जयराम विद्यापीठ में रक्षाबंधन के दिन हुआ श्रावणी कर्म संस्कार, पापों का प्रायश्चित कर करते है यज्ञोपवीत : आचार्य लेखवार।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र, 11 अगस्त : देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से जयराम विद्यापीठ में ब्रह्मचारियों एवं विद्वान ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ श्रावणी उपाकर्म संस्कार किया। विद्यापीठ के आचार्य प. राजेश प्रसाद लेखवार द्वारा विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ ब्रह्मसरोवर में ब्रह्मचारियों एवं शिष्यों को स्नान करवाने के उपरांत यज्ञशाला में विधिवत यज्ञोपवीत संस्कार करवाया गया। उन्होंने बताया कि शास्त्रों को मानने वाले एवं ब्राह्मणों का यह विशेष पर्व होता है। इस बार यह रक्षाबंधन के दिन मनाया गया।आचार्य लेखवार के अनुसार इस दिन ब्राह्मण सामूहिक व अन्य कार्यक्रम आयोजित कर अपने यज्ञोपवीत (जनेऊ) को बदलते हैं। उन्होंने बताया कि यह पर्व ब्रह्मचारियों एवं ब्राह्मणों के लिए महत्वपूर्ण है। जो कोई भी जनेऊ धारण करता है, वह यज्ञ व अन्य विधि विधान कर इसे धारण कर सकता है। उन्होंने बताया कि इस उपाकर्म में विशेष कर सप्तपुरी हो तो सर्वश्रेष्ठ है। यह उपाकर्म सातों पुरियों में से किसी भी पुरी में किया जाए तो उत्तम रहता है। वर्षभर के जाने अनजाने में हुए पापों के निराकरण के लिए ब्राह्मण प्रायश्चित के रूप में हेमाद्रि संकल्प करके तीर्थ व तलाब में स्नान करते हैं। इसके बाद ऋषि पूजन, ऋषि तर्पण, देव तर्पण, पितर तर्पण आदि कर नए जनेऊ को धारण करते हैं। इस अवसर पर के. के. कौशिक, श्रवण गुप्ता, कुलवंत सैनी, राजेश सिंगला, टेक सिंह, यशपाल राणा, सतबीर कौशिक इत्यादि मौजूद थे।