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वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गुरुकुल में ब्रह्मचारियों का उपनयन संस्कार सम्पन्न

कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 3 अगस्त : गुरुकुल कुरुक्षेत्र में नवप्रविष्ट ब्रह्मचारियों का उपनयन संस्कार वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच विधिवत सम्पन्न हुआ। यह संस्कार ब्रह्मचारियों के आध्यात्मिक एवं शैक्षिक जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण है। इस पावन अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. रामचंद्र, चेयरपर्सन, इंस्टीट्यूट आफ इंटीग्रेटिड एंड ऑनर्स स्ट्डीज संस्थान, संस्कृत कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय उपस्थित रहे। गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. प्रवीण कुमार, प्रधानाचार्य सुबे प्रताप, व्यवस्थापक रामनिवास आर्य आचार्य ने ब्रह्मचारियों को पुष्प अर्पित कर आशीर्वाद दिया। मंच पर गुरुकुल के वरिष्ठ शिक्षक रमेशचन्द एवं श्रवण कुमार द्वारा अतिथियां को उपवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
संस्कृत विभागाध्यक्ष आचार्य दयाशंकर जी के मार्गदर्शन में ब्रह्मचारियों के उपनयन संस्कार की पूरी प्रक्रिया वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच सम्मन हुई और उन्होंने ब्रह्मचारियों को जीवनोपयोगी, व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान किया, और उन्हें संयम, अनुशासन, समर्पण का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी का भोजन, भजन और शयन शुद्ध हो जाए तो उसका जीवन स्वयं शुद्ध और पवित्र हो जाता है। निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार ने मुख्य अतिथि डॉ. रामचन्द्र का संक्षिप्त परिचय दिया।
मुख्य अतिथि डॉ. रामचंद्र ने अपने सम्बोधन में भारतीय संस्कृति में उपनयन संस्कार के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह जीवन के 16 संस्कारों में से दसवाँ संस्कार है। ‘मम् चितम् मम् वाचम्’ की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि यह सफलता का सूत्र है जिसमें तीन संदेश है -मेरा हृदय, तुम्हारा चित्त, मेरा मन; तीनों एक हो जाएं। गुरुकुल को अपने पुरुषार्थ और दूरगामी सोच से नवस्वरूप प्रदान करने महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत के कठोर परिश्रम को स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि आचार्य ने ‘तमसो मा ज्योतिगर्मय’ वाक्य को चरितार्थ करते हुए गुरुकुल को उन्नति के शिवर पर पहुंचाया है और गुरुकुल हजारों युवाओं को नई दिशा प्रदान कर रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों को गुरुओं का सदैव सम्मान करने और माता, पिता एवं गुरु के ऋण जीवन में कभी न भूलने की प्रेरणा दी। गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग सहित अन्य अधिकारियों ने मुख्य अतिथि डॉ. रामचन्द्र को स्मृति-चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। शांतिपाठ के साथ उपनयन संस्कार का यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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