Uncategorized

उत्तराखंड: अनाथ बच्चों और बेसहारा महिलाओं को मिलेगा अपना घर, ऐसे होगी आलंबन गांव की संरचना

उत्तराखंड: अनाथ बच्चों और बेसहारा महिलाओं को मिलेगा अपना घर, ऐसे होगी आलंबन गांव की संरचना,
सागर मलिक

सचिव समिति की बैठक में अनूठी पहल स्वीकृत हुई। आलंबन गांव में रहने वाली किशोरियों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई तरह की व्यावसायिक गतिविधियां चलाई जाएंगी।

राज्य में एक नई पहल की शुरुआत हो रही है। इसके साकार होने के बाद अनाथ बच्चों और निराश्रित महिलाओं को आश्रय केंद्रों में अलग-थलग नहीं रहना पड़ेगा बल्कि वे एक ही छत के नीचे पारिवारिक माहौल में रह सकेंगे। इसके लिए विकास नगर में आलंबन गांव बसाने का प्रस्ताव है। इसको लेकर महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के सचिव चंद्रेश यादव ने बीते मंगलवार को सचिव समिति की बैठक में प्रस्तुति दी। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने योजना को हरी झंडी दी है।

ऐसी होगी आलंबन गांव की संरचना

इस खास गांव को विकासनगर में करीब छह एकड़ जमीन पर विकसित किया जाएगा। जहां 20 घर बनेंगे, हर घर में 16 सदस्य रहेंगे। प्रत्येक घर में छह से 12 साल के आठ बच्चे, 12 से 18 साल की चार किशोरियां और चार महिलाएं एक परिवार की तरह रहेंगी। इस गांव की कुल क्षमता लगभग 320 सदस्यों की होगी। पहले पांच घरों से शुरुआत होगी।

महिलाएं और किशोरियां बनेंगी आत्मनिर्भर

आलंबन गांव में रहने वाली किशोरियों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई तरह की व्यावसायिक गतिविधियां चलाई जाएंगी। उनके उत्पाद और सामग्री बिक्री के लिए आउटलेट सेंटर खोले जाएंगे। इसके अलावा खेती, बागवानी, डेयरी, मुर्गीपालन और मछली पालन जैसी गतिविधियों का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वे स्थायी रूप से अपनी आजीविका कमा सकें।

अधिकारी और कर्मी भी साथ रहेंगे

आलंबन गांव के संचालन के लिए अधिकारी और कर्मियों के भी रहने की व्यवस्था होगी, ताकि 24 घंटे देखभाल सुनिश्चित हो सके। गांव में एक सोसाइटी बनेगी जो निर्माण से लेकर संचालन तक सारा काम देखेगी। गांव में बिजली के लिए सोलर पैनल लगेंगे। आने-जाने के लिए ई-वाहन की सुविधा मिलेगी।

आश्रय केंद्रों में निराश्रित बच्चों और महिलाओं का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता। इसी कमी को दूर करने के लिए आलंबन गांव की योजना तैयार की गई है। इस गांव में अनाथ, निराश्रित व परित्यक्त बच्चों के साथ-साथ दिव्यांग और संकटग्रस्त महिलाओं को भी रखा जाएगा। -चंद्रेश यादव, सचिव, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button