कुल नहीं होती थी । अचानक से मौसम में बदलाव हुआ और उसकी तबीयत बिगड़ गयी। इलाज के लिए उसे जिला अस्पताल लेकर गए तो बच्चे की सेहत को देखकर चिकित्सक ने पोषण पुनर्वास केन्द्र ( एनआरसी) में भर्ती करवाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि ऐसा करने से बच्चा स्वस्थ हो जाएंगा और रहने खाने की सुविधा निःशुल्क मिलेगी। अब मेरा बच्चा स्वास्थ्य है,और अच्छे से खा पी भी रहा है।

आपोषण पुनर्वास केंद्र की आहार परामर्शदाता स्वप्निल मिश्रा कहती हैं कि सुर्यान्श जब भर्ती हुआ।वह बुखार, उल्टी से पीड़ित होने के साथ ही अधिक कमजोर था। कुपोषण में अक्सर ऐसी शिकायत हो जाती है । भर्ती के बाद बच्चे का उपचार शुरू किया । उपचार के दौरान दी जाने वाली डाईट एफ-75 और एफ-100 कहलाती है । ज़्यादातर उपचार में डाईट एफ-75 से खान-पान कराना शुरू किया जाताहै।  दो से तीन घंटे में थोड़ी-थोड़ी डाइट बच्चे को दी जाती है । इसमें विशेष रुप से खिचड़ी हलवा, दलिया दिया जाता है । साथ ही डिस्चार्ज के समय यह भी ध्यान रखा जाता है कि भर्ती के समय और डिस्चार्ज के बीच में कुपोषित बच्चे के वज़न में  15 प्रतिशत की वृद्धि हुई या नही हुई है । यदि नहीं हुई होती है तो उसको 1 सप्ताह के लिए और भर्ती रखा जाता है । कभी-कभी एक माह तक भी एडमिट रखा जाता है । पोषण पुनर्वास केंद्र से डिस्चार्ज होने के पूर्व मां को घर पर बनने वाले पौष्टिक आहार की जानकारी भी विशेष रुप से दी जाती है । साथ ही माता को भी पौष्टिक आहार कैसे बनाया जाए और कैसे खिलाया जाए यह भी बताया जाता है । 
जिला आहार परामर्शदाता ने बताया कि जुलाई 2022 से अब तक पोषण पुनर्वास केंद्र में  को भर्ती किया गया। जिसमें 13 बच्चों को उच्च स्तरीय चिकित्सालयों में रेफर किया गया वो 57 बच्चों को सुपोषित कर घर भेजा गया। बताया कि बच्चे के जन्म के दो साल यानि गर्भावस्था के 9 माह (270)दिन और जन्म लेने के बाद 2 साल (730 दिन) बच्चे के सही पोषण के लिए अति महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवधि में बच्चे को सही पोषण मिले तो बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। जो बच्चे को कई रोगों व संक्रमणों से बचाती है।

इस तरह रखें बच्चे के आहार का ध्यान
जिला पोषण विशेषज्ञ कुसुम देवी बताती है कि 6-8 माह के बच्चे को दिन में 6 बार स्तनपान के साथ 2-3 बार नरम दलिया, दाल, खीर, मसली हुई सब्जी, फल, मक्खन, तेल व घी (250 ग्राम की कटोरी से आधी कटोरी) बच्चे को खिलाना चाहिए। 9-11 माह के बच्चे को दिन में 6 बार स्तनपान के साथ 3 बार घर का बना हुआ खाना व 1 बार नाश्ते में नरम दलिया, फल, उबला हुआ अंडा, मक्खन, तेल व घी (250 ग्राम की कटोरी से पौन कटोरी) खिलाना चाहिए। 12-24 माह के बच्चे को दिन में 4-6 बार स्तनपान के साथ 3 बार खाना व 2 बार नाश्ते में नरम दलिया, फल, उबला हुआ अंडा, मक्खन, तेल व घी, यदि घर में मांसाहारी भोजन खाते है तो मांस, मछली 250 ग्राम की कटोरी से पूरी कटोरी खिलानी चाहिए।

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