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वर्तमान समय में नए रणनीतिक गठबंधन में भारत और जापान की भूमिका महत्वपूर्ण : कुमिको हाबा।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
राष्ट्रीय शिक्षा नीति विकसित भारत की संकल्पना का आधार : प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा।
विकसित भारत के लिए जनसंख्या नियंत्रण जरूरी : प्रो. अश्विनी कुमार।
कुवि में ’इंडिया, 2.0, विजन फॉर इंडिया 2047ः चुनौतियां और संभावनाएं’ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का हुआ शुभारम्भ।
कुरुक्षेत्र, 14 फरवरी : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के आईआईएचएस द्वारा मंगलवार को सीनेट हॉल में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत ’इंडिया, 2.0, विजन फॉर इंडिया 2047ः चुनौतियां और संभावनाएं’ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्या वक्ता प्रोफेसर कुमिको हाबा, कनागावा विश्वविद्यालय, टोक्यो व अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन संघ, एशिया-प्रशांत (आईएसए)अध्यक्ष व ग्लोबल इंटरनेशनल रिलेशंस के निदेशक ने कहा कि अब सार्क, बिम्सटेक जैसे संघों को वर्तमान समय में अधिक गतिशील भूमिका निभानी है। वर्तमान समय में नए रणनीतिक गठबंधन में भारत और जापान की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।” विशेष रूप से एशिया, चीन और आसियान देशों में तेजी से जनसंख्या वृद्धि हो रही है तथा जापानी आबादी भी बहुत तेजी से बूढ़ी हो रही है, दुनिया को लोकतंत्र और निरंकुशता में विभाजित करना अच्छा नहीं है। उन्होंने विश्व में भारत तेजी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। हम एक बहु-ध्रुवीय युग में हैं, जहाँ हमें पड़ोसी देश के साथ सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक संबंधों को बंद नहीं करना चाहिए। उन्होंने एंगस मैडिसन आर्थिक सांख्यिकी से संबंतिध पीपीटी के माध्यम से टेबल पर अंकतालिका दर्शाते हुए समय के साथ शून्य ईस्वी से 2030 तक किन चुनिंदा देशों की आर्थिक वृद्धि में किस प्रकार की प्रवृत्ति रही, के बारे में बताया। उन्होंने इस तथ्य पर जोर दिया कि क्वाड, औकस जैसे क्षेत्रीय संघों ने दुनिया में रणनीतिक और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर शासन किया। सार्क, बिम्सटेक जैसे संघों को वर्तमान समय में अधिक गतिशील भूमिका निभानी है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ओकिनावा और ताइवान का विशेष महत्व है। भारत और जापान की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। इस अवसर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ कुलगीत व मां सरस्वती के समक्ष मुख्य वक्ता प्रोफेसर कुमिको हाबा, मुख्यातिथि कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, मुख्य वक्ता प्रो. अश्विनी कुमार नन्दा, प्रो. प्रदीप चौहान द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर सभी अतिथियों द्वारा विवरणिका का भी विमोचन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि आज़ादी के अमृत काल के विजन इंडिया में विजन फॉर इंडिया 2047 का विशेष महत्व है। भारत विश्व की सबसे बड़ी 5 वीं अर्थव्यवस्था है जहां 8000 से अधिक र्स्टाटअप एवं 110 यूनिकॉर्न कम्पनी का विशाल नेटवर्क है। उन्होंने कहा कि 37 करोड़ युवा शक्ति के कारण भारत दुनिया में सबसे अधिक युवा देश होने के कारण इस सक्षमता का सही दिशा दिखाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 7 प्रतिशत से 9 प्रतिशत के बीच बेरोजगारी दर विद्यमान है। कम प्रति व्यक्ति आय, बेरोजगारी की उच्च दर, प्राथमिक क्षेत्र पर निर्भरता और बुनियादी ढांचे की कमी भारत में मौजूद है। उन्होंने कहा कि इसके लिए भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्वरोजगार, उद्यमिता, एंटरप्रेन्योशिप, इंक्यूबेशन केन्द्रों द्वारा युवाओं को आत्मनिर्भर बनाकर विकसित भारत की संकल्पना को साकार किया गया है। कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि 76 वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पांच प्रण 2047 तक विकसित होना, स्वराज से स्वतंत्रता की ओर, आत्मविश्वासी होना, आत्म सम्मान के साथ संस्कृति पर गर्व करना, राष्ट्र निर्माण के लिए कार्य करने पर भी बल दिया। उन्होंने भारत को ज्ञान महाशक्ति बनाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए जय अनुसंधान के नारे पर जोर देने और उस पर काम करने के महत्व को रेखांकित करते हुए महिला सशक्तिकरण की बात कही।
कार्यशाला के दूसरे मुख्य वक्ता प्रोफेसर अश्विनी कुमार नंदा ने ‘2047 तक भारत को विकसित बनानाः जनसंख्या में गिरावट को गति देना’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि विकसित भारत के लिए जनसंख्या नियंत्रण अत्यंत जरूरी है। उन्होंने तीन पुस्तकों, जनसंख्या पर माल्थस की पुस्तक, द पॉपुलेशन बॉम्ब, लिमिट्स टू ग्रोथ का उल्लेख करते हुए संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कुल प्रजनन दर के महत्व के साथ-साथ भारत और यूरोप में प्रजनन क्षमता में गिरावट की प्रवृत्ति पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने चरम जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त करने के लिए विभिन्न देशों द्वारा लिए गए समय पर भी बात की। भारत के पास यह 2047 में होगा, जबकि चीन ने पहले ही चरम जनसांख्यिकीय लाभांश 2010 हासिल कर लिया था। उनका दावा था कि यदि जनसंख्या प्रतिस्थापन स्तर तक पहुंचने के बाद भी भारत में प्रजनन क्षमता में दीर्घकालिक गिरावट आती है, तो इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि भारत की जनसंख्या होगी 2060 में लगभग 1.7 बिलियन पर स्थिर हो सकती है।
इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर प्रदीप चौहान ने सभी अतिथियों को स्वागत करते हुए भारत के गौरवशाली अतीत के बारे में तथ्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हालाँकि औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर आने की जरूरत है। अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद 5 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ, दुनिया यूक्रेन-रूस युद्ध को समाप्त करने के लिए भारत की ओर देख रही है। हमारी ताकत बहुराष्ट्रीय इन्फोटेक कंपनियों के हमारे सीईओ में झलकती है। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें विकास के पश्चिमी मॉडल को अपनाने की जरूरत नहीं है। प्रो. संजीव गुप्ता, प्राचार्य, आईआईएचएस ने मुख्य अतिथि, सम्मानित अतिथि और सभी प्रतिभागियों, सम्मेलन के प्रायोजकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस मौके पर डीन प्रो. पवन शर्मा, अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अशोक कुमार, प्रो. आरके राणा, प्रोफेसर आरके सूदन, प्रोफेसर परमेश कुमार, प्रोफेसर सुखविंदर, प्रोफेसर जसविंदर, प्रोफेसर आनंद, प्रोफेसर सुनीता मदान, प्रोफेसर अमृत, डॉ. कुलविंदर, प्रोफेसर अमरजीत, डॉ. प्रीतम सिंह, डॉ. अजय सुनेजा, प्रोफेसर अश्वनी कुश, प्रोफेसर कुसुम लता, डॉ. ऋचा भारद्वाज, डॉ. वंदना, डॉ. कुलविंदर, डॉ. विवेक चावला, डॉ. रजनी, डॉ. राजेन्द्र, डॉ. राजेश, अश्विनी, डॉ. राममिन, वैभव, दीपक, प्रीति, ममता, नितेश, राहुल, फगुनी, विनीता सहित शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।