उत्तराखंड: वन विभाग ने तेज तर्रार अधिकारियों को दी जिम्मेदारी,

जफर अंसारी

वन विभाग ने ऐसे तेज तर्रार अधिकारियों को दी जिम्मेदारी”की वन तस्कर साल भर बाद भी पकड़ से बाहर

लालकुआँ। वन महकमा अपने तेजतर्रार अधिकारियों समेत भारी-भरकम अमले के बावजूद कई मामलों में लकड़ी तस्करों तक पहुंचने में अब तक नाकाम साबित हुआ है।

हाल ही में कई अवैध लकड़ी एवं खनन के वाहन तो वन महकमें ने पकड़े लेकिन लकड़ी व खनन चालकों और तस्करों को पकड़ने में हमेशा की तरह विफल रही।
वहीं बीते वर्ष लालकुआँ नगर के मुख्य बाजार में स्थित वन विभाग की कार्यशाला परिसर में खड़े 30 साल पुराने चंदन के पेड़ को तस्करों ने रात में काट दिया। हालांकि पुलिस के सायरन की आवाज सुनकर तस्कर चंदन की काटी गई लकड़ी लिए बगैर ही चम्पत हो गए। बता दें कि केंद्रीय तराई वन प्रभाग की इस कार्यशाला परिसर में दर्जन भर वन कर्मियों के परिवार निवास करते हैं।


प्रातः जैसे ही बीट अधिकारी वनरक्षक ने कटा हुआ चंदन का वृक्ष देखा तो इसकी सूचना वन विभाग के उच्चाधिकारियों को दी। जिसके बाद मौके पर तराई केंद्रीय वन प्रभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा घटनास्थल का मुआयना करते हुए मामले की जांच के लिए अधीनस्थों को निर्देश दिए।
बावजूद तराई केंद्रीय वन प्रभाग के टाड़ा रेंज की कार्यशाला परिसर में कांटे गए 30 साल पुराने विशालकाय चंदन के वृक्ष का दोहन करने वाले तस्कारों का एक साल बीत जाने बाद भी पता नही चल सका है। जबकि वन महकमें में कई तेजतर्रार एवं काबिल अधिकारी मौजूद हैं। इसके कुछ महीने बाद ही टाड़ा रेंज के जगंल में सगौन के भी कई पेड़ काटे गए। लेकिन उसमें भी नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा।
लालकुआँ तराई केन्द्रीय वन प्रभाग के टाड़ा रेंज वन तस्कर गढ़ बनता जा रहा है और विभागीय अधिकारी अपने एअरकंडीशनर रूम में बैठकर बाखूबी अपनी निभा रहे हैं अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
इधर तराई पूर्वी वन प्रभाग के डौली रेंज के निरीक्षण भवन के समीप लगे दो चंदन के पेड़ों को बीते कई माह पूर्व तस्करों ने काटकर वन शहकमें को चुनौती दे डाली। सुबह मौके पर वन कर्मियों को काटे गए पेड़ों के गिल्टे जमीन पर पड़े मिले। इसके बाद सूचना उच्चाधिकारियों को दी गई। वन क्षेत्राधिकारी डौली रेंज के मुताबिक वन विभाग ने काटे गए पेड़ों की पूरी लकड़ी बरामद कर ली है। वन विभाग तभी से इस मामले में तफ्तीश कर रहा है। लेकिन नतीजा यहां भी शून्य ही नजर आ रहा है।
फिलहाल वन महकमें की बड़ी लापरवाही के चलते ऐसा प्रतीत होता है कि यदि इसी तरह से बेशकीमती चंदन और सागौन के पेड़ों का तस्कर दोहन करते रहे तो क्षेत्र से चंदन और सागौन के पेड़ों को विलुप्त होते अधिक समय नहीं लगेगी।

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साग़र मलिक उतराखंड प्रभारी(वी वी न्यूज़)

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