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संस्कृत में मंत्रों और शब्दों का उच्चारण एक आध्यात्मिक अभ्यास है : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी

संस्कृत में मंत्रों और शब्दों का उच्चारण एक आध्यात्मिक अभ्यास है : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

संस्कृत में मंत्रों और शब्दों के उच्चारण का मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

कुरुक्षेत्र, 5 मई : देश के विभिन्न राज्यों में संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों का संचालन कर रहे श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने श्री जयराम विद्यापीठ में शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों एवं ब्रह्मचारियों से कहा कि संस्कृत भाषा में मंत्रों और शब्दों का शुद्ध उच्चारण मन की वृत्तियों, विचारों और भावनाओं को शुद्ध करने में मदद करता है। यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है जो मन को शांत और एकाग्र करने में भी मदद करता है। उन्होंने कहा की संस्कृत में मंत्रों और शब्दों के उच्चारण का मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब हम इन ध्वनियों को ध्यान से और शुद्धता से उच्चारित करते हैं तो यह हमारे मन में कंपन उत्पन्न करता है। जो हमारे विचारों और भावनाओं को प्रभावित करता है। यह माना जाता है कि इस तरह के उच्चारण से मन की वृत्तियां, जो अक्सर अशुद्ध और अशांत होती हैं शुद्ध हो जाती हैं और मन को शांति और एकाग्रता प्राप्त होती है। परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि जब हम ध्यान से इन ध्वनियों को उच्चारित करते हैं तो यह हमारे मन को शांत और एकाग्र करता है। इस तरह, हम अपने मन की वृत्तियों को नियंत्रित कर सकते हैं और उन्हें शुद्ध कर सकते हैं। संस्कृत में मंत्रों और शब्दों का उच्चारण एक आध्यात्मिक अभ्यास है। यह माना जाता है कि इन मंत्रों और शब्दों में आध्यात्मिक शक्ति होती है जो हमारे मन और आत्मा को प्रभावित करती है। इस तरह के उच्चारण से हम अपने मन की वृत्तियों को शुद्ध कर सकते हैं और अपने आध्यात्मिक विकास में मदद कर सकते हैं। इसका वैज्ञानिक प्रमाण भी है कि कुछ अध्ययनों से पता चला है कि मंत्रोच्चार से तनाव कम होता है और आराम बढ़ता है। जो मन की वृत्तियों को शुद्ध करने में मदद करता है।
श्री जयराम विद्यापीठ के विद्यार्थी एवं ब्रह्मचारी।

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