फोटो , मुफ़्ती इनामुल बारी ।
अररिया ।
ईद की नामाज से पहले फितरा व जकात की रकम अदा करना जरूरी है । उक्त बातें मुफ्ती इनामुल बारी सिद्दीकी ने कही । उन्होंने कहा कि माहे रमजान के तीसों रोजा रखने के बाद मनाए जाने वाले त्योहार ईद उल फितर की नामाज अदा करने से पूर्व जकात व फितरे की रकम गरीबों यतीमों व लाचारों की बीच वितरण करना जरूरी है ,ताकि गरीबों के घर भी ईद की खुशी मिल सके । ईद खुशी का पर्व जरूर है, लेकिन यह खुशी खुद के ही घर तक सीमित रह जाए, ऐसी शिक्षा इस्लाम नहीं देती है। अपनी खुशी के साथ पड़ोसी और समाज में रह रहे गरीबों के घर भी ईद की खुशी मिले । गरीब जरूरतमंद ,अकीदतमन्द की सहायता करना ही दरअसल ईद की सही खुशी है । उन्होंने हदीश का हवाला देते हुए कहा कि जकात की निर्धारित राशि केवल वही लोग अदा करेंगे, जो साहिबे निसाब हो ,यानी साढ़े सात तोला सोना व साढ़े बावन तोला के मालियत रखने वाले साहिबे निसाब हैं। उन पर जकात निकालना वाजिब है । इधर सभी मुस्लिम परिवारों में हर व्यक्ति पर फितरा की रकम निकालना या अदा किए जाने का हुक्म है । उन्होंने कहा कि फितर की रकम की अदायगी रमजान के शुरू से ही हो जाती है, बेहतर है । इधर माहे माहे रमजान का आखरी रोजा होने को लेकर ईदगाह व मस्जिदों का साफ सफाई व रंग रोगन करने के साथ साथ तमाम अकीदतमंदों में खुशियों का पर्व ईद का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं । खासकर बच्चों में ईद की खुशी मनाने को लेकर काफी उथल पुथल मची हुई है ।