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रिपोर्ट पदमाकर पाठक
गर्भावस्था में पोषण की कमी से होती हैं कई समस्यायें
आजमगढ़। गर्भावस्था में पोषण की कमी शिशु और मां दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान कुपोषण- एनीमिया, हाइपरटेंशन और मिसकैरेज जैसी समस्याओं को बढ़ा देता है। अगर आप सतर्क रहेंगी तो इन समस्याओं से बच जायेंगी।जिला महिला चिकित्सालय की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक (एसआईसी) एवं वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ मंजुला सिंह का ने बताया कि जिला महिला चिकित्सालय में तीन डाक्टरों की ओपीडी होती है। मई माह में 7719, जून माह में 8140 तथा जुलाई माह में 8018 मरीजों की ओपीडी की गई थी। जिसके सापेक्ष मई माह में 154 सामान्य प्रसव एवं 51 आपरेशन से प्रसव, जून माह में 197 सामान्य प्रसव एवं 41 आपरेशन से प्रसव तथा जुलाई माह में 245 सामान्य प्रसव तथा 53 आपरेशन से प्रसव हुए थे। इस दौरान तीन महीनों में कुल 24 बच्चे कुपोषित पैदा हुए थे, जिन्हें एसएनसीयू में भर्ती कराया गया था। आजमगढ़ जनपद के एनएफएचएस-5 (2019-21) सर्वे के बारे में बात करें तो प्रथम तिमाही में 54 फीसदी गर्भवती ने प्रसव पूर्व जाँच करायी है, जबकि एनएफएचएस-4 सर्वे में यह 46 फीसदी था। गर्भवती जिन्होंने चार प्रसव पूर्व जांचे करायीं हैं। यह ¬(39 – 24) फीसदी है। गर्भवती जिन्होंने आयरन फोलिक एसिड की टैबलेट 100 दिन से अधिक लिया है, (19-11) फीसदी है। गर्भवती जिन्होंने आयरन फोलिक एसिड की टैबलेट 180 दिन से अधिक लिया है, (10-5) फीसदी है। दो सप्ताह के अन्दर डायरिया प्रिवेंशन का आंकड़ा (3-21) फीसदी का है। जबकि दो सप्ताह के अन्दर एक्यूट रिस्परेटरी इन्फेक्शन के लक्षण का आंकड़ा (2-5) फीसदी का है। जबकि दो सप्ताह के अन्दर बुखार के लक्षण के साथ एक्यूट रिस्परेटरी इन्फेक्शन का आंकड़ा (78-76) फीसदी का है।
कम कैलोरी लेती हैं महिलाएं : डॉ रश्मि। जिला महिला चिकित्सालय में ही तैनात स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ रश्मि सिन्हा ने बताया कि गर्भवती महिला रोजाना जितनी कैलोरी खर्च करती है उसके मुकाबले यदि वह कम कैलोरी लेती है प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से, तो इसे कुपोषण कहा जाएगा। कुपोषण की स्थिति में गर्भवती महिला और शिशु का वजन कम हो सकता है। साथ ही उसके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है। गर्भावस्था में पोषण की कमी में कुपोषण के शिकार ज्यादातर गरीब तबके के लोग होते हैं। जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान सही देखभाल और खाना पीना नहीं मिलता उनके बच्चे को कुपोषण होने की संभावना ज्यादा होती है।डॉ. सिन्हा ने बताया कि जब गर्भवती महिला पर्याप्त मात्रा में खाना तो खाती है लेकिन, गर्भावस्था के दौरान जरूरी पोषक तत्वों को पर्याप्त मात्रा में नहीं लेती, जैसे कि कैल्शियम का सेवन, जिंक, आयरन, फोलिक एसिड आदि। उदाहरण के तौर पर गर्भवती महिलाओं में कैल्शियम की कमी शिशु की हड्डियों और दांतों के विकास तथा आयरन की कमी से बच्चे की रोग प्रतिरोशक क्षमता के विकास में बाधा आती है। विटामिन डी की कमी से हड्डियों में असमानता आ जाती है। इससे नवजात में रिकेटस का खतरा होता है। जिंक की कमी से मिसकैरिज का खतरा रहता है। गर्भावस्था के दौरान आयोडीन की कमी से बच्चों की बौद्धिक क्षमता कम हो सकती है। ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी से बच्चे का वजन कम हो सकता है। साथ ही न्यूरोनल विकास में भी बाधा आ सकती है। प्रसव पूर्व सावधानी,जाँच और परामर्श के द्वारा गर्भ में भ्रूण और नवजात शिशु की समस्याओं को कम किया जा सकता है। गर्भावस्था में पोषण की कमी होने से बच्चा जहां कुपोषित होता है वहीं आगे चलकर उसे और बीमारियां होने का भी खतरा बढ़ जाता है क्योंकि इसकी वजह से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। अगर किसी महिला को गर्भधारण करने से पहले संपूर्ण पोषण ना मिल रहा हो, तो वह गर्भधारण के वक्त कुपोषित और अंडरवेट हो सकती है। पल्हनी ब्लाक अंतर्गत मतौलीपुर गाँव निवासी 25 वर्षीय सरिता ने बताया कि मैं लगभग नौ महीने की गर्भवती हूँ, मैंने तीन महीने पहले दिखाया था। मुझे एक महीने बाद दिखाने के लिए बुलाया गया था लेकिन मैं नहीं आ सकी, मुझे पिछले तीन दिनों से पेट में दर्द है और ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है। मुझे डाक्टर ने भर्ती होने के लिए बोला है। इसी तरह गांव ममर्खापुर निवासी 25 वर्षीय अंजली भारती ने बताया कि मैं पहली बार गर्भवती हुई हूँ, मुझे पांच महीने का गर्भ है, मुझे दो महीने पहले बुलाया गया था। मुझे पेट के निचले हिस्से में दर्द है, डाक्टर ने दवा दी है और आराम करने के लिए बोला है।