विद्यापीठ में मां भगवती के छठे स्वरूप मां कात्यायनी का आह्वान कर हुआ पूजन।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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जयराम विद्यापीठ में दुर्गा शतचंडी अनुष्ठान यज्ञ में दी गई आहुतियां।
कुरुक्षेत्र, 1 अक्तूबर : शारदीय नवरात्रों के अवसर पर जयराम विद्यापीठ में चल रहे श्री दुर्गा सप्तशती पाठ एवं शतचंडी अनुष्ठान के अवसर पर यजमान परिवार एवं श्रद्धालु शामिल हुए। उन्होंने जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से अनुष्ठान यज्ञ में आहुतियां दी। विद्यापीठ के आचार्य प. राजेश प्रसाद लेखवार शास्त्री ने नवरात्रों में मां भगवती के छठे स्वरूप मां कात्यायनी का आहवान कर विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया। उन्होंने बताया कि परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा है कि नवरात्रों के अवसर पर लोगों को दोहरी मानसिकता का त्याग करना चाहिए। समाज की सोच ठीक करने की जरूरत है। ब्रह्मचारी के अनुसार समाज की सोच भी बदलें और नई अलख जगाएं, नारी को ममता का रूप कहा जाता है। ममता का रूप नारी घर तक ही सीमित नहीं रखें क्योंकि नारी की पहचान महान समाज सुधारक के रूप में भी है। मां भगवती के नौ देवी स्वरूप प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। इस समय पूरे देश में नवरात्रों की धूम है । जगह जगह मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जा रही है। देशभर में श्रद्धालु मां भगवती की आस्था से पूजा कर रहे हैं और अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं की पूजा करेंगे। पर अफ़सोस है कि नवरात्र पुरे हो जाने पर लोग वापस अपनी पुरानी दिनचर्या पर लौट जाते हैं। इस मौके पर राजेंद्र सिंघल, श्रवण गुप्ता,के. के. कौशिक एडवोकेट, सुरेंद्र गुप्ता, टेक सिंह लौहार माजरा, राजेश सिंगला, सतबीर कौशिक इत्यादि भी मौजूद थे।
जयराम विद्यापीठ में पूजन करते हुए ब्रह्मचारी।