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उत्तराखंड निकाय चुनाव: कांग्रेस की राजनीति में नए ध्रुव की धमक


सागर मलिक संपादक

सार: पूर्व मंत्री एसएस नेगी की सल्तनत के बीच रंजना रावत बनीं नयी पावर सेंटर

एसएस नेगी ने चुनाव प्रचार से बनाई दूरी.. रंजना जूझ रही भाजपा के लाव लश्कर से

बेशक भाजपा मंत्री सुबोध उनियाल के बयान के बाद कोटद्वार नगर निगम चुनाव में एकाएक उबाल आया हो। कांग्रेस ने भाजपा मंत्री पर महिला विरोधी बयान देने का आरोप लगाते हुए पलटवार किया है।

दरअसल, शनिवार को मंत्री सुबोध उनियाल ने भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस को कोई मर्द नहीं मिला ,शैलेंद्र रावत के विरोध में,

चार दशक के राजनीतिक दौर में पहली बार मिली चुनौती

इस मुद्दे पर भाजपा -कांग्रेस के बीच सम्मान और अपमान की जंग छिड़ गई है। इस हॉट राजनीतिक मुद्दे के अलावा गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार में कांग्रेस की राजनीति में एक जबरदस्त बदलाव देखने को भी मिल रहा है।

दरअसल, इस बार के नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने निवर्तमान मेयर हेमलता नेगी को टिकट न देकर पूर्व पार्षद रंजना रावत को टिकट देकर कांग्रेस के मजबूत ध्रुव सुरेंद्र सिंह नेगी को गहरा झटका ही नहीं दिया। बल्कि पार्टी की सेकंड लाइन को आगे बढ़ाते हुए एक नया पावर सेंटर स्थापित कर दिया।

गढ़वाल की राजनीति के अहम केंद्र बिंदु कोटद्वार में पूर्व मंत्री स्वर्गीय चंद्र मोहन सिंह नेगी व भारत सिंह रावत के बीच राजनीतिक वर्चस्व की जंग रही है।1982 का बहुगुणा- नेगी के चर्चित गढ़वाल लोकसभा उपचुनाव के बाद सुरेंद्र सिंह नेगी 1984 में उत्तर प्रदेश की विधानसभा के लिए पहली बार चुने गए थे।

पूर्व पर्वतीय विकास मंत्री चंद्रमोहन सिंह नेगी ने सुरेंद्र सिंह नेगी को टिकट दिलवाया था। एसएस नेगी 1984 से आज तक कई चुनाव जीते और हारे भी। अविभाजित यूपी में निर्दलीय भी जीत हासिल की। राज्य बनने के बाद कांग्रेस की तिवारी सरकार में पहली बार मंत्री बने।

2012 के ऐतिहासिक कोटद्वार विधानसभा के चुनाव में तत्कालीन सीएम जनरल बीसी खंडूडी को हराकर पूरे देश में हलचल मचा दी। कोटद्वार सीट जीतने के बाद ही कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हुई।

इधर, 2017 में पहले हरक सिंह और फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में सुरेंद्र सिंह नेगी को ऋतु खंडूडी से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, इससे पूर्व नेगी अपनी पत्नी हेमलता नेगी को कोटद्वार नगर निगम का चुनाव जिता चुके थे।

इस बार कांग्रेस का रंजना पर भरोसा
अब 2024 के निकाय चुनाव में एसएस नेगी एक बार फिर अपनी पत्नी हेमलता नेगी को एक बार फिर चुनाव लड़ाने की कोशिश में थे। लेकिन हरीश रावत गुट से जुड़े रहे एसएस नेगी की पसंद के बजाय कांग्रेस नेतृत्व ने युवा कांग्रेस नेत्री रंजना रावत को नये उभरते विकल्प के तौर पर मेयर का टिकट थमा दिया।

रंजना रावत की कोई विशेष राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है। फौजी की पुत्री रंजना रावत कई साल से राजनीतिक व सामाजिक कार्यों के जरिये सक्रिय देखी गयी।
लैंसडौन विधानसभा के अलावा कोटद्वार क्षेत्र के कई कार्यक्रमों में रंजना रावत की भागीदारी को कांग्रेस नेतृत्व ने नोटिस में लिया। और कोटद्वार नगर निगम की सामान्य सीट पर भाजपा के शैलेंद्र रावत के मुकाबले महिला को टिकट दे नयी चुनौती पेश की।

लगभग 40 साल से सक्रिय राजनीति में मसरूफ रहे उम्रदराज सुरेंद्र सिंह नेगी इस फैसले से नाखुश बताए जा रहे हैं। मतदान को दस दिन बाकी हैं लेकिन एसएस नेगी व उनकी टीम कांग्रेस उम्मीदवार रंजना रावत के लिए चुनावी अखाड़े में नहीं उतरी है। इसके पीछे दोनों के बीच कुछ पुरानी अदावत की कहानियां भी साथ साथ सुनाई जा रही है।

इस बीच, एसएस नेगी की खामोशी को देखते हुए उनके कुछ समर्थक भाजपा उम्मीदवार व पूर्व विधायक शैलेन्द्र रावत की सभाओं की शोभा बढ़ा रहे हैं।पहली बार बड़ा चुनाव लड़ रही रंजना रावत अपने मुद्दों को लेकर मतदाताओं के दरवाजे-दरवाजे जा रही है।

भाजपा प्रत्याशी शैलेन्द्र रावत
अब कोटद्वार मेयर के चुनाव में 40 वार्ड के लगभग सवा लाख मतदाता 23 जनवरी को कुछ भी फैसला दें। लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने कद्दावर एसएस नेगी की नाराजगी को बूझने के बाद भी रंजना रावत को टिकट देकर कोटद्वार कांग्रेस की राजनीति के एक नये पावर सेंटर पर मुहर तो लगा ही दी…

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