देहरादून: विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी द्वारा 3 सदस्य कमेटी बनाकर गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल के द्वारा की गई तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने के बाद गोविंद सिंह कुंजवाल का तीखा बयान आया है …
कुंजवाल का कहना है कि रितु खंडूरी ने कमेटी बनाकर विधानसभा के पद की गरिमा को गिराने का काम किया है और इससे विधानसभा की अवमानना हुई है
कुंजवाल का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष को स्वयं की अध्यक्षता में कमेटी बनाते हुए संसदीय कार्य मंत्री नेता प्रतिपक्ष विधायकों एवं सचिव वित्त कार्मिक आदि को कमेटी में शामिल कर विशेषज्ञों के तौर पर पूर्व आई ए एस को रखना चाहिए था जो उन्होंने नहीं किया
कुंजवाल यहीं नहीं रुके उनका कहना है कि उन्होंने जो भी भर्तियां की वह नियमानुसार की थी कुंजवाल का कहना है कि उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए पहले विधानसभा अध्यक्ष प्रकाश पंत दूसरे विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य तीसरे विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर और स्वयं के कार्यकाल के आधा दर्जन लोगों को स्थाई करने का काम किया जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया
अंत में कुंजवाल ने कहा कि जिन लोगों को नौकरियों से हटाया गया है उनका कोई कसूर नहीं है मैंने बैक डोर भर्ती करवाकर गलती की इसकी सजा जनता ने मुझे 2022 का चुनाव हरवा कर दे दी है
कुंजवाल का कहना है कि विधानसभा संवैधानिक संस्था है और उसके अध्यक्ष को संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं कार्यपालिका का कोई भी व्यक्ति विधानसभा से संबंधित जांच नहीं कर सकता और ऐसा देश में आज तक कभी नहीं हुआ जो रितु खंडूरी ने किया है
उन्होंने फिर दोहराया कि विधानसभा के मामलों की जांच कोई जज ही कर सकता है किंतु रितु खंडूरी ने ऐसा ना कर विधानसभा की गरिमा गिराई है देखना है कि गोविंद सिंह कुंजवाल के इस बयान के बाद रितु खंडूरी क्या जवाब देती है।