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अखंड भारत का संकल्प केवल राजनीतिक नारा नहीं, यह एक वैचारिक पुनर्जागरण है : डा. श्रीप्रकाश मिश्र

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक दूरभाष – 94161 91877

भारतीय स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मातृभूमि सेवा मिशन के तत्वावधान में अखंड भारत संकल्प दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा कार्यक्रम संपन्न।

कुरुक्षेत्र 14 अगस्त : अखंड भारत का विचार केवल एक भूतकालिक स्मृति या कल्पनालोक नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक संकल्प है और यह संकल्प उन लोगों के लिए है जिन्होंने भारत को केवल भूमि नहीं, बल्कि माँ के रूप में देखा है। यह विचार भारतीय स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने अखंड भारत संकल्प दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने भारतमाता के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलन, माल्यार्पण एवं पुष्पार्चन के विभाजन विभीषिका में हताहत हुए सभी जनों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। सभी विद्यार्थियों ने इस अवसर पर अखंड भारत का संकल्प लिया और भारत माता की जय का उद्घोष किया।
अखंड भारत संकल्प दिवस को सम्बोधित करते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा अखंड भारत का संकल्प केवल राजनीतिक नारा नहीं, यह एक वैचारिक पुनर्जागरण है। जब तक हम उस पीड़ा को नहीं समझेंगे, जिसने भारत को खंडित किया, तब तक उसकी पूर्णता का मार्ग नहीं खुल सकता। अपने पूर्वजों के बलिदान को याद रखें, विभाजन की विभीषिका को जानें, और फिर कहें हम भारत को फिर से अखंड देखेंगे, यह केवल सपना नहीं, हमारा संकल्प है। आधुनिक युग के अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और तिब्बत एक हिंदुस्तान था, जिसे ब्रिटिश व मुगलों द्वारा षड्यंत्र कर हमसे अलग किया गया था।अखंड भारत या अविभाजित भारत, एकता की अवधारणा के रूप में खड़ा है, जो उस समय की याद दिलाता है. जब भू-भाग एक एकीकृत राष्ट्र के रूप में देखे जाते थे। प्राचीन ग्रंथों व दर्शनों में निहित, इसकी उत्पत्ति तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी. जैसा कि चाणक्य के अर्थशास्त्र में वर्णित है।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा 15 अगस्त 1947 को भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की, लेकिन उसी दिन देश का विभाजन भी हुआ। यह केवल भूखंड का विभाजन नहीं था, यह एक मानसिकता का टकराव था। एक ओर भारत की सनातन सांस्कृतिक परंपरा, दूसरी ओर मध्यकालीन आक्रांताओं से उपजा मजहबी अलगाववाद। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि यह विभाजन उसी दिन शुरू हो गया था जब पहली बार किसी हिन्दू ने इस्लाम स्वीकार किया था। विभाजन का आधार इस्लाम था, इसलिए पाकिस्तान ने स्वयं को इस्लामी देश घोषित किया। इस विभाजन से भारत को कुछ न मिला। पाकिस्तान और बाद में बांग्लादेश में हिन्दुओं और सिखों की स्थिति निरंतर दयनीय होती गई। जहां पाकिस्तान में हिन्दू और सिख लगभग विलुप्त हो चुके हैं, वहीं बांग्लादेश में हिन्दू आबादी 34% से घटकर 10% से भी कम रह गई है। भारत के भीतर करोड़ों बांग्लादेशी घुसपैठिये सुरक्षा और सांस्कृतिक संकट उत्पन्न कर रहे हैं। कार्यक्रम में मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों ने आजादी के आंदोलन के अनेक देशभक्ति के गीत सुनाये। कार्यक्रम में सुरेंद्र, बाबूराम, सागर पासी, पवन पांडेय, सागर शाही आदि सहित मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थी, मिशन के सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन वन्देमातरम से हुआ।

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