मनन से साधक को नई रोशनी और नई दिशा मिलती है : समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया

मनन से साधक को नई रोशनी और नई दिशा मिलती है : समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया।
कुरुक्षेत्र : श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली (कुरुक्षेत्र) के पीठाधीश और समर्थगुरु मैत्री संघ हिमाचल के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ. मिश्रा ने बताया कि माँ दुर्गा देवी का प्रथम रूप शैलपुत्री माँ है I हिमालय के यहाँ जन्म होने से इन्हें शैल पुत्री कहा जाता है। नवरात्रि की प्रथम तिथि को शैल पुत्री की पूजा की जाती है। इनके पूजन से भक्त सदा धन-धान्य से परिपूर्ण पूर्ण रहते हैं। प्रथम नवरात्रि के दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है तथा शरीर निरोगी रहता है।
रविवार को विशेष पूजा अर्चना करने से भगवान सूर्य नारायण और माँ दुर्गा की विशेष शक्ति व कृपा प्राप्त होती है I
मां दुर्गा अपने भक्तों के सारे दुर्गुणों को दूर कर देती है। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती है I
पण्डित राहुल मिश्रा ने वैदिक मन्त्रों से मुख्य यजमान भक्त सुशील तलवाड़ और संगीता तलवाड़ के सपरिवार से पूजा -अर्चना करवाई I
भक्तों ने माँ को लाल रंग की चुन्नियाँ , नारियल , श्रृंगार का सामान और प्रसाद श्रद्धा भाव से अर्पण किया I
समस्त विश्व कल्याण हेतु माँ दुर्गा का संकीर्तन व श्री दुर्गा चालीसा का पाठ और सुंदर भेंटे सुमित्रा पाहवा,आशा कवात्रा,सरोज शर्मा,पूजा तलवाड़ , शिमला धीमान पायल सैनी, सुरेन्द्र शर्मा,अंशु, अनु , कोमल मेहरा,निशा अरोड़ा, प्रवीण कत्याल और सभी भक्तों ने गाई। मां दुर्गा की आरती के पश्चात् भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया ।
ट्विटर के माध्यम से समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने बताया कि साधना के 3 आयाम हैं-श्रवण,मनन, निदिध्यासन। श्रवण है गुरु उपदेश ध्यान से सुनना। मनन का अर्थ है उस पर मनन करना। जानकारी के आधार पर सोच-विचार चिंतन है। अनुभव के आधार पर सोच-विचार मनन है। मनन से बात ज्यादा समझ मे आती है। नई रोशनी, नई दिशा मिलती है।निदिध्यासन है साधना,अभ्यास।