हमें छोटा नहीं अब बहुत बड़ा लक्ष्य लेकर चलना होगा -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली व्यूरो वरूण शर्मा

नेहरू जी को नमन करने का अवसर है… 25 साल में विकसित भारत बनाना है,

पीएम के संबोधन की बड़ी बातें

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित कर रहे हैं।

नई दिल्ली : लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देशवासियों को संकल्प दिलाया कि अब हमें रुकना नहीं है, अगले 25 साल में भारत को विकसित राष्ट्र बनाना ही होगा। हमें छोटा नहीं अब बहुत बड़ा लक्ष्य लेकर चलना होगा। पीएम ने एक तरफ बापू, सुभाष को याद करते हुए नेहरू को नमन किया तो सावरकर के त्याग का भी जिक्र किया। उन्होंने इतिहास में भुला दिए गए उन क्रांतिकारियों को भी याद किया जिन्हें आजादी का अमृत महोत्सव में नमन किया जा रहा है। आजादी के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम ने एक और बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि किसी न किसी कारण से हमारे अंदर यह विकृति आई है। हमारे बोलचाल में, हमारे व्यवहार में, हमारे कुछ शब्दों में.. हम नारी का अपमान करते हैं… क्या हम स्वभाव से, संस्कार से, रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं.. मोदी यह बोलते हुए भावुक हो गए। वह बोलते-बोलते कुछ देर के लिए रुक भी गए। आगे पढ़िए प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की बड़ी बातें-

राष्ट्र कृतज्ञ है बापू… सावरकर का

आज का दिवस ऐतिहासिक दिवस है। एक पुण्य पड़ाव, एक नई राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का यह शुभ अवसर है। आजादी की जंग में गुलामी का पूरा कालखंड संघर्ष में बीता है। भारत का कोई कोना ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न किया हो। जीवन न खपाया हो, आहुति न दी हो। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष के लिए नमन करने का अवसर है। उनका स्मरण करते हुए उनके सपनों को पूरा करने के लिए संकल्प लेने का भी अवसर है। आज हम सभी कृतज्ञ हैं पूज्य बापू के, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहब आंबेडकर, वीर सावरकर के… जिन्होंने कर्तव्य पथ पर जीवन को खपा दिया। यह देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल। ऐसे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी।

हमारे देशवासियों ने भी उपलब्धियां की हैं, पुरुषार्थ किया है, हार नहीं मानी है और संकल्पों को ओझल नहीं होने दिया है।

नेहरू जी को नमन करने का अवसर है

आजादी की जंग लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद हों, नेहरू जी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, लाल बहादुर शास्त्री, दीनदयाल उपाध्याय, जय प्रकाश नारायण, लोहिया, विनोबा भावे, नानाजी देशमुख, सुब्रमण्यम भारती ऐसे अनगिनत महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है।

हम उन्हें भूल नहीं सकते…

हम नहीं भूल सकते भगवान बिरसा मुंडा, सीताराम राजू, गोविंद गुरु अनगिनत नाम हैं जिन्होंने आजादी के आंदोलन की आवाज बनकर दूर जंगलों में आदिवासियों में मातृभूमि के लिए जीने मरने की प्रेरणा जगाई। देश का सौभाग्य रहा है कि आजादी के जंग के कई रूप रहे हैं। एक रूप यह भी रहा जिसमें नारायण गुरु हो, स्वामी विवेकानंद हो, महर्षि अरविंदों हो, टैगोर हो ऐसे अनेक महापुरुष भारत की चेतना को जगाते रहे।

कल भारी मन से विभाजन विभीषिका दिवस मनाया

पीएम ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया जिनको किसी न किसी कारण से इतिहास में जगह न मिली, या उन्हें भुला दिया गया। देश ने खोज-खोज कर हर कोने में ऐसे लोगों को याद किया नमन किया। अमृत महोत्सव के दौरान इन सभी महापुरुषों को याद किया। कल 14 अगस्त को भारत ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस भी बड़े भारी मन से हृदय के गहरे घावों को याद करके मनाया।

तब भारत को डराया गया था

पीएम ने कहा कि जब आजादी की लड़ाई अंतिम चरण में थी तो देश को डराने के लिए तमाम कोशिशें की गई, अंग्रेज चले जाएंगे तो देश बिखर जाएगा लेकिन उन्हें पता नहीं था कि ये हिंदुस्तान की मिट्टी है। इस मिट्टी में वो सामर्थ्य है जो शासकों से भी परे सामर्थ्य का एक अंतर प्रवाह लेकर जीता रहा है। उसी का परिणाम है। कभी अन्न का संकट झेला, युद्ध का शिकार हो गए, आतंकवाद ने चुनौतियां पैदा की। निर्दोषों को मारा गया। छद्म युद्ध चलते रहे। प्राकृतिक आपदाएं आती रही। न जाने कितने पड़ाव आए लेकिन इन सबके बीच भारत आगे बढ़ता रहा।

अमृतकाल का पहला प्रभात आकांक्षी समाज की आकांक्षा को पूरा करने का सुनहरा अवसर है। हमारे देश के भीतर कितना बड़ा सामर्थ्य है, एक तिरंगे झंडे ने दिखा दिया है।

आजादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था…

पीएम ने कहा कि जिनके जेहन में लोकतंत्र होता है वे जब संकल्प लेकर चल पड़ते हैं वो सामर्थ्य दुनिया की बड़ी सल्तनतों के लिए संकट का काल लेकर आती है। ये लोकतंत्र की जननी हमारे भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास अनमोल सामर्थ्य है। 75 साल की यात्रा में उतार चढ़ाव आए। 2014 में देशवासियों ने मुझे दायित्व दिया। आजादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था जिसे लाल किले से देशवासियों का गौरव गान करने का अवसर मिला। लेकिन मेरे दिल में जो भी आप लोगों से सीखा हूं, जितना आप लोगों को जान पाया हूं, सुख दुख को समझ पाया हूं… उसको लेकर मैंने अपना पूरा कालखंड देश के उन लोगों को सशक्त बनाने में खपाया- दलित, शोषित, किसान, महिला, युवा हो, हिमालय की कंदराएं हों समुद्र का तट हो। हर कोने में बापू का जो सपना था आखिरी इंसान को सामर्थ्य बनाने की, मैंने अपने आप को उसके लिए समर्पित किया। समाज में आकांक्षाएं उफान पर

मोदी ने कहा कि आकांक्षी समाज किसी भी देश की अमानत होती है। आज समाज के हर वर्ग में, हर तबके में आकांक्षाएं उफान पर हैं। देश का हर नागरिक चीजें बदलना चाहता है, इंतजार करने को तैयार नहीं है, अपनी आंखों के सामने चाहता है। 75 साल में बचे सपने पूरा करने के लिए उतावला है। ऐसे में सरकारों को भी समय के साथ दौड़ना पड़ता है। केंद्र हो या राज्य या कोई और शासन व्यवस्था हो, हर किसी को आकांक्षाओं को पूरा करना होगा। हमारे समाज ने काफी इंतजार किया है। लेकिन अब वह आने वाली पीढ़ी को इंतजार करवाने के लिए तैयार नहीं है।

हम वो लोग हैं, जो जीव में शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं, जो पौधे में परमात्मा देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नदी को मां मानते हैं, हम वो लोग हैं, जो कंकड़-कंकड़ में शंकर देखते हैं।

भारत में सामूहिक चेतना का पुर्नजागरण हुआ है। ये चेतना का जागरण ये हमारी सबसे बड़ी अमानत है। 10 अगस्त को लोगों को पता भी नहीं होगा शायद लेकिन पिछले तीन दिनों के भीतर जिस प्रकार से तिरंगे झंडे को लेकर चल पड़ा है। बड़े बड़े सोशल साइंस के एक्सपर्ट भी इसकी कल्पना नहीं कर सकते कि देश के भीतर कितना बड़ा सामर्थ्य है, देश के झंडे ने दिखा दिया है। जब देश का हर कोना जनता कर्फ्यू के लिए निकल पड़ता है, थाली-ताली बजाकर कोरोना योद्धाओं के साथ खड़ा होता है, दीया जलाकर योद्धाओं को शुभकामनाएं देता है तो उस चेतना की अनुभूति होती है। दुनिया कोरोना वैक्सीन की उलझन में थी और देश 200 करोड़ डोज लगा चुका था।

आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जो जूझ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हमारे पास है। इसके लिए हमारे पास वो विरासत है, जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी है।

आज दुनिया का भारत को लेकर नजरिया बदल चुका है। दुनिया भारत की धरती पर समाधान देखने लगी है। 75 साल की अनुभव यात्रा का यह परिणाम है। विश्व भी उम्मीदें लेकर जी रहा है, उम्मीदें पूरी करने का सामर्थ्य कहां पड़ा है। त्रिशक्ति के रूप में मैं इसे देखता हूं-

1. एसपिरेशन

2. पुनर्जागरण

3. विश्व की उम्मीदों की

आज दुनिया में विश्वास जगने में देशवासियों की भूमिका है। 130 करोड़ लोगों ने दशकों के अनुभव करने के बाद स्थिर सरकार का महत्व, राजनीतिक स्थिरता और इसके कारण दुनिया में असर, नीतियों को लेकर भरोसा जताया है। हमने सबका साथ सबका विकास के मंत्र लेकर चले थे लोगों ने सबका विश्वास सबका प्रयास किया।

पांच प्राणशक्ति

पीएम ने कहा कि मैं पांच प्राणशक्तियों की बात की। उन्होंने कहा कि पहला प्राण अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत। अब उससे कम नहीं होना चाहिए।

दूसरी प्राणशक्ति– किसी भी कोने में, हमारे मन के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर है तो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। अब शत-प्रतिशत सैकड़ों साल की गुलामी ने हमारे मनोभाव को बांध कर रखा है, हमें गुलामी की छोटी सी छोटी चीज भी नजर आती है हमें उससे मुक्ति पानी होगी।

तीसरी प्राणशक्ति- हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए क्योंकि यही विरासत है जिसने कभी भारत को स्वर्णिम काल दिया था।

चौथी प्राणशक्ति- एकता और एकजुटता, 130 करोड़ देशवासियों में एकता, न कोई अपना न कोई पराया। एकता की ताकत एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपनों के लिए है।

पांचवीं प्राणशक्ति- नागरिकों का कतर्व्य, इसमें पीएम और सीएम भी आते हैं। ये हमारे आने वाले 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए बहुत बड़ी प्राणशक्ति है।

पीएम ने कहा कि जब सपने बड़े होते हैं, संकल्प बड़ा होता है, पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है, शक्ति भी बहुत बड़ी मात्रा में होती है।

25 साल में विकसित भारत बनाना है

पीएम ने कहा कि आज जब अमृत काल की पहली प्रभात है तो हमें इन 25 साल में विकसित भारत बनाकर रहना है। अपनी आंखों के सामने…. देश के नौजवानों जब देश की आजादी का 100 साल मनाएगा तो आप 50-55 साल के होंगे। आप संकल्प लेकर मेरे साथ चल पड़िए, तिरंगे की शपथ लेकर चल पड़िए। बड़ा संकल्प मेरा देश विकसित होगा। हम मानवकेंद्री व्यवस्था को विकसित करेंगे।

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