चुगलखोरों की चुगली से टूटते घरों की तड़प को दिखा गया बोलती गली अंधे मकान

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

नाटक बोलती गली अंधे मकान का हुआ सफल मंचन, अभिनय से दिखाई मोहल्ले की घटनाएं।
बोलती गली अंधे मकान नाटक से सजी चण्डीगढ़ नाट्य उत्सव की दूसरी शाम।

कुरुक्षेत्र 6 जुलाई : हरियाणा कला परिषद एवं चण्डीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के संयुक्त सहयोग से 4 जुलाई से 6 जुलाई तक कला कीर्ति भवन, कुरुक्षेत्र में आयोजित चण्डीगढ़ नाट्य उत्सव के दूसरे दिन नितिन शर्मा के लेखन व निर्देशन में नाटक बोलती गली अंधे मकान का खूबसूरत मंचन हुआ। चण्डीगढ़ नाटक अकादमी द्वारा आयोजित तीन माह की कार्यशाला के दौरान तैयार इस नाटक से कलाकारों ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। इस अवसर पर चण्डीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के सचिव राजेश अत्रेय मुख्यअतिथि के रुप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम से पूर्व हरियाणा कला परिषद के निदेशक नागेंद्र शर्मा ने मुख्यअतिथि राजेश अत्रेय को पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया। मंच का संचालन विकास शर्मा द्वारा किया गया।
गली मोहल्लों के किस्सों पर आधारित नाटक बोलती गली अंधे मकान एक मोहल्ले के चार घरों की कहानी कहता है। जहां मोहल्ले के कुछ चुगलखोर लोग दूसरों के घरों में तांक-झांक कर एक-दूसरे को लड़वाने का काम करते हैं। नौंटकीं शैली से शुरु हुए नाटक में दिखाया गया कि मोहल्ले में एक चौधरी अपनी पत्नी गंगा और बेटी शंकुतला के साथ रहता है। उसके पड़ोस में ही एक बुजुर्ग का घर है जो अपनी साली और बेटे के साथ रहता है। दूसरे घर में एक लड़की मेनका अपने पिता के साथ रहती है, जो एक जायदा से प्यार करती है लेकिन एक दूसरा लड़का प्रतीक उसे चाहता है। वहीं एक ओर घर में डा. कृष्णा और उसकी मंगेतर रहते हैं। चार घरों के लोग आपस में बातचीत तो करते हैं लेकिन मोहल्ले के चुगलखोरों की वजह से अक्सर अनबन चलती रहती है। इतना ही नहीं चुगली करने वाले परिवार के सदस्यों के दिलों में भी कड़वाहट भरने से परहेज नहीं करते। प्रत्येक घर के सदस्यों की आपस में तू तू-मैं मैं चलती रहती है। जिसके कारण हर कोई बाहर अपने मन की बात कहने के लिए साथी ढूंढता है। उधर चुगली गैंग गंगा और एक दर्जी के मिलने को प्यार का नाम देकर चौधरी को भड़का देते हैं। एक दिन चौधरी दर्जी को अपने घर में अपनी पत्नी के साथ देख आगबबूला हो जाता है और दोनों को गोली मार देता है। बाद में चौधरी को आत्मग्लानी होती है लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था। इस तरह से हर घर में कड़वाहट भर चुगली करने वाले लोग किस तरह से सबके दिलों में दरार डाल देते हैं, ऐसा ही कुछ दिखाने का प्रयास किया गया नाटक बोलती गली अंधे मकान में। लगभग 20 से अधिक कलाकारों के अभिनय से सजे नाटक ने जहां भावुक दृश्यों से लोगों को गम्भीर कर दिया, वहीं बीच-बीच में हंसी के फव्वारे छोड़ते संवादों ने भी दर्शकों को गुदगुदाने में भरपूर सहयोग दिया। नाटक का सेट, संगीत आदि नाटक को सफल बनाने में अपना पूरा योगदान दे रहे थे। नाटक में आकांक्षा मलिक, वान्या, टीना तोमर, रश्मि, आरुषि, रविंद्र, अंकित, गुरसेवक, रविंद्र रॉकी, अंकुश शर्मा, कमल राम, रविंद्र ठाकुर, प्रज्ज्वल सिंह, माधव, मुदित, विवेक, शुभम रोहिल्ला, प्रवाज, आकाश, लोवेश, प्रतीक बूरा, अभिनव, जशनप्रीत आदि ने अपनी प्रतिभा को दिखाया। अंत में मुख्यअतिथि ने सभी कलाकारों को सम्मानित किया। वहीं नागेंद्र शर्मा ने मुख्यअतिथि राजेश अत्रेय को स्मृति चिन्ह भेंटकर आभार व्यक्त किया।

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