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कब होगा भाग्योदय, जानें भाग्य रेखा के प्रकार व इसके मानव जीवन पर प्रभाव।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
कुरुक्षेत्र : जीवन में भाग्य रेखा का महत्व सबसे अधिक माना गया है इस रेखा को अंग्रेजी में फेट लाइन या लक लाइन भी कहते हैं यह रेखा जितनी अधिक गहरी स्पष्ट और निर्दोष होती है उस व्यक्ति का भाग्य उतना ही ज्यादा श्रेष्ठ कहा जाता है।
सभी हाथों में यह रेखा नहीं पाई जाती है लगभग 50% हाथों में ही भाग्य रेखा पाई जाती है जिन हाथों में भाग्य रेखा नहीं होती है वह व्यक्ति अपने कर्मों के द्वारा जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
1.पहले प्रकार की भाग्य रेखा हथेली में मणिबंध के ऊपर से निकल कर अन्य रेखाओं का सहारा लेते हुए शनि पर्वत पर पहुंच जाती है। पहले प्रकार की भाग्य रेखा चित्र में दिखाई गई है।
इस प्रकार की भाग्य रेखा सर्वोत्तम कहलाती है, इस प्रकार की भाग्य रेखा वाले व्यक्ति जीवन में बहुत ऊंचा पद प्राप्त करते हैं।
- दूसरे प्रकार की भाग्य रेखा जीवन रेखा के पास से निकलकर शनि पर्वत पर पहुंच जाती है। इस प्रकार की भाग्य रेखा चित्र में दिखाई गई है:
इस प्रकार की रेखा भी श्रेष्ठ मानी गई है, इस प्रकार के व्यक्तियों का भाग्योदय 28 वें वर्ष के बाद होता है ऐसे व्यक्ति संकोची स्वभाव के होते हैं तथा तुरंत निर्णय लेने में समर्थ नहीं होते हैं। - तीसरे प्रकार की भाग्य रेखा शुक्र पर्वत से निकलकर शनि पर्वत पर पहुंच जाती है यह भाग्यरेखा जितनी ज्यादा स्पष्ट होती है उतनी ही ज्यादा शुभ मानी जाती है.इस प्रकार की भाग्य रेखा चित्र में दिखाई गयी है: चूंकि भाग्य रेखा जीवन रेखा को काटकर आगे बढ़ती है व जिन स्थानों पर यह जीवन रेखा को काटती है उस उम्र में व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
इस प्रकार के व्यक्तियों को पत्नी सुंदर आकर्षक व तड़क -भड़क में रहने वाली मिलती है। ऐसे व्यक्तियों का बुढ़ापा कष्टमय निकलता है
और अधिक जानकारी हस्तरेखा से जुड़ा हुआ परामर्श सलाह उपाय विधि प्रयोग या आपकी हस्तरेखा में किसी तरह की कोई विशेष चिन्ह निशान या रेखा बन रहे हैं तो आप किसी भी हस्तरेखा विशेषज्ञ से संपर्क करें और हस्तरेखा दिखाकर जानकारी प्राप्त करें।