हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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धमेंद्र सिंह, वेदप्रकाश अत्री और समुंद्र लाल ने सुनाई रागनियां, श्रोताओं से बटौरी वाहवाही।
तू सुण गीता का ज्ञान, शरीर मरा है अमर आत्मा सुनाकार किया लोगों को गदगद।
कुरुक्षेत्र 21 अगस्त :- हरियाणा कला परिषद द्वारा मनोहारी सावन उत्सव के अंतर्गत साप्ताहिक कार्यक्रमों में हरियाणवी रागनी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें प्रदेश के लोक कलाकारों द्वारा हरियाणवी रागनी सुनाकर कार्यक्रम को सफल बनाया गया। इस मौके पर हरियाणा ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष पवन शर्मा बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे। कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत दीप प्रज्जवलित कर की गई। कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने सभी का स्वागत करते हुए कला परिषद के कार्यक्रमों की रुपरेखा सभी से सांझा की। संजय भसीन ने बताया कि हरियाणा कला परिषद द्वारा प्रदेश के लोक कलाकारों को प्राथमिकता देते हुए कार्यक्रम दिए जा रहे हैं। जिसमें न केवल प्रदेश के लोकगायक तथा नृत्य कलाकार शामिल है, बल्कि सांग तथा लोकवाद्ययंत्र कलाकारों को भी काम दिया जा रहा है। वहीं मुख्यअतिथि पवन शर्मा ने अपने विचार सांझा करते हुए कहा कि कोरोना महामारी में कलाकारों को आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ा है। किंतु हर परिस्थिति में कलाकारों ने अपनी कला को जीवंत रखा तथा मंचीय प्रस्तुतियां न होने पर भी सोशल मीडिया के माध्यम से कला को जन जन तक पहुंचाने का प्रयास किया। ऐसे में लोक कलाकार पुनः मंचीय प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रदेश की संस्कृति को बढ़ावा देेने में सहयोग दे रहे हैं। जिससे सिद्ध होता है कि कला ही कलाकार की पहचान है। कार्यक्रम में संचालन कला परिषद के मीडिया प्रभारी विकास शर्मा द्वारा किया गया। तीन अलग अलग दलों द्वारा प्रस्तुत रागनी कार्यक्रम में प्रदेश के बीस से अधिक कलाकारों ने हिस्सा लिया। पहली प्रस्तुति रोहतक के महम से धमेंद्र सिंह की रही। मां भगवती को याद करते हुए तनै री मां जग ध्यावे, तनै राखी लाज ज्वाला जी से कार्यक्रम का आगाज किया गया। इसके बाद जिसकी गेल्यां इसी बणै वो मनुष्य जीवता ही मरजे, तू चाली मैं भी जांगा मेरा फैसलां करजै तथा तेरे बेटे की जान बचादूं नाम रहेजा तेरा, श्याम धाम राजा की बेटी गुण गावेगी मेरा की प्रस्तुति देते हुए धमेंद्र सिंह ने भरपूर तालियां बटौरी। वहीं वेद प्रकाश अत्री ने रामराज भारत मैं आजा कति अंधेर रहे कोन्या थोड़े दिन बाद देख लियो बाल की छेर रहे कोन्या तथा सरासर और परश गाम में ठोर ठिकाणा हो सै, बसते घर मैं अतिथि का कदै कदै आणा हो सै, तू सुण गीता का ज्ञान, शरीर मरा है अमर आत्मा जाणे सकल जहान सुनाकर हरियाणवी संस्कृति की झलक दिखाई। हिसार के रागनी गायक समुंद्र लाल ने रागनी के सूपणे का जिकर करुं मनै बात जरुरी आगी, तम्बू के मां पडै पडै ना याद अंगूरी आगी सुनाकर अपनी गायकी और अदायगी का लोहा मनवाया। वहीं वीर रस से भरी रागनी कटण मरण ते स्यार डरयां करैं, शेर भरयां करै चाव मैं, भरयां खुशी मैं बोस जणूं, बंदड़े का बापू ब्याह मैं के द्वारा सुभाष चंद्र बोस की वीरता का बखान करते हुए देशप्रेम जाहिर किया। कार्यक्रम में अन्य कलाकारों में पाले राम, मौसम, मंजूर सिंह, लीलू राम, बलवान, सुनील, सलीम, मंजीत सिंह, मेनपाल, नफेराम, राजा, महबूब, पवन, राजेश कुमार, रमेश, अशोक, संदीप, कृष्ण, राजरुप आदि शामिल रहे। मुख्यअतिथि पवन शर्मा ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया, वहीं कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने स्मृति चिन्ह तथा अंगवस्त्र के साथ मुख्यअतिथि का आभार व्यक्त किया। इसके अतिरिक्त आनलाईन कार्यक्रम में प्रस्तुतियां देने वाले लोक कलाकारो को भी सम्मानित किया गया। इस मौके पर वी.पी. वर्मा, धर्मपाल गुगलानी, शीशपाल चौहान, नरेश कुण्डू, नरेश सागवाल, शिवकुमार किरमच, गुलाब सिंह आदि शामिल रहे।