भारत की अखंडता का आधार भूगोल से ज्यादा संस्कृति और इतिहास में : डा. श्रीप्रकाश मिश्र

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

मातृभूमि सेवा मिशन के तत्वावधान में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा अखंड भारत दिवस के उपलक्ष्य में स्वतंत्रता संवाद कार्यक्रम सम्पन्न।

कुरुक्षेत्र 14 अगस्त : अखण्ड भारत महज सपना नहीं, श्रद्धा है, निष्ठा है, जिन आंखों ने भारत को भूमि से अधिक माता के रूप में देखा हो, जो स्वयं को इसका पुत्र मानता हो, जो प्रात: उठकर उसकी रज को माथे से लगाता हो, वन्देमातरम् जिनका राष्ट्रघोष और राष्ट्रगीत हो, ऐसे असंख्य अंत:करण मातृभूमि के विभाजन की वेदना को कैसे भूल सकते हैं,अखण्ड भारत के संकल्प को कैसे त्याग सकते हैं। 15 अगस्त को हमें आजादी मिली और वर्षों की परतंत्रता की रात समाप्त हो गयी. किन्तु स्वातंत्र्य के आनंद के साथ-साथ मातृभूमि के विभाजन का गहरा घाव भी सहन करना पड़ा। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित अखंड भारत दिवस पर आयोजित स्वतंत्रता संवाद कार्यक्रम में व्यक्त किये। कार्यक्रम का भारतमाता वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ माँ भारती के चित्र पर माल्यार्पण, पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों ने देशभक्ति के गीत प्रस्तुत किये। स्वतंत्रता संवाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा 1947 का विभाजन पहला और अन्तिम विभाजन नहीं है. भारत की सीमाओं का संकुचन उसके काफी पहले शुरू हो चुका था। सातवीं से नवीं शताब्दी तक लगभग ढाई सौ साल तक अकेले संघर्ष करके हिन्दू अफगानिस्तान इस्लाम के पेट में समा गया. हिमालय की गोद में बसे नेपाल, भूटान आदि जनपद अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण मुस्लिम विजय से बच गये. अपनी सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा के लिये उन्होंने राजनीतिक स्वतंत्रता का मार्ग अपनाया पर अब वह राजनीतिक स्वतंत्रता संस्कृति पर हावी हो गयी है। श्रीलंका पर पहले पुर्तगाल, फिर हॉलैंड और अन्त में अंग्रेजों ने राज्य किया और उसे भारत से पूरी तरह अलग कर दिया। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा परन्तु आज भी अधिकांश युवाओं को अखंड भारत के स्वरूप व विशेषताओं के इतिहास का पता ही नहीं है।उनमें इसके प्रति जागरूकता एवं राष्ट्रीय चेतना पैदा करने का हमें पूरा प्रयास करना चाहिए। ताकि वो भी अपनी महान गौरवशाली परंपरा और संस्कृति को जानकर उस पर गर्व कर सकें। एक बहुत महत्वपूर्ण कारण रहा जो आज भी विदेशी हमारे खिलाफ अपनाते रहते हैं वह है फूट डालो और राज करो। विभाजन के पश्चात् खंडित भारत की अपनी स्थिति क्या है? ब्रिटिश संसदीय प्रणाली के अन्धानुकरण ने हिन्दू समाज को जाति, क्षेत्र और दल के आधार पर जड़मूल तक विभाजित कर दिया है। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा भारत की अखंडता का आधार भूगोल से ज्यादा संस्कृति और इतिहास में है। खंडित भारत में एक सशक्त, तेजोमयी राष्ट्र जीवन खड़ा करके ही अखंड भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ना संभव होगा। भारत की सांस्कृतिक चेतना में और विविधता में एकता का प्रत्यक्ष दृश्य खड़ा करना होगा। किन्तु मुख्य प्रश्न तो भारत के सामने है. तेरह सौ वर्ष से भारत की धरती पर जो वैचारिक संघर्ष चल रहा था, उसी की परिणति 1947 के विभाजन में हुई. श्रीमद्धगवद्गीता हमारी राष्ट्रीय धरोहर है अतः इससे प्रेरणा लेकर हमें शक्ति की साधना और देशभक्ति की भावना बढ़ानी चाहिए। प्राचीन काल में भारत बहुत विस्तृत था! जम्बूदीप के नाम से ख्याती प्राप्त एशिया महादीप हिन्दू भारत ही था । आक्रमण होते गये हम सिकुडते गये। क्यों कि हम मानवीय मूल्यों वाले लोग थे। अखण्ड भारत में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान,बृम्ह देश, इन्डोनेशिया, कम्बोडिया, थाइलैंड आदि देश शामिल थे। कुछ देश जो बहुत पहले के समय में अलग हो चुके थे वहीं पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि अंग्रेजों से स्वतन्त्रता के काल में अलग हुये। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम् से हुआ। कार्यक्रम में आश्रम के विद्यार्थी, शिक्षक,सदस्य सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

अयोध्या: दिलीप बन शहनवाज ने की दो बच्चों की मां से शादी, बड़े बेटे के ख़तना करने से हुआ खुलासा

Tue Aug 15 , 2023
मनोज तिवारी ब्यूरो अयोध्यारामनगरी अयोध्या जनपद के बीकापुर कोतवाली क्षेत्र में एक विधवा महिला के साथ लव जिहाद का सनसनीखेज मामला सामने आया है। महिला द्वारा दी गई लिखित शिकायत के आधार पर कोतवाली बीकापुर में आरोपी युवक शहनवाज उर्फ दिलीप के खिलाफ धर्म परिवर्तन कराने की धाराओं में मुकदमा […]

You May Like

Breaking News

advertisement