प्रदेश की 70 प्रतिशत ऐतिहासिक और पुरातात्विक साइट सरस्वती के किनारे : धुमन सिंह
प्रदेश की 70 प्रतिशत ऐतिहासिक और पुरातात्विक साइट सरस्वती के किनारे : धुमन सिंह।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
सरस्वती नदी के किनारे 50 से ज्यादा स्थलों पर किया जा रहा है घाटों का निर्माण कार्य। पिंडदान करने के स्थल भी सरस्वती के किनारे। सरस्वती नदी के किनारे स्थित मंदिरों का किया जा रहा है जीर्णोद्घार। मंदिरों के आस-पास विकास कार्य करने पर खर्च होगा करीब 5 करोड़ का बजट।
कुरुक्षेत्र 5 फरवरी : हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि करोड़ों वर्ष पुरानी ऐतिहासिक सरस्वती नदी के किनारे हरियाणा प्रदेश की 70 प्रतिशत पुरातात्विक साइट है। इन ऐतिहासिक और भव्य साइट को दर्शनीय स्थलों के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह पवित्र नदी सही मायने में पर्यटन का केन्द्र मानी जाती है। अहम पहलू यह है कि इस साइट के किनारे अलग-अलग जगहों पर लोगों की सुविधा के लिए 50 से ज्यादा घाटों का निर्माण कार्य किया जा रहा है।
उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने विशेष बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मार्गदर्शन में पिहोवा सरस्वती तीर्थ स्थल पर तथा आदि बद्री के साथ-साथ कैथल में 29 जनवरी से लेकर 4 फरवरी तक इन भव्य और सफल अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव का आयोजन किया गया है। इस आयोजन के माध्यम से महोत्सव में पहुंचने वाले हजारों नागरिकों को प्राचीन और ऐतिहासिक नदी के बारे में लोगों को जानकारी दी गई। इसके लिए बकायदा प्रदर्शनी लगाई गई। इस प्रदर्शनी में सरस्वती नदी के हर ऐतिहासिक पहलू को वैज्ञानिक तथ्यों के साथ दिखाने का अनोखा प्रयास किया गया।
उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी के किनारे आदि बद्री, भगवानपुर, थानेसर, जोगना खेड़ा, कलायत, कुनाल राखीगढ़ी, फरमाना, काली गंगा, पीली गंगा, मोहन जौदड़ो, धौला वीरा, लौथल सहित अन्य पुरातात्विक साइट अपने इतिहास को आज भी बयां कर रही है। अभी हाल में ही वैज्ञानिक दृष्टि से कुनाल को 10 हजार साल पुरानी संस्कृति सभ्यता का हिस्सा बताया गया है। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी के किनारे ही प्राचीन काल से पिंडदान के लिए भी जाना जाता है। इस नदी के किनारे ही कपालमोचन, सरस्वती धाम, सन्निहित सरोवर, पिहोवा के साथ-साथ पुष्कर, सिद्धपुर गुजरात और रण आफ कच्छ में पिंडदान करवाए जाते है।
मंदिरों के आस-पास के क्षेत्रों को विकसित करने पर खर्च होगा करीब 5 करोड़ का बजट
बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि सरस्वती नदी के किनारे 70 प्रतिशत ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर स्थित है। इन मंदिरों के आस-पास के क्षेत्र में विकास कार्य करवाने के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से करीब 5 करोड़ रुपए का बजट खर्च किया जाएगा।
घाटों के निर्माण पर खर्च होगा करीब 2 करोड़ का बजट।
बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि सरस्वती नदी के किनारे अलग-अलग जगहों पर 50 घाटों का निर्माण कार्य चल रहा है और कई घाट बनकर तैयार हो चुके है। इन घाटों पर करीब 2 करोड़ रुपए सरकार की तरफ से खर्च किए जाएंगे।