तकनीकी चिप लिखेगी आत्मनिर्भर भारत की नई कहानी

प्रोफेसर दिनेश कुमार
कुलगुरु, श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय।
पलवल, प्रमोद कौशिक : भारत एक नए औद्योगिक और तकनीकी युग की दहलीज पर खड़ा है। हमारा देश वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनने की तैयारी में है। सेमीकंडक्टर क्रांति भारत को वैश्विक तकनीकी महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का आधार बनेगी। सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग से भारत के लिए निर्यात क्षेत्र में भी बड़ा उछाल आएगा। टैरिफ वार के दौर में यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए किसी खुराक से काम नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में आयोजित सेमीकॉन इंडिया 2025 में सेमीकंडक्टर क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ केवल गहन चर्चा ही नहीं की, बल्कि इस इस क्षेत्र में अपनी दिलचस्पी और गंभीरता को दर्शाया है। यह आयोजन भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह भारत के डिजिटल और औद्योगिक भविष्य की रूपरेखा प्रस्तुत करता है। आज सेमीकंडक्टर को आधुनिक तकनीक की रीढ़ कहा जाता है। मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर रक्षा उपकरणों और 5जी नेटवर्क से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक हर क्षेत्र की सेमीकंडक्टर पर निर्भरता है। भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर और वैश्विक हब बनेगा, तो इससे न केवल रोजगार और निवेश का नया अध्याय खुलेगा, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत-2047 की दिशा में यह निर्णायक कदम होगा।
भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2024 में लगभग 30 अरब डॉलर यानी करीब 2.4 लाख करोड़ रुपये का था। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2030 तक यह बाजार 100 अरब डॉलर तक पहुँच जाएगा। यह वृद्धि दर लगभग 20 प्रतिशत प्रतिवर्ष की होगी, जो किसी भी उभरते क्षेत्र के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। वहीं वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार 2025 तक 600 अरब डॉलर को पार कर जाएगा। यदि भारत इसमें मात्र 10 प्रतिशत हिस्सेदारी भी हासिल कर लेता है तो यह लगभग 60 अरब डॉलर का योगदान होगा, जो हमारी जीडीपी और निर्यात दोनों को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा। भारत सरकार ने इस दिशा में 76,000 करोड़ रुपये की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना शुरू की है, जिसके अंतर्गत पाँच अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित की जाएँगी। इनसे 2027 तक 1.5 लाख प्रत्यक्ष और पाँच लाख अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, डिज़ाइन और रिसर्च को प्रोत्साहन देने के लिए डिजिटल इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन भी लॉन्च किया गया है। यह इस क्षेत्र में भारत की ललक और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत का युवा और स्किल्ड मैन पावर, इस महत्वाकांक्षी मिशन को सफल बनाने में सबसे ज्यादा कारगर सिद्ध होंगे। देश में तीन सौ से अधिक स्टार्टअप और सौ से अधिक अनुसंधान संस्थान सेमीकंडक्टर डिज़ाइन, चिप निर्माण और संबंधित तकनीकों पर कार्य कर रहे हैं। अनुमान है कि आने वाले दस वर्षों में यह संख्या दोगुनी से अधिक हो जाएगी। यह इकोसिस्टम न केवल स्वदेशी नवाचार को गति देगा बल्कि भारत को “डिज़ाइन इन इंडिया, मेक इन इंडिया” का असली उदाहरण बनाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेमीकॉन इंडिया 2025 में विशेष रूप से 5जी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स के महत्व को रेखांकित किया। अनुमान है कि भारत में 2028 तक 5जी उपयोगकर्ताओं की संख्या 60 करोड़ से अधिक हो जाएगी। इसी तरह, एआई आधारित उद्योगों का बाजार 2030 तक 15 अरब डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। इन सभी क्षेत्रों की सफलता का आधार मजबूत सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेमीकंडक्टर की ताकत और क्षमता का अच्छे से मूल्यांकन कर चुके हैं। इसीलिए उन्होंने कहा है कि भारत में निर्मित सबसे छोटी चिप दुनिया के सबसे बड़े बदलाव का ड्राइव करेगी।
सेमीकॉन इंडिया 2025 में अमेरिका, जापान, ताइवान और दक्षिण कोरिया की शीर्ष कंपनियों ने भारत में साझेदारी और निवेश की रुचि दिखाई। अनुमान है कि 2025 से 2030 के बीच इस क्षेत्र में 50 अरब डॉलर से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आएगा। गुजरात में बन रही सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन यूनिट अगले वर्ष तक चिप उत्पादन शुरू करेगी। इसके शुरू होते ही भारत स्वदेशी चिप उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बड़ा कदम रखेगा। यह केवल इलेक्ट्रॉनिक्स आयात पर निर्भरता कम नहीं करेगा, बल्कि रक्षा, अंतरिक्ष और ऑटोमोबाइल जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में भी आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करेगा।
बेशक, इस यात्रा में चुनौतियाँ भी हैं। सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन यूनिट की स्थापना में 10 से 15 अरब डॉलर का निवेश आवश्यक होता है। इसके अलावा, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एकीकरण और उच्च कौशल वाले मानव संसाधन की मांग एक और चुनौती है। लेकिन भारत सरकार की स्किल डेवलपमेंट योजनाएँ, श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों का योगदान और वैश्विक साझेदारियाँ इन चुनौतियों को अवसर में बदल सकती हैं। यदि भारत अपने सेमीकंडक्टर विज़न को समयबद्ध रूप से क्रियान्वित कर पाता है तो 2030 तक भारत को “वैश्विक सेमीकंडक्टर हब” के रूप में देखा जाएगा। यह न केवल पाँच लाख करोड़ रुपये से अधिक का उद्योग होगा, बल्कि देश को डिजिटल आत्मनिर्भरता और प्रौद्योगिकी स्वराज की नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा। सेमीकॉन इंडिया 2025 ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब तकनीक का उपभोक्ता ही नहीं बल्कि निर्माता भी बनेगा। यह आयोजन भारत की तकनीकी महत्वाकांक्षा, वैश्विक नेतृत्व की आकांक्षा और आर्थिक मजबूती का प्रतीक है। जिस प्रकार 1990 के दशक में आईटी सेक्टर ने भारत की छवि बदल दी थी, उसी प्रकार सेमीकंडक्टर क्रांति भारत को 21वीं सदी की तकनीकी महाशक्ति बनाएगी।