दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से मेडिकल ट्रेनिंग सेंटर (एमटीसी) सशस्त्र सीमा बल के जवानों के लिए योग शिविर का किया गया आयोजन
फिरोजपुर 20 मई [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]:=
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से मेडिक्स ट्रेंनिंग सैंटर (एमटीसी) सशस्त्र सीमा बल शिमला के जवानों के लिए योग शिविर का आयोजन किया गया। योग शिविर में विशेष रूप से पधारे श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य योगाचार्य स्वामी डॉक्टर सर्वेश्वर जी ने अपने विचारों में कहा कि महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र की रचना इसीलिए की ताकि एक इंसान योग का सहारा लेकर अपने शरीर व मन को स्वस्थ रख सके। अगर शरीर स्वस्थ है तो प्रत्येक कार्य में इंसान अपना सम्पूर्ण योगदान दे पाएगा। इसीलिए तो कहा भी गया है ‘पहला सुख निरोगी काया’। स्वामी जी ने कहा कि व्यक्ति यदि अपने जीवनकाल में योग का अभ्यास करता रहे तो वह कभी रोगी नहीं हो सकता है। योग के द्वारा प्रत्येक समस्या का निराकरण संभव है।
उन्होंने उपस्थित जवानों को योगाभ्यास करवाते हुए बहुत सरल और प्रभावशाली योगासन जैसे ताड़ासन, वृक्षासन, वीरभद्रासन, तुलासन, मण्डूकासन, इत्यादि सिखाकर कमर दर्द, डायबिटीज, हर्निया, माइग्रेन, सिर दर्द, सर्वाइकल, जैसे रोगों से निज़ात पाने के टिप्स दिए। उसके उपरांत सभी को प्राणायाम यौगिक विधियों के तहत नाड़ीशोधन, अनुलोम-विलोम व भ्रामरी प्राणायाम भी सिखाया गया। स्वामी जी ने बताया कि नाड़ीशोधन प्राणायाम एकमात्र ऐसा प्राणायाम है जिसको करने से शरीर की समस्त 72,000 नाड़ियों का शुद्धिकरण एक ही बार में हो जाता है। हमारा नर्वस सिस्टम दुरुस्त होता है और त्वचा सम्बन्धी समस्त रोगों से निज़ात मिलता है।
उसके बाद उन्होनें अनुलोम-विलोम प्राणायाम के बारे में कहा कि मॉडर्न मेडिकल साइंस का मानना है कि हमारे ब्रेन के दो पार्ट्स होते हैं। अगर ब्रेन के दाईं ओर ब्लड सर्कुलेशन में कमी आती है तो बाईं साइड में पैरालिसिस होने का खतरा बन जाता है। अगर यह समस्या बाईं ओर आती है तो दाईं साईड को पैरालिसिस हो जाता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम में जब हम दोनों नासिकाओं द्वारा बारी-बारी से श्वास भरते हैं तो ब्रेन की दोनों साइड्स सक्रिय हो जाती हैं और पैरालिसिस होने का खतरा दूर हो जाता है। भ्रामरी प्राणायाम के सम्बन्ध में स्वामी जी ने बताया कि इससे हाइपरटेंशन, माइग्रेन, कम स्मरण शक्ति जैसी अनेक बिमारियों का निदान संभव है।
सभी जवानों ने बढ़-चढ़ कर इस योग शिविर में हिस्सा लिया और विभिन्न यौगिक विधियों को सीखकर उन्हें अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर संस्थान की ओर से स्वामी धीरानन्द और शिवा भी उपस्थित रहे।