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श्रीमदभगवतगीता का ऐसा कोई अध्याय नहीं है जिसमें किसी योग का वर्णन न हो : डा. श्रीप्रकाश मिश्र

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

अंतराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय कार्यक्रम के द्वितीय दिवस योग का वैश्विक महत्व विषय पर योग परिचर्चा एवं योगाभ्यास कार्यक्रम संपन्न।

कुरुक्षेत्र,21 जून : आदियोगी शिव को योग का प्रथम प्रवर्तक कहा गया है। बाद में पतंजलि ने इसे सूत्रों में संकलित किया और व्यावहारिक स्वरूप प्रदान किया। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में ज्ञान योग, कर्म योग, भक्ति योग और राज योग जैसे विविध रूपों का उपदेश दिया।
योग केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा के संतुलन का विज्ञान है। यह भारतीय ज्ञान परंपरा की ऐसी देन है, जो आज वैश्विक स्तर पर तनावमुक्त जीवन, स्वास्थ्य और शांति का साधन बन चुकी है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने अंतराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय कार्यक्रम के द्वितीय दिवस योग का वैश्विक महत्व विषय पर आयोजित योग परिचर्चा एवं योगभ्यास कार्यक्रम में व्यक्त किये। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने कार्यक्रम का शुभारम्भ योग वंदना से किया। इस अवसर पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने विभिन्न योगाभ्यास किया।
मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने योग परिचर्चा कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा योग केवल साधना नहीं, बल्कि एक ऐसी दिनचर्या है जो मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करती है। प्रातःकालीन ध्यान, प्राणायाम और सूर्यनमस्कार जैसे अभ्यास दिनभर के कार्यों में मानसिक स्पष्टता, संयम और ऊर्जा बनाए रखते हैं। भारतीय संस्कृति का विशेष प्रतीक योगदर्शन हिन्दू जाति की सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक निधि है। भारतवर्ष में योग का सैद्धांतिक तथा व्यावहारिक दोनों दृष्टियों से जो वैज्ञानिक अध्ययन हुआ, वह अन्यत्र कहीं पर भी दुर्लभ है। योग एक विज्ञान है और विज्ञान के साथ ही इसके तथ्यों की व्यावहारिक प्रयोग द्वारा सत्यता निर्धारित की गई है। योग का विषय इतना आवश्यक तथा उपादेय है कि अनादिकाल से ऋषि मुनि ध्यानपूर्वक इसका अनुष्ठान करते थे। श्रीमदभगवतगीता का ऐसा कोई अध्याय नहीं है जिसमें किसी योग का वर्णन न हो। योग दर्शन सदृश ज्ञान गौरव का परिचय जितना भारतीय दार्शनिकों ने दिया है उतना किसी पाश्चात्य विद्वान ने नहीं दिया है। कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के सदस्य, विद्यार्थी एवं अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन कल्याण मंत्र से हुआ।

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